आकृति ईको सिटी में रहने वाले सीएम के भाई, पूर्व चीफ सेक्रेटरी, रिटायर्ड जज और IAS-IPS के बंगलों पर क्यों है ब्लैक आउट का खतरा?

author-image
Rahul Sharma
एडिट
New Update
आकृति ईको सिटी में रहने वाले सीएम के भाई, पूर्व चीफ सेक्रेटरी, रिटायर्ड जज और IAS-IPS के बंगलों पर क्यों है ब्लैक आउट का खतरा?

BHOPAL. राजधानी भोपाल में 15-20 साल पहले जिस आकृति बिल्डर की तूती बोलती थी, वो नाम आज धोखाधड़ी और होमबायर्स की प्रताड़ना के लिए जाना जाता है। द सूत्र ने आकृति बिल्डर को लेकर अब तक जिन मामलों का खुलासा किया वे उन लोगों से जुड़े थे जिन्हें लाखों रुपए देने के बाद भी अब तक अपने घर का पजेशन नहीं मिला, लेकिन द सूत्र अब जो खुलासा करने वाला है वो बेहद चौंकाने वाला है। इस बार आकृति बिल्डर की करतूत की वजह से कोई आम नागरिक नहीं बल्कि वीवीआईपी के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं। इन वीवीआईपी का प्रॉपर्टी को लेकर आकृति बिल्डर से कोई डिस्प्यूट नहीं है, लेकिन फिर भी इनके लिए परेशानी का पहाड़-सा खड़ा हो गया है। आकृति बिल्डर स्वार्थ के कारण कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज के भाई, पूर्व चीफ सेक्रेटरी आर परशुराम सहित रिटायर्ड जज, आईएएस-आईपीएस के बंगलों की बिजली गुल होने वाली है। जाहिर-सी बात है इन वीवीआईपी ने समय पर बिजली का बिल भरा ही होगा, फिर कैसे इनके यहां बिजली संकट खड़ा होने वाला है, जानिए द सूत्र की पूरी पड़ताल में।




— TheSootr (@TheSootr) May 17, 2023



बिजली कटने के डर के साये में जी रहे 8 हजार लोग



देश में चुनाव का मौसम है। ऐसे में मुफ्त बिजली के वादे आपने खूब सुने होंगे, लेकिन यदि आपसे कोई ये कहे कि 1 हजार परिवार ने निर्धारित फीस देकर बिजली कनेक्शन लिया, 10 से 15 सालों तक हर महीने समय पर बिजली बिल भी भर रहे हैं, बावजूद उन घरों की बिजली कभी भी कट सकती है, तो आपको यकीन नहीं होगा। जाहिर-सी बात है मन में कई सवाल खड़े हो रहे होंगे, तो हम आपको बता दें कि ये मामला राजधानी भोपाल की ही सबसे पॉश कालोनी आकृति इको सिटी का है। भोपाल की ये कॉलोनी कितनी वीवीआईपी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां सीएम शिवराज के भाई, मध्यप्रदेश के पूर्व चीफ सेकेटरी आर परशुराम सहित रिटायर्ड जज, आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के बंगले हैं। इस एक प्रोजेक्ट में 8 से 9 छोटी-छोटी रह​वासी सोसायटी आकृति के नाम से हैं, जैसे फ्लेमिंगो, नेस्ट, एस्टर, मेरेडियन, ​रिट्रीट, गोल्ड विला, प्रीमियम, हाईराइज। इन रहवासी सोसाइटी में करीब 1 हजार परिवार रहते हैं। यदि यहां बिजली कटती है तो 7 से 8 हजार लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।



पहले समझे आकृति इको सिटी में बिजली सप्लाई का कैसा है सेटअप



आकृति बिल्डर ने आकृति इको सिटी में बिजली की सप्लाई के लिए खुद का एक सेटअप तैयार किया। बिजली कंपनी से एचटी कनेक्शन लेकर 33 केवीए का सब स्टेशन तैयार कर सभी रहवासी सोसाइटी में एलटी लाइन बिछाई, ट्रांसफार्मर लगाए। इन्हीं लाइन के जरिए घरों में बिजली सप्लाई होती है। इसके लिए आकृति बिल्डर ने घरों में सबमीटर लगाए। इन्हीं सबमीटर की रीडिंग के आधार पर बीते 15 सालों से लोग बिजली का बिल पहले आकृति बिल्डर द्वारा नियुक्त किए गए प्राइवेट ठेकेदार को देते हैं और उसके बाद बिल का भुगतान बिजली कंपनी को किया जाता है। जब तक आकृति बिल्डर था, ये पूरी व्यवस्था की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी उसी की थी, लेकिन दिवालिया घोषित होने के बाद से ये पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। बता दें कि बिजली कंपनी की ओर से सिर्फ सिंगल एचटी कनेक्शन 33 केवीए का आकृति बिल्डर को दिया गया है। इसका मतलब ये कि बिजली कंपनी के लिए सिर्फ एक ही क्लाइंट है और वो आकृति बिल्डर है। बिजली कंपनी आकृति द्वारा बनाए गए सबस्टेशन तक ही बिजली देती है, उसके बाद आकृति बिल्डर द्वारा बिछाई गई एलटी लाइन से ये लोगों के घरों तक पहुंचती है।



अब समझे कहां फंसा है पेंच



अब हम आपको समझाते हैं कि पूरे मामले में आखिर पेंच कहां फंसा है। कोई भी रहवासी सोसाइटी में बिजली बिल की 100 फीसदी रिकवरी कहीं नहीं होती। यही हाल आकृति इको सिटी का है। हर महीने बिजली बिल की राशि में 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। इसका कारण पहला तो यही है कि कुछ लोग बिजली बिल समय पर नहीं दे रहे हैं और दूसरा कारण सोसाइटी में लगी स्ट्रीट लाइट, पंप कनेक्शन जैसे सार्वजनिक बिजली उपकरण के बिलों की राशि देने वाला अब कोई नहीं, क्योंकि आकृति बिल्डर दिवालिया पहले ही हो चुका है और कोर्ट में प्रकरण चल रहे हैं। आकृति की ही फ्लेमिंगो सोसाइटी में रहने वाले राहुल सिंह बताते हैं कि हर महीने बिजली बिल की राशि में जो कमी आई आकृति के पास जमा राशि से इस गैप की पूर्ति की गई, लेकिन बाद में जब ये पैसा शॉर्ट होने लगा तो बिजली कंपनी ने सिक्योरिटी के रूप में जमा पैसे से इस गैप को एडजस्ट किया, लेकिन बिजली कंपनी ने साफ कर दिया है कि वो बहुत लंबे समय तक इस तरह से नहीं चला पाएगी। बिजली कंपनी के लिए आकृति यानी सिंगल कनेक्शन ही है, ऐसे में 3-4 महीने भी पूरा बिजली बिल जमा नहीं हुआ तो कनेक्शन को काटा जा सकता है, यदि ऐसा हुआ तो सिंगल कनेक्शन की बिजली कटने पर ही 1 हजार घरों में अंधेरा छा जाएगा।



आउटडेटेड हो चुके उपकरण को नहीं सुधारा तो 6 दिन का होगा शटडाउन



आकृति इको सिटी में स्थापित सब स्टेशन पर बिजली बिल जमा करने वाली खिड़ी पर ही एक नोटिस चिपका हुआ है, जिसमें लिखा है कि सब स्टेशन के उपकरण को तुरंत सुधारना की आवश्यकता है, यदि ऐसा नहीं हुआ तो बिजली बंद हो सकती है, जिसके बाद इसे सुधारने में 5 दिन या उससे ज्यादा का भी समय लग सकता है। बिल्डर की ओर से नियुक्त बिजली के रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे ठेकेदार के कर्मचारी और सब स्टेशन के प्रभारी अनूप सक्सेना ने कहा कि 15 साल पहले सब स्टेशन में लगे उपकरण अब आउटडेटेड हो चुके है, इनका सामान भी बाजार में मुश्किल से मिल पाता है। ऐसे में यदि सब स्टेशन पर अब कोई फॉल्ट आता है तो 6 दिन का शटडाउन हो जाएगा जो लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगा। समस्या ये भी है कि अब बिल्डर के नहीं होने पर ये मेंटेनेंस कॉस्ट कौन देगा। यहां लोग लेट फीस तो दे नहीं रहे हैं तो ऐसे में आने वाले दिनों में बिजली को लेकर समस्या तो होगी ही।



पूरे सेटअप को टेकओवर करने में लगेंगे 8 से 10 करोड़



सब स्टेशन के प्रभारी अनूप सक्सेना ने बताया कि बिजली बिल को लेकर भी समस्या है और पुराने हो चुके उपकरण को लेकर भी। ऐसे में ​भविष्य में दिक्कत ना हो इसके लिए बिजली कंपनी को इसे टेकओवर करना चाहिए, पर इसमें भी समस्या कॉस्ट को लेकर ही है। बिजली कंपनी बिल्डर को तो 33 केवीए का सिंगल कनेक्शन दे सकती है, लेकिन रहवासी सोसायटी में यदि बिजली कंपनी को डायरेक्ट सप्लाई देनी है तो उसे नियमानुसार 11 केवीए का पूरा सेटअप जमाना होगा। 33 केवीए को 11 केवीए में बदलने का खर्चा ही 8 से 10 करोड़ रुपए आएगा। बिल्डर दिवालिया हो चुका है, कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है, ऐसे में सवाल तो यही उठता है कि इतनी बड़ी राशि देगा कौन?



रहवासी बोले- एक बार पैसा दे चुके, अब दोबारा क्यों दें?



आकृति इको सिटी में रहने वाले अतुल समाधिया का कहना है कि जब लोगों ने घरों का पजेशन लिया उस समय बिल्डर को बिजली कनेक्शन के लिए 50 हजार से लेकर 70 हजार रुपए दिए। बिल्डर को बिजली कंपनी के मीटर लगवाने थे, उन्हीं की लाइन बिछवाना थी। अपने स्वार्थ के कारण खुद का सब स्टेशन लगाया और बिजली बेचना शुरू कर दी। अब सब स्टेशन खराब हो रहा है और खुद दिवालिया होकर बैठ गए। इसमें कस्टमर की क्या गलती। ये क्रिमिनल अफेंस है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। ये सिर्फ 1 सिंगल एचटी कनेक्शन का मामला नहीं है, इससे हजारों लोग जुड़े हुए हैं।



बिल्डर ने इस तरह होमबायर्स को फंसाया



एचटी कनेक्शन लेकर बिजली सप्लाई करना नियम के दायरे में ही आता है, लेकिन बेहतर यही माना जाता है कि 11 केवीए का कनेक्शन लेकर सीधे होमबायर्स को बिजली कंपनी से जोड़ा जाए ताकि भविष्य में यदि कहीं कोई दिक्कत हो तो सीधे बिजली कंपनी उसे सॉल्व कर ले। आकृति इको सिटी के मामले में आकृति बिल्डर ने ऐसा ना कर एचटी कनेक्शन लेकर खुद बिजली सप्लाई की। इसके पीछे होमबायर्स को तर्क ये दिया कि एचटी यानी 33 केवीए कनेक्शन में हर कभी बिजली गुल नहीं होती, क्योंकि इसके शटडाउन के लिए एसई लेवल के अधिकारी से परमिशन लेना होती है जो आसान नहीं है। दूसरी ओर 11 केवीए के कनेक्शन के लिए शटडाउन एई और इंजीनियर लेवल पर ही मिल जाती है, जो बेहद आसान होता है। यही कारण है कि जब भोपाल के कई इलाकों में मेटेनेंस या आंधी तूफान के नाम पर बिजली गुल रहती थी तब भी आकृति इको सिटी में बिजली सप्लाई चालू रहती थी। यही कारण है कि होमबायर्स बिल्डर की बातों में फंस गए और अब उनकी रातों की नींद ही उड़ी हुई है।



ये है बिल्डर के मुनाफे का गणित



लोगों ने अपने घरों में बिजली कनेक्शन के लिए 50 से 70 हजार तक दिए। 1 हजार घर के हिसाब से ये राशि 5 से 7 करोड़ होती है, जबकि जानकार बताते हैं कि 15 साल पहले बिल्डर ने जब ये सेटअप खड़ा किया होगा, तब उसे बमुश्किल 3 से 4 करोड़ ही खर्च आया होगा। मतलब बिल्डर ने सीधे तौर पर 1 से 3 करोड़ के बीच पैसा इसी दौरान बचा लिया। लोगों के घरों में सबमीटर लगाए गए, जिनको सामान्यत: चेक किया ही गया नहीं। मतलब यदि किसी सबमीटर में ज्यादा रीडिंग आ रही हो तो भी लोग उसी के हिसाब से पैसा बिल्डर को दे रहे थे। इसके अलावा बिजली का बिल बिल्डर की ओर से ही दिया गया, जिसका सीधा मतलब ये होता है कि आकृति इको सिटी में रहने वाले लोग कभी भी एड्रेस प्रूफ के तौर पर बिजली बिल का इस्तेमाल कर ही नहीं पाए, क्योंकि नियमानुसार बतौर ऐड्रेस प्रूफ बिजली कंपनी का बिजली बिल ही मान्य होता है।



बिजली कंपनी ने भी कहा- बिल्कुल कट सकती है बिजली



द सूत्र ने इस समस्या को लेकर बिजली कंपनी के जीएम जाहिद खान से भी बात की तो उन्होंने कहा कि आकृति इको सिटी की बिजली बिल्कुल कट सकती है। आकृति में रहने वाले जितने भी लोग हमारे पाए आए हमने उन सबको समाधान बता दिया, लेकिन इसके लिए वे तैयार नहीं है और ना ही सोसाइटी के पास इतनी जगह है कि नया सब स्टेशन बन जाए। जाहिद खान ने कहा कि आकृति इको सिटी में करीब 2 हजार केवीए का लोड है। जिसके लिए हमें 33/11 केवीए का सब स्टेशन बनाना ही पड़ेगा, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। ट्रांसफार्मर लगवाने पड़ेंगे। लाइन बिछेगी, उसके बाद ही हम टेकओवर करेंगे, पर इसके लिए रहवासी तैयार नहीं हैं।


Aakriti builder in Bhopal भोपाल में आकृति बिल्डर officers live in Aakriti eco city danger of blackout on officers bungalows power crisis in Aakriti eco city fear of power cut in Aakriti eco city आकृति ईको सिटी में रहते हैं अधिकारी अधिकारियों के बंगलों पर ब्लैक आउट का खतरा आकृति ईको सिटी में बिजली संकट आकृति ईको सिटी में बिजली कटने का डर