नर्मदापुरम. टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (STR) में बाघ सुरक्षित नहीं हैं। STR में दो दिन में दो टाइगर की मौत हो चुकी है। अब बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। बाघों की मौत के पीछे शिकारियों के होने की बात भी सामने आ रही हैं। वहीं टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्राधिकार को लेकर भी बाघ आपस में लड़ाई कर रहे हैं, जिससे यह घटनाएं हो रही हैं।
दरअसल रविवार को पचमढ़ी परिक्षेत्र के मोगरा बीट 226 में एक नर बाघ घायल अवस्था में मिला। इलाज के लिए भोपाल ले जाते समय उसने दम तोड़ दिया। जिस जगह बाघ घायल हालत में मिला, उससे सिर्फ 700 मीटर दूर नयाखेड़ा बीट में एक दिन पहले यानी शनिवार को एक मादा शावक का भी शव मिला था।
क्षेत्राधिकार को लेकर लड़ाई में हुई मौत
STR में दो दिन के अंदर दो बाघों की मौत हो गई। रविवार को मिले बाघ के आगे के दोनों पैरों और शरीर पर चोट के निशान मिले है। एक केनाइन दांत भी टूटा मिला। क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि प्रथम दृष्टया चोटों के निशान देखकर प्रतीत होता है कि टेरिटरी फाइट में बाघों की लड़ाई के दौरान इस बाघ की मृत्यु हुई है।
क्षेत्र संचालक और उप संचालक की उपस्थिति में वन्यप्राणी चिकित्सकों ने बाघ का पोस्टमार्टम एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार किया। पोस्टमार्टम के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान एनटीसीए व डब्लूसीटी के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
पिंजरे में ही बाघ ने तोड़ा दम
शनिवार को मादा शावक का शव मिलने के बाद STR ने रातों रात अधिकारी हरकत में आए और पार्क के सारे हाथी मोगरा बुलाए। सुबह ही हाथियों के दलों के साथ कर्मचारियों को अलग-अलग स्थानों पर सर्चिंग के लिए रवाना किया।
जब अधिकारी खोज पर निकले तो खोज के दौरान मोगरा बीट 226 में नर बाघ गंभीर घायल अवस्था में मिला। गंभीर चोटों के कारण उसे तत्काल वन विहार भेजने का निर्णय लिया गया। बाघ के पास जाने पर और डार्ट मारने पर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अधिकारियों ने बताया कि बाघ इतना अधिक घायल था कि उसे किसी भी तरह की दवा का कोई असर नहीं हुआ। उसने पिंजरे में ही दम तोड़ दिया।