दमोह में सुपरफास्ट ट्रेन की टक्कर से 27 आवारा मवेशियों की मौत, जांच में जुटी जीआरपी पुलिस

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Vivek Sharma
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दमोह में सुपरफास्ट ट्रेन की टक्कर से 27 आवारा मवेशियों की मौत, जांच में जुटी जीआरपी पुलिस

DAMOH. दमोह  के  पथरिया रेलवे स्टेशन के पास रईया फाटक के पास शुक्रवार की रात करीब 12 बजे 27 आवारा मवेशी निजामुद्दीन की ओर जा रही हमसफर सुपरफास्ट  एक्सप्रेस ट्रेन से टकरा गए जिससे उनकी  मौत हो गई । इन मवेशियों में चार छोटे बछड़े भी शामिल है।  टक्कर इतनी तेज हुई सभी मवेशी हवा में उछल कर रेलवे ट्रेक  से करीब 15  फीट दूर  जाकर गिरे। शनिवार  सुबह स्थानीय लोगों ने खबर दी जिसके  बाद जीआरपी पुलिस मौके पर पहुंची है और घटना की जांच शुरू की।



 जानकारी के अनुसार  रात करीब 12 बजे रेलवे स्टेशन के पास मवेशी घूम रहे  थे । जहां से किसी ने उन्हें भगा दिया और  सभी मवेशी रेलवे ट्रैक के साथ चलते हुए रईया फाटक पर पहुंच गए जहां  ट्रेन मवेशियों से टकरा गए । जीआरपी के  एसआई जीडी मिश्रा का कहना है कि सूचना मिलने के बाद वह मौके पर पहुंचे तो  सभी मवेशि मृत हालत में पड़े थे।  मवेशी मालिकों की तलाश की जा रही है।  उन्होंने बताया कि इसके पहले भी क्षेत्र के लोगों को खबर की गई है कि वह अपने मवेशी रेलवे ट्रैक से दूर रखें नहीं  तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी इसलिए अब कार्रवाई के डर से कोई भी पशु मालिक सामने नहीं आ रहा है। दूसरी ओर  ट्रेक के पास रेलवे का  निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदार संजय सेन का कहना है कि सुबह उन्हें खबर मिली थी तो वह मौके पर पहुंचे । घटना कैसे हुई इसकी जानकारी किसी को नहीं है।





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किसी ने नहीं किया क्लेम





जानकारी के अनुसार अभी तक कोई भी क्लेम के लिए नहीं पहुंचा। जिससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये सभी आवारा मवेशी थे। जीआरपी पशुपालकों की तलाश कर रही है। पुलिस का कहना है कि लापरवाह पशुपालकों की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। इस तरह के पशुपालक दूध निकालने के बाद गौवंश को छोड़ देते हैं।





सबसे ज्यादा गौवंश ही मरा





 बताया जा रहा है कि इस घटना में सबसे ज्यादा गौवंश ही मरा है। यह बहुत ही विडंबना है कि जिस प्रदेश में गाय के नाम पर राजनीति की जाती है बड़ी बड़ी गौशालाएं खोली जाती हैं जहां भारी भरमक फंड आता है लेकिन आज मवेशी सड़कों पर दम तोड़ रहा है। आखिर कौन है इसके जिम्मेदार।





शो पीस बनकर रह गईं गौशालाएं





मप्र के कई भागों में बड़ी-बड़ी गौशालाएं बनाई गई हैं जो शासकीय तथा जनसहयोग से संचालित की जा रही हैं जिसमें बड़े-बड़े रसूखदार लोग गौशाला कमेटी में शामिल है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आज भी गौवंश सड़कों पर आवारा घूम रहा है जिससे न केवल सड़क हादसे हो रहे हैं बल्लि गायों की असमय मौत हो रही है। सवाल इस बात का है जिसे देश में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है लेकिन सच्चाई ये है कि हमारा गौवंश सड़कों पर मर रहा है। गौ प्रेम ब, एक राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गया है। 







 



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