इंदौर में आईएससीसीएम की 29वीं वार्षिक कार्यशाला में एक्सपर्ट्स ने सिम्युलेटर की मदद से डाॅक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ को दी ट्रेनिंग 

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इंदौर में आईएससीसीएम की 29वीं वार्षिक कार्यशाला में एक्सपर्ट्स ने सिम्युलेटर की मदद से डाॅक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ को दी ट्रेनिंग 

योगेश राठौर, INDORE. इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आईएससीसीएम) की 29 वीं वार्षिक कार्यशाला में 22 फरवरी, बुधवार से ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुई। कार्यशाला के पहले दिन 4 कार्यशालाएं अलग-अलग आयोजित की गई। जहां हैंड्स ऑन ट्रेनिंग भी दी गई। वर्कशॉप में आए दयानंद मेडिकल कॉलेज, लुधियाना के डॉ. विवेक गुप्ता ने बताया कि वह एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (एक्मो) और सीआरआरटी परफॉर्म करते हैं। एक्मो अभी देश में ज्यादा सेंटर में नहीं किया जाता है। इसलिए इसकी ट्रेनिंग यहां दी जा रही हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर और स्पेशलिस्ट को इसके उपयोग के बारे में पता चल सकें और वह क्रिटिकल पेशेंट्स की जिंदगी बचाने में काम आ सके। 



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यह एक लाइफ सपोर्ट ट्रीटमेंट है 



एक्मो के जरिए क्रिटिकल मरीजों के हार्ट और लंग्स को सपोर्ट किया जाता है। यह एक लाइफ सपोर्ट ट्रीटमेंट है, जो लोगों को उस समय सांस लेने में मदद करता है, जब वे अपने दम पर सांस लेने में असमर्थ होते हैं। आमतौर पर जब पेशेंट के हार्ट, लंग्स या दोनों को वेंटिलेटर पर रखने के बाद भी सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। ऐसे समय में इसका प्रयोग किया जाता है। यह एक प्रकार का एडवांस टाइप मैकेनिकल लाइफ सपोर्ट सिस्टम है, जो शरीर से ब्लड को निकलता है, ऑक्सीजनेट करता है और ब्लड से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता हैं। फिर शरीर में ब्लड की सप्लाई करता है। इससे रोगी के क्षतिग्रस्त फेफड़ों या हृदय को ठीक होने का समय मिलता है। एक्मो लंग्स के ट्रांसप्लांट सहित सर्जरी से पहले और बाद में गंभीर हृदय और रेस्पिरेटरी फेल्योर वाले रोगियों के लिए एक ब्रिज का काम करता है।



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एक्मो, एडवांस वेंटीलेटर जैसी तकनीकों की लाइव ट्रेनिंग 



ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन और आइएससीसीएम के अध्यक्ष डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि कार्यशाला में प्रेग्नेंट लेडी के साथ आईसीयू में आने वाले कॉम्प्लिकेशन पर भी चर्चा की गई। साथ ही विभिन्न प्रकार की डायलिसिस और उनके एडवांसमेंट को लेकर भी वर्कशॉप की गई है। पहले दिन 600 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। एक्मो, एडवांस वेंटीलेटर जैसी तकनीकों की लाइव ट्रेनिंग ली। कई गंभीर विषयों पर पैनल डिस्कशन भी हुआ। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजेश पांडे ने बताया वर्कशॉप में दुनिया के एडवांस वेंटिलेटर को ऑपरेट करने के साथ ही उनकी सेटिंग्स को सिखाया गया। यह वर्कशॉप आईसीयू में काम करने वाले डॉक्टर्स, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए आयोजित की गई थी।



प्रेग्नेंट महिला को आईसीयू में आने वाले कॉम्प्लिकेशन की दी ट्रेनिंग 



इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के वाइस प्रेसिडेंट और हैदराबाद के डॉ. श्रीनिवास सामवेदम ने बताया कि ऑब्स्टेट्रिक वर्कशॉप में प्रेग्नेंट महिलाओं के मृत्यु दर को कम करने के लिए डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दी गई। इसमें प्रेग्नेंट महिला को हार्ट अटैक आने पर क्या करना है या एक्सेस ब्लीडिंग को कैसे कंट्रोल करना है, जैसे टॉपिक के बारे विस्तार से डाॅक्टर्स को बताया गया। महिला की किसी कारण मृत्यु हो जाती है तो चार मिनिट में बच्चे को पेट से निकलने की ट्रेनिंग दी गई। बच्चे का पूरा सिस्टम मां के ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ा होता है और मां की मृत्यु के बाद बच्चे को सही समय में बचाना जरूरी होता है।



मानव शरीर की तरह रिएक्ट करते हैं सिम्युलेटर 



को-आर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. संजय धानुका ने बताया कि सभी वर्कशॉप की खास बात यह रही कि इन्हें थ्योरी बेस्ड रखने के बजाए प्रैक्टिकल आधारित रखा गया। इसके लिए हर वर्कशॉप में सिम्युलेटर (मानव शरीर के हूबहू डमी) रखें गए थे, जिस पर लोगों हैंड ऑन प्रैक्टिस करके एक्सपर्ट्स द्वारा बताई गई जानकारी का प्रैक्टिकल करके देखा और सीखा। इन सिम्युलेटर की खास बात यह होती है कि इन्हें इस प्रकार से बनाया जाता है कि यह प्रोसिजर और ट्रेनिंग के दौरान मानव शरीर की तरह ही रिएक्ट करती हैं। 



600 लोगों को दी फ्री ट्रेनिंग 



एब्स्ट्रेक्ट कमेटी के को-चेयरमैन डॉ. आनंद सांघी ने बताया कि कार्यशाला के दौरान 600 लोगों को फ्री ट्रेनिंग दी गई। इसमें नर्सेस, पैरामेडिकल स्टाफ, आईसीयू डॉक्टर्स शामिल है। इसमें नर्सेस और पैरामेडिकल स्टाफ को क्रिटिकल केयर में काम करने के तरीके, विभिन्न उपकरणों के उपयोग करना और पेशेंट्स का सही तरह से देखभाल करना सिखाया गया। जॉइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ विवेक जोशी और साइंटिफिक कमेटी के को-चेयरमैन डॉ निखलेश जैन ने बताया आईसीयू नर्सिंग स्टाफ ट्रेनिंग के साथ पॉइजनिंग के केस में क्या सावधानी रखनी चाहिए। इस विषय पर भी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें एक्सपर्ट्स ने बताया विभिन्न प्रकार के जहर खाकर आने वाले लोगों के साथ क्या करना चाहिए। इसमें पेट की सफाई कैसे की जाएं, क्या देना है, क्या नहीं देना है। इस बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। 23 फरवरी, गुरुवार को 16 सत्र वर्कशॉप के होंगे इनमे 1000 से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे।

 


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