Damoh. आज भी ऐसे लोग हैं जो अपनी जन्म देने वाली मां की तरह ही इस धरती को भी मां की तरह पूजते हैं और सम्मान देते हैं। शुक्रवार को इसी तरह एक वाक्या एसपी आफिस में सामने आया जब एक आदिवासी परिवार न्याय की गुहार लगाने पहुंचा था । पूरे परिवार ने कार्यालय के बाहर अपने अपने जूते-चप्पल उतारे और अंदर जाकर अपनी समस्या सुनाई और बाहर निकलकर पुनः कार्यालय की दहलीज के पैर छुए और वह अपने गांव चला गया। हालांकि एसपी ने कहा इस तरह से उन्हे नहीं आना चाहिए क्योंकि यहां आने वाले सभी लाग एक बराबर हैं।
परिवार से वसूली जा रही बेगार
नोहटा थाना के हथनी गांव से परम आदिवासी अपनी पत्नी, मां और बच्चों के साथ एसपी कार्यालय पहुंचा था। उसका कहना था कि गांव के वीरू यादव की जमीन की वह रखवाली करता है। दो दिन पहले वीरू ने उसे काम पर बुलाया था, लेकिन उसने काम करने से मना कर दिया था। इसी बात पर उसके साथ मारपीट की गई थी और तभी उसकी मां और भाई भी वहां पहुंचे थे जिन्होंने बीच बचाव किया था।
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उल्टा झूठा मामले में फंसाया
परिवार का कहना है कि विवाद के दौरान वीरू जमीन में गिर गया और एक पत्थर उसके सिर में लग गया तो उसने नोहटा थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी कि परम आदिवासी ने उसे पत्थर मारा है जबकि यह घटना झूठ है। शुक्रवार को परम अपने परिवार के साथ एसपी कार्यालय पहुंचा और उसने एसपी से मुलाकात कर आवेदन देना चाहा, लेकिन एसपी उसे नहीं मिले इसके बाद उसने अपनी शिकायत संबंधित अधिकारी के पास दर्ज कराई, लेकिन एसपी कार्यालय जाने के पहले परम के पूरे परिवार ने अपने जूते-चप्पल बाहर उतार दिए थे और बाहर निकलते ही कार्यालय की दहलीज के पैर छूने के बाद उन्होंने अपने जूते पहने थे।
इस संबंध में परम ने बताया कि जिस तरह से उसे जन्म देने वाली मां हैं उसी तरह कार्यालय की दहलीज को भी वह मां मानता है। जूते-चप्पल पहनकर वह अपनी मां का अपमान नहीं कर सकता इसलिए उसने पूरे परिवार के साथ बाहर जूते उतारे और दहलीज के पैर छुए। इस संबंध में दमोह एसपी राकेश कुमार सिंह का कहना है कि जिस तरह से सभी लोग आते हैं उसी तरह उन्हे भी आना चाहिए। हर एक व्यक्ति संविधान और कानून के सामने बराबर हैं और सबकी बराबर सुनवाई होती है उनकी कोई समस्या होगी तो सुनवाई होगी, लेकिन इस तरह से जूते-चप्पल उतारकर कार्यालय आना ठीक नहीं है। जिस तरह से सभी को महत्व देते हैं इसी तरह उन्हे भी महत्व दिया जाएगा।