पेंड्रा में मरवाही MLA के साथ आदिवासियों ने किया चक्काजाम, 32 फीसदी आरक्षण देने की मांग

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पेंड्रा में मरवाही MLA के साथ आदिवासियों ने किया चक्काजाम, 32 फीसदी आरक्षण देने की मांग

 PENDRA. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के पेंड्रा में आदिवासी समाज के लोगों ने मरवाही विधायक केके ध्रुव के साथ मेनरोड पर चक्काजाम (आर्थिक नाकेबंदी) कर दिया। इससे बिलासपुर रतनपुर होते हुए पेंड्रा जाने वाले मुख्य मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। उनकी नाराजगी प्रदेश में आदिवासी आरक्षण में हुई कटौती के विरोध में था। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की लाइफ लाइन कहे जाने वाली सड़क बिलासपुर-रतनपुर-केंदा-पेंड्रा यानी राष्ट्रीय राज्य मार्ग क्रमांक 45 पर उस वक्त जाम लगना शुरू हुआ जब यहां आदिवासी समाज के लोग मेनरोड पर ही बीचोंबीच जुटने लगे। देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग यहां जमा हो गए और इधर वाहनों की भी कतार लगने लगी। 

खास ये है कि जमा हुए लोगों में स्थानीय विधायक केके ध्रुव भी पहुंच गए। हालांकि पुलिस व प्रशासन की ओर से प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रयास किया गया, लेकिन तब तक जाम लग चुका था। वहीं प्रदर्शन के दौरान आदिवासी समाज के नेताओं का कहना था कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद आरक्षण में कटौती कर दी गई है। इससे वे खासे नाराज हैं। यह उनके साथ धोखा है, इसका वे पूरजोर तरीके से विरोध जारी रखेंगे। समझाइश के बाद उन्होंने प्रदर्शन समाप्त किया।



ये है विवाद का कारण



छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलील स्वीकार करते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट में राज्य शासन के वर्ष 2012 में बनाए गए आरक्षण नियम को चुनौती देते हुए अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर की गई थीं। 



2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन

दरअसल, राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत चार प्रतिशत घटाकर 16 से 12 प्रतिशत कर दिया था। वहीं, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाते हुए 32 प्रतिशत किया गया। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण 14 प्रतिशत को बरकरार रखा था। इन सबके चलते ये स्थिति बनी थी। अब जब फैसला आया है तो आदिवासी वर्ग का आरक्षण प्रभावित हो रहा है, जिसके विरोध में आदिवासी वर्ग आ गया है।

 



32 फीसदी आरक्षण को लेकर लामबंद हुए आदिवासी



PATHALGAON. आदिवासियों का आरक्षण यथावत रखने की मांग को लेकर आज इस वर्ग के हजारों लोगों ने रैली निकाली और पत्थलगांव का इंदिरा चौक पर 4 घंटे तक चक्काजाम किया। इस आन्दोलन में दर्जन भर गांव से हजारों आदिवासियों की भीड़ उमड़ी थी। यहां तीनों मुख्य मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद हो जाने से बस यात्री और अन्य लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 

वहीं भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेता नन्दकुमार साय ने कहा कि सरकार विधानसभा के सत्र में एक कानून बना कर आदिवासियों का आरक्षण को बहाल करे। अन्यथा यह लड़ाई और भी जोरशोर से चलाई जाएगी,उन्होंने कहा कि आदिवासियों का आरक्षण के लिए न्यायालय में सही तथ्य नहीं रखने से ही यह अप्रिय स्थिति निर्मित हुई है। इसके लिए राज्य सरकार की लापरवाही है। आदिवासी नेता स्नेहा खलखो ने कहा कि आदिवासी अपने अधिकारों के लिए इस लड़ाई को और तेज करेंगे। केशकाल में सर्व आदिवासी समाज के द्वारा 32% आरक्षण की मांग को लेकर आज पूरे प्रदेश भर में आर्थिक नाकेबंदी कर सुबह 11:00 बजे से 4:30 बजे तक राष्ट्रीय राजमार्ग में चक्का जाम कर प्रदर्शन किया । वही कांकेर जिला में आचार संहिता के चलते सर्व समाज के हजारों लोगों ने कोंडागांव जिला के प्रारंभिक ग्राम दादरगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया। वही कोंडागांव नारायणपुर चौक में भी जिले के हजारों सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया। इस दौरान एंबुलेंस के अलावा किसी भी वाहनों को आने जाने नहीं दिया। 



आर्थिक नाकेबंदी करने का निर्णय




गोंडवाना समन्वयक संभागीय अध्यक्ष सुनहेर सिंह नाग कहना है कि पूरा आदिवासी समाज हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए इस फैसले को लेकर नाराजगी जताते हुए पूरे प्रदेश में आर्थिक नाकेबंदी करने का निर्णय लिया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 32% आरक्षण का अध्यादेश अब तक नहीं लाई है। इसके कारण इस तरह के कदम सर्व आदिवासी समाज को उठाना पड़ रहा है। सरकार ने अब तक किसी तरह की कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। जिसके कारण प्रदेश के आदिवासी समाज को सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार के रवैए से आदिवासी समाज आक्रोशित और नाराज हैं। इसके कारण ही सर्व आदिवासी समाज द्वारा आज 15 नवंबर को आर्थिक नाकेबंदी को लेकर आदिवासी समाज को एकजुट होकर लामबंद हुए हैं।


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