BHOPAL. एक तरफ पौधों को संरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रोजाना एक पौधा लगा रहे हैं, तो दूसरी तरफ राजधानी भोपाल सहित औद्योगिक राधजानी व अन्य जिलों में विकास कार्यों के लिए हजारों पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। मध्यप्रदेश के दो महानगर भोपाल और इंदौर के पेड़ कटाई के आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर है। इंदौर देश के स्वच्छ शहरों में नंबर वन है तो वहीं, पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी इंदौर नगर निगम गंभीर है। इंदौर स्मार्ट सिटी ने पिछले तीन साल में सिर्फ 94 पेड़ ही काटे हैं। इसके उलट भोपाल में नगर निगम ने 8754 पेड़ काट डाले हैं।
पेड़ों को दी गई श्रद्धांजलि
साकेत नगर में एम्स की बाउंड्री के किनारे मेट्रो स्टेशन के पास में 3 दिन पहले जो 40 पेड़ काटे गए थे उसके अवशेष भी उखाड़ दिए गए हैं वहां जाकर 7 मई को श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान बाग मोबाइल एक्सटेंशन कॉलोनी विकास समिति के अध्यक्ष पर्यावरण प्रेमी उमाशंकर तिवारी ने दी और सरकार से मांग की विकास के साथ हरियाली का विनाश ना हो हरियाली को बचाकर ही विकास हो यही प्रयास होना चाहिए जानकारी मिली है। यहां जो पेड़ काटे गए वह बगैर अनुमति के काटे गए हैं इन पेड़ों के कारण कोई परेशानी नहीं हो रही थी, मेट्रो के कार्य से काफी दूर थे। लेकिन फिर भी काट दिए गए। भोपाल व प्रदेश की जनता से अपील है जहां भी पेड़ काटे जा रहे हो उनको बचाने के लिए सरकार से अपील कर विरोध दर्ज कराएं हर जगह पेड़ काटे जा रहे हैं ऐसे ही पेड़ कटते रहे तो ऐसा विनाश होगा कि संभाले नहीं संभलेगा।
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भोपाल में हरियाली 27 फीसदी घटी
पर्यावरण के लिए काम करने वाले सुभाष पांडे बताते हैं कि भोपाल की हरियाली में करीब 27 प्रतिशत की कमी हो गई है। बीते 3 सालों में 15 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। पेड़ों की कटाई वाले 9 स्थानों पर 225 एकड़ ग्रीन कवर की सफाई के बाद वहां कांक्रीट के जंगल बन गए। भोपाल में गर्मी का बढ़ना इसका एक बहुत बड़ा कारण है। यहां औसत तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। शहर के पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान सात साल में यानी 2014 से 2021 के बीच हुआ है। भोपाल में स्मार्ट सिटी के निर्माण के लिए 6 हजार, बीआरटीएस कॉरिडोर के लिए 3100, मेट्रो प्रोजेक्ट और डिपो निर्माण के लिए 2175, विधायक आवास बनाने के लिए 1175, सिंगारचोली सड़क निर्माण और चौड़ीकरण के लिए 1920, हबीबगंज स्टेशन निर्माण के लिए 155 पेड़ों को काटा गया।
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