Jabalpur. जबलपुर में हुए लव जिहाद के मामले की चर्चा प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चल रही है। गुरूवार को हिंदूवादी संगठनों ने लड़की के परिजनों के साथ करीब 5 घंटे तक एसपी दफ्तर में धरना दिया। एसपी मुर्दाबाद की नारेबाजी भी चलती रही, जिसके बाद एसपी टी के विद्यार्थी ने मामले की जांच के आदेश दे दिये। बड़ी बात यह है कि दमोह के गंगा जमना स्कूल के हिजाब मामले की तरह इस मामले में भी कुछ ही घंटों में पुलिस जांच पूरी हो चुकी है, जिसमें जबरन धर्मांतरण का आरोप जिस परिवार पर लग रहा है, उसे क्लीन चिट दे दी गई है।
अब तक की जांच में यह हुआ खुलासा
अब तक की पुलिस जांच की मानें तो अयाज और अनामिका 10वीं तक अधारताल के मिस्पा मिशन स्कूल में पढ़ते थे, इसके बाद वे इंद्रा मार्केट स्थित रेलवे स्कूल में पढ़ने लगे। अयाज ने आईटीआई पास की और लेमा गार्डन के गारमेंट क्लस्टर में काम करने लगा, उधर अनामिका अपना बुटीक चलाती थी। दोनों ने एसडीएम कोर्ट में शादी की थी, जिसके लिए नियमों के तहत लड़का-लड़की के परिजनों और थाने में सूचना प्रेषित कर दी थी। जिसके बाद 4 जनवरी 2023 को दोनों ने शादी कर ली।
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छोटी बहन की शादी के चलते रहे अलग-अलग
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि शादी की बात पता चलने के बाद लड़की के परिजनों ने दुहाई दी थी कि मुस्लिम के साथ शादी हो गई तो छोटी बहन से कोई शादी नहीं करेगा। जिसके चलते अनामिका अपने माता-पिता के साथ ही रहती थी, दो माह पूर्व जब अनामिका की बहन की शादी हो गई तब अनामिका अयाज के साथ ग्वारीघाट में घर लेकर रहने लगी। पुलिस जांच में बताया गया है कि लड़की के परिजनों ने इस दौरान अनामिका को गृहस्थी का सामान और कुछ जेवरात बतौर दहेज भी दिया था।
कार्ड छपने के बाद हुआ बवाल
दरअसल इस शादी के कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरा हंगामा मचा था, पुलिस जांच में बताया गया है कि कार्ड लार्डगंज इलाके के नवीन कार्ड में छपवाए गए थे। लड़के अयाज ने बयान दिया है कि कार्ड का मैटर खुद अनामिका उर्फ उजमा ने अपने हाथों से लिखकर दिया था। यहां सवाल यह उठ रहा है कि अनामिका को इतनी जहीन-तरीन उर्दू इतने कम वक्त में किसने सिखा दी? दूसरी तरह अयाज ने यह भी बयान दिया है कि 7 जून 2023 को जिस वलीमे का एहतमाम किया गया था उसे कैंसिल कर दिया गया है।
दंगा भड़काने के प्रयास के भी लगे थे आरोप
वहीं हिंदूवादी संगठनों ने अयाज और उसके परिवार पर दंगा भड़काने का प्रयास करने के भी आरोप जड़े थे, जिस पर पुलिस को जांच में ऐसा कुछ नजर नहीं आया है। अयाज ने अपने बयान में बताया है कि वलीमे के जो कार्ड छपवाए थे उन्हें समाज में बांटा भी नहीं गया है।
पूरे घटनाक्रम में पुलिस की जांच इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई कि आखिर 5-6 महीने में अनामिका, उजमा फातिमा कैसे बन गई। उसने कब और कहां इस्लाम कबूल किया? वहीं एसडीएम कार्यालय में जो दो लोग अनामिका के बतौर परिजन बनकर साइन करने पहुंचे थे, उनका अनामिका से क्या संबंध था? उन्होंने किसके कहने पर इस शादी के लिए गवाही दी थी? पुलिस जांच में अभी कई तथ्यों की कमी है, लेकिन पुलिस ने मामले में क्लीन चिट देने में जरा भी देर नहीं की। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है? क्या दमोह की तरह मामले की फिर से गहन जांच होती है या फिर वर्तमान जांच के बाद ही मामले का पटाक्षेप हो जाएगा।