भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव (By Election) के प्रत्याशियों को ऐलान होना शुरू हो गया। इस बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 2 अक्टूबर की देर रात जोबट (Jobat) से पूर्व कांग्रेस विधायक सुलोचना रावत (Sulochana Rawat) और उनके बेटे विशाल रावत (Vishal Rawat) ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। दोनों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली है।
उपचुनाव से पहले जोड़तोड़ शुरू
मध्यप्रदेश की 1 लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले प्रदेश की सियासत में जोड़-तोड़ का खेल शुरू हो गया है। देर रात को हुए इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद कांग्रेस हैरान है। दरअसल, सुलोचना रावत कांग्रेस के टिकट पर 2008 का चुनाव जीत चुकी है। 2013 में सुलोचना रावत को टिकट नहीं दिया गया था और 2018 के चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर विशाल रावत ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री, पूर्व मंत्री एवं जोबट विधानसभा से पूर्व विधायक सुलोचना रावत जी एवं उनके पुत्र श्री विशाल रावत ने आज भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
भाजपा परिवार में उनका स्वागत है। pic.twitter.com/7JhTEDu0B4
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) October 2, 2021
कांग्रेस खेल रही थी दांव, BJP ने फेर दिया पानी
कांग्रेस इस बार भी सुलोचना रावत पर दांव लगा सकती थी। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने जो पैनल तैयार किया था उसमें तीन नाम प्रमुख हैं जिसमें मुकेश पटेल दीपक भूरिया और सुलोचना रावत का नाम था लेकिन ऐन मौके पर बीजेपी ने दांव चलते हुए सुलोचना रावत को अपने पाले में शामिल कर लिया है। अब माना जा रहा है कि विशाल रावत या सुलोचना रावत दोनों में से किसी एक को जोबट विधानसभा सीट से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतार सकती हैं। हालांकि, देर रात हुए इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया है कांग्रेस ने दावा किया कि जोबट सीट कांग्रेस ही जीतेगी बीजेपी को आयातित उम्मीदवार का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
जयस की भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी
शनिवार को जयस ने भी जोबट सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है नितेश अलावा (Nitish Alawa) जो कि निलंबित पटवारी है उन्हें चुनावी मैदान में उतारने की जयेश ने पूरी तैयारी कर ली है जोबट (Jobat) विधानसभा सीट पर हुए इस घट घटनाक्रम के बाद इस सीट पर होने वाले उपचुनाव दिलचस्प हो गया है अब कांग्रेस को प्रत्याशी चयन के लिए नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ सकती है।