MP में BJP हाईकमान की नजर में नंबर बढ़ाने के फेर में पड़े 2 नेता, क्या है मालवा के मंत्री का नवाचार और कलेक्टर क्यों दे रहे सफाई?

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Harish Divekar
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MP में BJP हाईकमान की नजर में नंबर बढ़ाने के फेर में पड़े 2 नेता, क्या है मालवा के मंत्री का नवाचार और कलेक्टर क्यों दे रहे सफाई?

BHOPAL. 'भीगी-भीगी रातों में, ऐसी बरसातों में कैसा लगता है...' 1974 में आई फिल्म अजनबी का ये गाना कुछ ज्यादा ही मौजूं बना हुआ है। बस अंतर इतना है कि रात ही नहीं, सुबह-दोपहर-शाम कब बरसात हो जाए, पता ही नहीं लगता। घोर वैशाख में सावन की फीलिंग आ रही है। ऐसा लग रहा है तो लगने में फिलहाल कोई बुराई भी नहीं है। अभी बरस रहे बदरा असली मौसम में बरसेंगे या नहीं, कोई कुछ नहीं जानता। परमोच्च शक्ति के आगे हर भविष्यवाणी फेल है। खैर...। कर्नाटक चुनाव ने थोड़ी हवा में गर्माहट घोली हुई है। खड़गे जी के मुंह से 'साहेब' के लिए जहरीला सांप निकलना भारी पड़ गया। बाद में खड़गे जी सफाई भी दी, लेकिन जिस बात के लिए सफाई देनी पड़ जाए यानी कही गई बात में कुछ गड़बड़ तो थी। इतिहास गवाह है कि बयानों ने किसी को दिया है तो किसी से छीन लिया है। मध्यप्रदेश में 'कमल', 'शिव', 'राजा साहब' और 'महाराज' समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं। रणनीतियां बन रही हैं, बिसातें बिछाई जा रही हैं। एक पार्टी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तो दूसरी वर्चस्व की। फिलहाल तो गर्भ में छिपा है कि कौन देश के दिल में काबिज होगा। इधर, कई खबरें पकीं, कई ने खुशबू बिखेरी, कुछ बनते-बनते रह गईं, जायका लेने के लिए आप तो सीधे अंदरखाने उतर आइए...





लाड़ली पर इतराएं या बूथ का भरें दम





बीजेपी हाईकमान की नजरों में नंबर बढ़ाने के फेर में प्रदेश के 2 शीर्ष नेता कॉम्पीटिशन में आ गए हैं। कोर कमेटी की बैठकों में दोनों नेता अपना राग अपनी ढपली बजाते हैं। दोनों को दावा है कि 2023 में उनका प्रयास गेम चेंजर वाला होगा। मामा लाड़ली बहना योजना को क्रांतिकारी योजना बता रहे हैं तो वहीं भाई साहब बूथ विस्तारक से 51 परसेंट वोट का टारेगट पूरा करने की बात कर रहे हैं। पार्टी के कुछ असंतोषी जीव अब इसे प्रचारित कर रहे हैं कि मैदान में हालात खराब हैं और बैठकों में हम लाड़ली पर इतरा रहे हैं और बूथ को मजबूत करने का भर रहे हैं दम। सुन रहे हैं ना जामवाल जी....।





मालवा के मंत्री का नवाचार





अब तक आपने सुना होगा कि सरकार से मिलने वाले स्टाफ को मंत्री केवल बाबूगिरी के काम में लगाते हैं, बाकी काले-पीले कामों को निजी स्टाफ से करवाते हैं, लेकिन मालवा के एक सीधे-साधे से मंत्री अब एक कदम आगे बढ़ गए हैं। उनका नवाचार देखते ही बनता है, इन साहब ने अपनी गोपनीयता भंग होने के डर से सरकारी स्टाफ को दूर से नमस्ते कर रखी है। मंत्री जी ने पीए, ओएसडी से लेकर ड्रायवर तक निजी रखे हैं। मंत्री जी का मानना है कि सरकारी स्टाफ जासूसी करते हैं, मंत्री जी किससे मिलने जा रहे हैं, कौन मिलने आ रहा है, ये सारी बातें ऊपर तक पहुंच रही थीं।





माननीय पर भारी पड़े छोटे से नेता





मालवा की स्वर्ण नगरी के माननीय अरे अपने भैय्या जी को एक छोटे कद के नेता ने आईना दिखा दिया है। दरअ,सल भैय्या जी ने इस नेता को महापौर की दौड़ से बाहर करवाया था। तब से नेताजी ठान कर बैठे थे कि अब पद भैय्या जी से बड़ा कद बनाएंगे। नेताजी के प्रयास सफल हुए और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिल गया। अब ये साहब प्रोटोकॉल में माननीय से ऊपर हो गए हैं। भैय्या जी को इस बात का भारी धक्का लगा है, गम मिटाने के लिए माननीय ने अब रोजाना की बैठक में 2 पैग और बढ़ा दिए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें सबसे पैसे वाले विधायकों में शुमार भैय्या जी ने अब तक जिले में अपने हिसाब से राजनीति की है ये पहला अवसर है जब किसी ने उनकी लाइन छोटी की है।





प्रमुख सचिव का गुस्सा-ला-इलाज





सरकार में पावरफुल सीट पर बैठे प्रमुख सचिव का गुस्सा-ला-इलाज हो गया है। साहब अब तक 4 बार विपशयना मेडिटेशन करने जा चुके हैं, लेकिन उनका तनाव और अवसाद ला-इलाज होता नजर आ रहा है। हालात ये है कि साहब की चपेट में जो आ गया उसका बीपी शुगर सबकुछ बढ़ जाता है, हालात ये है कि मंत्रालय से लेकर मैदानी अफसर तक साहब से कन्नी काटने लगे हैं। साहब की हालात पर मुजतर खैराबादी का एक शेर याद आता है... इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता, तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता। हम आपको बता दें कि साहब चरित्र और ईमानदारी में नंबर-1 माने जाते हैं।





अफसरों का दर्द, किससे करें साझा





प्रदेश की अफसरशाही को नेता दे रहे दर्द, लेकिन वो चाहकर भी किसी से साझा नहीं कर पा रही है। अब बंद कमरा बैठकों और अपने बैच के सोशल मीडिया ग्रुप में एक-दूसरे से बात करके अपना दर्द साझा कर रहे हैं। दरअसल, बीजेपी की हर छोटी-बड़ी बैठक में सारा ठीकरा अफसरशाही हावी होने पर फोड़ा जा रहा है। ज्यादा प्रेशर बढ़ता है तो मामा अफसरों को चमकाकर ये मैसेज देते हैं कि अफसर कंट्रोल में हैं। अफसरों का दर्द ये है कि वो हर काम प्रभारी मंत्री और विधायक के कहने पर कर रहे हैं। कई लोग अपने कार्यकर्ताओं से भी काम करने के पैसे लेते हैं, जो भेंट-पूजा नहीं करता उसका काम नहीं होता उसका ठीकरा अफसरों पर फोड़ते हैं।





आईएएस कभी बुड्ढा नहीं होता





सरकार जिस तरह से सुपर सीनियर अफसरों का पुनर्वास कर रही है, उसके बाद से ये चर्चा चल निकली है कि आईएएस अफसर कभी बुड्ढा नहीं होता। सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट ऐज 60-62 है। इसके बाद अधिकतर 65 तक संविदा नौकरी कर सकते हैं, लेकिन आईएएस अफसरों पर ये फॉर्मूला लागू नहीं होता। अब देखिए न एक आयोग में 70 साल के आईएएस का पुनर्वास कर दिया। ये साहब वित्त विभाग में प्रमुख सचिव रहते रिटायर हुए थे, उसके बाद कैट में संविदा पर गए। अब सरकार उन्हें ढूंढ-ढांढकर जमीनों को सुधारने वाले आयोग में ले आई। अब बताइए जो अफसर खुद ठीक से अपना सुधार नहीं कर सकते वो क्या प्रदेश की जमीनों का सुधारेंगे, लेकिन कहते हैं ना, सरकार है जो चाहे कर सकती है, तो कर दिया।





कलेक्टर साहब दे रहे सफाई





बुंदेलखंड के एक कलेक्टर साहब की किसी दिलजले ने चर्चा वायरल कर दी कि उन्होंने अपने सरकारी बंगले में स्वीमिंग पूल बना लिया है। राजधानी में आलीशान बंगला भी बनवा रहे हैं। मामला जोर पकड़ता उससे पहले कलेक्टर साहब सक्रिय हो गए, उन्होंने सफाई देना शुरू कर दिया कि मेरा अब तक पूरे प्रदेश में अपने नाम से एक घर भी नहीं है, बंगला कहां से बनवाऊंगा। सरकारी बंगले में स्वीमिंग पूल बनाने पर बोले कि दिलजले लोगों के दिमाग की उपज है। मेरा बंगला खुला है आकर देख लीजिए।



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