देव श्रीमाली, GWALIOR. नामीबिया से लाये गये 8 में से दो चीतों को शनिवार को कूनो नेशनल पार्क के बड़े बाड़े में छोड़ा गया। ये 49 दिनों से क्वारंटीन थे। अब ये अपना शिकार खुद कर सकेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी इन्हें छोड़ने 17 सितंबर को स्वयं कूनो नेशनल पार्क पहुंचे थे । नामीबिया से कुल 8 चीते भारत आये है और सभी को कूनो के एक छोटे बाड़े में करके रखा गया है। इनमे से अभी सिर्फ दो को ही बड़े बाड़े में स्वतंत्र किया गया है , बाकी छह अभी छोटे बाड़े में ही रहेंगे।
पहले हुआ मनःस्थिति पर विचार
जिन चीतों को आज छोड़ा गया उन्हें गेट नम्बर 4 से बड़े बाड़े में छोड़ा गया। इससे पहले हुई टास्क फोर्स की बैठक में इन सभी चीतों की मन स्थिति की रिपोर्ट पर विचार किया गया । इसमें विशेषज्ञों की एक राय थी कि इन्हें अब ज्यादा दिन यहां रोकना ठीक नही है। इसके बाद दो चीतों की तत्काल रिहाई की गई और बाकी को चरणबध्द ढंग से छोड़ने की बात तय हुई।
छोड़े गए दोनो चीते नर
डीएफओ पीके वर्मा ने दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ने की पुष्टि की । उन्होंने बताया कि छोड़े गए दोंनो चीते नर हैं। इनके शिकार के लिए यहां पर्याप्त संख्या में हिरण और चीतल मौजूद हैं। आठ चीतों को 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बनाए गए 1500 वर्ग मीटर के छोटे बाड़े में छोड़ा था। उन्हें क्वारंटाइन रखकर खाने में मांस दिया है। लगभग डेढ़ माह बीतने के बाद अब उन्हें खुले में बड़े बाड़े में छोडऩे का प्रक्रिया शुरू की गई थी। निरीक्षण करने वाले सदस्यों में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के आइजी अमित मलिक, पीसीसीएफ वन्यजीव जेएस चौहान, वन बल प्रमुख आरके गुप्ता और चीता प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक और भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन वायवी झाला ने चीतों को बारी-बारी से छोड़ने पर सहमति जताई। डीएफओ पीके वर्मा ने बताया किदो नर चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया है, जहां इनके शिकार के लिए हिरन, चीतल जैसे छोटे जानवर मौजूद हैं। चीतों को एनटीसीए के एडीजी एसपी यादव के मार्गदर्शन में छोड़ा जा रहा है।
खतरनाक तेंदुए की चिंता
कूनो इलाके में एक खतरनाक और आक्रामक स्वभाव वाले एक तेंदुए की मौजूदगी सबको चिंतित किये हुए है। बताया जा रहा है कि जिस बड़े बाड़े में इन चीतों की शिफ्टिंग हो रही है वह खूंखार तेंदुआ आजकल उसी में डेरा डाले हुए है। इसे पकड़ने के व्यापक जाल बिछाए गए लेकिन वह अब तक हाथ नहीं आया है। इस तेंदुए से चीतों को बचाना वन अमले के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।