NEW DELHI/UJJAIN. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करने वाले हैं। उद्घाटन समारोह को लेकर 19 राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। वजह है- उद्घाटन राष्ट्रपति से ना कराकर प्रधानमंत्री के हाथों हो रहा है। इस बीच, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य कुलदीप सलूजा ने दावा किया है कि नई संसद का वास्तु ठीक नहीं है। इसी के कारण इसमें विवाद शुरू हो गए हैं।
क्या कहना है कुलदीप सलूजा का?
मध्य प्रदेश के उज्जैन में रहने वाले वास्तु विज्ञानी कुलदीप सलूजा कई पॉलिटीशियंस के लिए व्यक्तिगत तौर पर काम कर चुके हैं। उनके क्लाइंट्स में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के सबसे अहम व्यक्ति भी हैं, जिसे वे जाहिर करना नहीं चाहते। सलूजा के मुताबिक, वे इस निष्कर्ष पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुख्य आर्किटेक्ट विमल पटेल के दिए गए एक लंबे प्रेजेंटेशन को देखने और उस पर काफी शोध करने के बाद पहुंचे। सलूजा नए संसद भवन के आकार, प्लॉट और भवन, जमीन की ऊंचाई से लेकर पीएम और कर्मचारी आवास तक को ठीक नहीं बताते।
सलूजा ने इस पर एक पूरा रिसर्च पेपर तैयार किया है, जिसमें उन्होंने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कई बिंदुओं पर चर्चा की है। रिसर्च पेपर में उन्होंने बताया है कि 64,500 वर्गमीटर में बनी भव्य इमारत कई मायनों में वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं हैं और देश के लिए परेशानी भरी साबित हो सकती है।
वास्तुदोषों के चलते देश को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है
ज्योतिषाचार्य सलूजा का कहना है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कई छोटे-छोटे वास्तुदोष हैं, जो यहां होने वाली गतिविधियों को प्रभावित करेंगे। इन वास्तुदोषों का प्रभाव यह होगा कि भारत अपने दुश्मन देशों से जूझने में अपनी ताकत लगाने की वजह से आपसी विवाद में ही उलझा रहेगा। देश में कई आर्थिक कष्ट आएंगे और सुख का अभाव होगा।
वहीं, नए संसद भवन की त्रिकोणीय इमारत को लेकर पहले ही काफी सवाल उठते रहे हैं। इस बारे में सलूजा बताते हैं कि वास्तु शास्त्र में वर्गाकार (Square) या आयताकार (Rectangle) प्लॉट ही शुभ माना जाता है। त्रिकोणीय भवन कभी भी वास्तु के अनुसार शुभ नहीं माना जाता। त्रिभुजाकार भूखंड/भवन में रहने वाले जातकों को शत्रुओं से कष्ट मिलता है।
नए संसद भवन में ग्राउंड फ्लोर है, पुराने में नहीं
सेंट्रल विस्टा प्रोजक्ट में पश्चिम दिशा में रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट होते हुए पूर्व दिशा में स्थित यमुना नदी वाले भाग तक जमीन की निचाई पूर्व दिशा की ओर है। नए संसद भवन के नीचे लोअर ग्राउंड फ्लोर है। पुराने संसद भवन में लोअर ग्राउंड फ्लोर नहीं है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक बन रहे सेंट्रल विस्टा के मध्य में 4 प्लॉट पर 51 हजार कर्मचारियों के लिए 11 आयताकार इमारतें हैं, जिसमें से 9 इमारतें मंत्रालयों के ऑफिसों की, 1 सेंट्रल कान्फ्रेंस सेंटर और 1 अन्य इमारत होगी। इन सभी के नीचे 6 मीटर गहरा लोअर फ्लोर होगा। सलूजा के मुताबिक, पूर्व दिशा में जमीन की ऊंचाई होना ठीक नहीं है। ऐसे में हार का सामना करना पड़ता है।
सलूजा ने रामायण का भी उल्लेख किया
अपनी इस बात को पुष्ट करने के लिए सलूजा ने अपने रिसर्च पेपर में रामायण के किष्किंधा कांड की एक घटना का उल्लेख भी करते हैं। उन्होंने लिखा है कि श्रीराम और लक्ष्मण बाली वध के बाद पर्वत पर निवास के लिए अनुकूल स्थान की तलाश कर रहे थे, तब पर्वत की सुंदरता का वर्णन करते हुए एक स्थान पर रुककर राम से कहते हैं- “लक्ष्मण! यह स्थान देखो, इस स्थान का पूर्व नीचा व पश्चिम ऊंचा है। यहां पर पर्ण कुटी बनाना श्रेष्ठ रहेगा। यह स्थान सिद्धिदायक एवं विजय दिलाने वाला है।”
नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा हैं। ये भवन अर्धवृत्ताकार आकार के हैं। एक हेक्सागोनल (षट्कोणीय) डाइनिंग हॉल और एक त्रिकोणीय संविधान गैलरी है, जो ठीक नहीं है। सलूजा ने नए संसद भवन में उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम दिशा में हुए विस्तारीकरण पर लिखा है कि ऐसा करना अर्थव्यवस्था, खुशी, बच्चों (नागरिक) और शांति को नष्ट कर देता है, अपमान, दुख और असामयिक मृत्यु का भय लाता है।
प्रधानमंत्री आवास में भी गड़बड़
सलूजा ये भी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास को भी अनियमित ढंग से बनाया गया है जो कि अशुभ फल देने वाला होगा। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि वास्तु के अनुसार प्लॉट या भवन का ईशान कोण कटा होने पर, वहां रहने वाले लोगों को जीवनयापन करने में कठिनाई होती है और उनकी आर्थिक स्थिति खराब रहती है और यश में कमी आती है।