UJJAIN. मध्य प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने अब अपनी ही सरकार के एमपीआरबी अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल बिजली विभाग द्वारा आंकलित खपत का बिल जनता के हाथ में थमाए जाने के मामले में विधायक पारस जैन जनता के पक्ष में नजर आए। पारस जैन ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर आकलित बिल (Estimated Bill) दिया तो जनता बिल नहीं जमा करेगी।
वीडियो में ये बोले बीजेपी विधायक
उज्जैन की उत्तर विधानसभा से बीजेपी के विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री पारस चंद जैन ने एक वीडियो जारी करते हुए अपनी ही सरकार और सरकारी नुमाइंदों को चेतावनी देते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा कि बिजली बिल को लेकर उज्जैन की जनता को बहुत परेशानी है। एक बार ऊर्जा मंत्री ने वीडियो में कहा था कि प्रदेश के अंदर कोई भी आकलित (अनुमानित बिल, Estimated Bill) नहीं देगा। मैं कहना चाहता हूं कि अगर आंकलित बिल दिए जाते हैं तो जनता उस बिल का भुगतान नहीं करेगी। एक दिक्कत ये भी है कि बिजली विभाग से कोई मीटर निकालकर ले जाता है और 6 महीने-सालभर बाद कहता है कि इतना पैसा बकाया है। हम भी चाहते हैं कि नया मीटर लगाएं, इस तरह की गड़बड़ियां ना करें। अगर विभाग इसी तरह करता रहा तो बीजेपी के कार्यकर्ताओं को आंदोलन करना पड़ेगा। मेरी भी बिजली विभाग के बड़े अधिकारी से भी बात हुई है। उन्होंने भी कहा कि उनकी तरफ से आकलित बिल देने के आदेश नहीं दिए गए।
ये है मामला
पिछले कई दिनों से बिजली विभाग जनता को अनुमानित बिल दे रहा था और उसकी वसूली की जा रही थी। इस मामले में सरकार के विद्युत विभाग के अधिकारियों को ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कहा था कि किसी भी प्रकार से जनता को अनुमानित बिल नहीं दिया जाए। इसके बावजूद बिजली विभाग द्वारा ना सिर्फ अनुमानित बिल दिए जा रहे हैं, बल्कि उनकी वसूली भी सख्ती के साथ की जा रही है। इस बात की लगातार शिकायत पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजेपी विधायक पारस जैन को मिल रही थी, इसके बाद उन्होंने एक चेतावनी के रूप में अपना वीडियो जारी किया।
चुनावी साल में बीजेपी की फजीहत
इस साल (2023) के आखिर में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन इससे पहले पार्टी के कई सीनियर नेता सरकार पर ही सवाल उठाते दिख रहे हैं। प्रदेश के सियासी मामलों की जानकारों की मानें तो बीजेपी नेताओं का लगातार सरकार पर निशाना साधना पार्टी पर भारी पड़ सकता है। अपनी ही सरकार को आड़े हाथ लेने वालों में विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, पूर्व मंत्री दीपक जोशी, पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले, गौरीशंकर बिसेन, कैलाश विजयवर्गीय, उमाशंकर गुप्ता, अनूप मिश्रा जैसे नाम हैं। कुछ महीनों पहले ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सरकार के खिलाफ ये कहते हुए मोर्चा खोल दिया कि जब तक उनके क्षेत्र में सड़कें नहीं बन जाएंगे, तब तक चप्पल-जूते नहीं पहनेंगे। प्रद्युम्न सिंह कट्टर सिंधिया समर्थक माने जाते हैं। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही उन्हें चप्पल पहनाई।
उमा का लगातार शराबबंदी आंदोलन
बीते करीब एक साल से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी आंदोलन छेड़े हुए हैं। पिछले साल मार्च में भोपाल में एक शराब दुकान पर पत्थर फेंका, फिर एक दुकान पर गोबर फेंका था। उमा भारती नई शराब नीति में बड़ी घोषणा चाहती हैं। अब शराब से रेवेन्यू भी आता रहे और उमा भी मान जाएं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए ये चुनौतीभरा होने वाला है।