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BHOPAL. उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में तेज हवा के चलते सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां टूट गईं। इस पर जबर्दस्त राजनीति हो रही है। कांग्रेस इसमें खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। अब इसे लेकर मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें कहा कि 2018 में टेंडर निकला था, 2020 में कांग्रेस ने पेमेंट किया। इसको लेकर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर आरोप कैसे लगा सकती है?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोले भूपेंद्र सिंह?
मंत्री भूपेंद्र सिंह बोले- 2017 में महाकाल लोक बनाने का फैसला किया था और इसके लिए 100 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का फैसला किया। 200 करोड़ की राशि भू अर्जन के लिए दी। 2018 में जब हमारी सरकार थी, तब महाकाल लोक का टेंडर किया गया था। महाकाल लोक के टेंडर के बाद बीच में कांग्रेस की सरकार आई। कांग्रेस की सरकार में 7 मार्च 2019 को इसका वर्कऑर्डर जारी हुआ। 18 जून 2019 को आर्टवर्क और मूर्ति लगाने का फैसला किया गया यानी तकनीकी स्वीकृति दी गई। 13 जनवरी 2020 में भी कांग्रेस की सरकार थी। 28 फरवरी को जो पेमेंट हुआ, तब भी कांग्रेस की सरकार थी। सज्जन सिंह वर्मा उज्जैन के प्रभारी मंत्री थे। उस वक्त के मुख्यमंत्री नगरीय प्रशासन मंत्री और चीफ सेक्रेटरी ने सबकुछ देखा था।
सिंह ने ये भी कहा कि महाकाल लोक निर्माण सरकार का बहुत बड़ा धार्मिक निर्णय था। महाकाल लोक का सारा काम गुणवत्ता के अनुसार हुआ है। सीपेट ने इसका तकनीकी परीक्षण किया। एफआरपी की 100 मूर्तियां परिसर में लगी है, जिनकी लागत 7.5 करोड़ है। ये आर्ट एफआरपी पर संभव है। पत्थर पर बहुत समय लगता है और उसके बाद भी फिनिशिंग नहीं आ पाती। देश के कई जगहों पर एफआरपी का की मूर्तियां लगी हुई हैं। महाराष्ट्र के पंढरपुर (शेगांव), अक्षरधाम, सिक्किम और इंडोनेशिया में कई जगहों पर एफआरपी की मूर्तियां लगी हुई है। जिस एजेंसी ने मूर्तियां लगाईं, उसके पास तीन साल के मेंटेनेंस का कॉन्ट्रैक्ट है। जो 6 मूर्तियां गिरी हैं, उन्हें फिर से स्थापित किया जाएगा। उज्जैन संभाग के कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक, उस दिन (28 मई को) हवा की रफ्तार 55 किमी/घंटा थी और मूर्तियों की हाइट काफी ज्यादा थी। तेज हवा और आंधी से कई मकान और पेड़ गिरे। इन मूर्तियों की हाइट भी बहुत ज्यादा थी।
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महाकाल लोक के निर्माण में 370 करोड़ का घोटाला- पारस सकलेचा
प्रदेश कांग्रेस महासचिव और आरोप पत्र समिति के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक पारस सकलेचा के मुताबिक, अनाधिकृत समिति ने टेंडर की लागत को और शर्तों को मनमर्जी से बदलकर गोलमाल किया। शासन के संज्ञान में घोटाला आने के बाद भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। लोकायुक्त ने जब 15 अधिकारियों पर केस दर्ज कर 21 अक्टूबर 22 को नोटिस दिया तो शिवराज ने कार्रवाई करने वाले लोकायुक्त के डीएसपी कैलाश मकवाना का 3 दिसंबर 2022 को लोकायुक्त से तबादला कर दिया। जबकि उन्हें लोकायुक्त में पदभार ग्रहण किये मात्र 3 महीने ही हुए थे। मूर्ति के चयन में कमलनाथ सरकार के समय बनाई गई डीपीआर मे बदलाव किया गया। जो मूर्ति अष्टधातु की बनना थी, उसके स्थान पर उसे उसी दर मे निम्न क्वालिटी धातु की बनाई गई। जब मूर्ति की उम्र मात्र 10 साल है तो क्या 10 साल बाद वहां पर मूर्ति हटाकर पेड़ लगाएंगे?
(इनपुट- रतलाम से आमीन हुसैन)