इंदौर. मिस्र मध्यप्रदेश से गेहूं के आयात की संभावनाएं तलाश रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से ऐसा हुआ है। ऐसे में मालवी गेहूं की खूबियां और निर्यात की व्यवस्था जानने मिस्र का एक प्रतिनिधिमंडल इंदौर पहुंचा है। 3 सदस्यीय इस दल ने 2 दिनों में गेहूं की विभिन्न किस्मों की पड़ताल करते हुए जांच की, साथ ही मंडी बोर्ड, अफसरों और विशेषज्ञों से भी चर्चा की।
भारतीय गेहूं की डिमांड बढ़ी
बताया जा रहा है कि जल्द ही मालवी गेहूं अब इजरायल समेत इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, मलेशिया आदि देशों में भी भेजा जा सकता है। इसके अलावा पूर्वी एशिया के कई देशों में भी अब मध्य प्रदेश के गेहूं की मांग है। अगर मिस्र में निर्यात शुरू होता है, तो उससे गेहूं का निर्यात बढ़ेगा। कलेक्टर ने मिस्र से आए दल को मालवी गेहूं की खासियत भी बताई।
जानें, क्यों खास है मालवा का गेहूं ?
मध्यप्रदेश के सीहोर और मालवा अंचल में होने वाला गेहूं काफी पौष्टिक माना जाता है। गेहूं मोटा दलिया बनाने के काम में आता है। इसके अलावा ब्रेड औख अन्य खाद्य सामग्री भी इस गेहूं से काफी पौष्टिक बनती है। इंदौर कलेक्टर ने बताया कि राज्य सरकार गेहूं के निर्यात के लिए बड़े पैमाने पर प्लानिंग कर रही है। लिहाजा आने वाले दिनों में 20 से 30% गेहूं का निर्यात इजिप्ट को किया जा सकता है। इसके अलावा इजिप्ट देश के दल ने इंदौर का सेंट्रल वेयरहाउस और भंडारण की व्यवस्था देखी, जिसे लेकर वह काफी संतुष्ट नजर आए।
युद्ध के बीच 46 लाख टन गेहूं का निर्यात
यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते मिस्र देश के अलावा इजरायल, ओमान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में खाद्यान्न संकट गहरा रहा है। लिहाजा रूसी सप्लाई नहीं हो पाने के कारण इन देशों ने भारत से संपर्क किया। हालांकि, युद्ध के बीच भारत से अब तक 46 लाख टन गेहूं का निर्यात हो चुका है। यह बीते साल की तुलना में 3 गुना ज्यादा है। मध्य प्रदेश कृषि कर्मण अवॉर्ड लगातार जीतता रहा है और यहां का गेहूं देश-दुनिया में मशहूर भी। विदेशियों को मालवा का गेहूं काफी पसंद आता है।