Bhopal. मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद बीते कुछ माह से फिर सक्रिय हैं। मांग पहले प्रदेश में शराबबंदी की थी, अब नई शराब नीति को लेकर उमाभारती अड़ गई हैं। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो आगे जो होगा वो सब देखेंगे। उमा की चेतावनी पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी जवाब देने के बजाए केवल मुस्कुरा दिए हैं। यह चुनावी साल है और बीजेपी पिछड़े वर्ग के वोटों को रिझाने में लगी है। ऐसे में उमाभारती की नाराजगी उसकी टेंशन बढ़ा रही है।
ओबीसी पर दे चुकी हैं बयान
उमा भारती ने दिसंबर माह में बयान दिया था कि बीजेपी यूपी और मप्र में मेरा फोटो दिखाकर लोधियों से वोट मांगती है लेकिन आम दिनों में मेरी तस्वीर को नहीं लगाया जाता, चुनाव में जरूर लग जाता है। वहीं इसी बयान के 6 दिन बाद उन्होंने कहा था कि चुनाव में वे वोट मांगने जरूर आएंगी लेकिन यह नहीं कहेंगी कि लोधियो बीजेपी को वोट दो। आप सभी लोग मेरी तरफ से राजनैतिक बंधनों से आजाद हैं।
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इसलिए फिर हुईं एक्टिव
उमा भारती संन्यास लेने के बाद फिर क्यों एक्टिव हुई हैं इसके पीछे राजनैतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि टीकमगढ़ और बुंदेलखंड में उमा भारती का वजूद शून्य में जा चुका था। भतीजे राहुल लोधी के खिलाफ अदालत के फैसले के बाद वहां की परिस्थितियां भी सही नहीं है। दूसरा कारण यह बताया जा रहा है संन्यास लिए जाने के बाद उमाभारती की हाईकमान की ओर से कोई पूछपरख नहीं थी। वे उम्मीद में थीं कि उन्हें कोई संवैधानिक पद दिया जाएगा, लेकिन उन्हें किसी भी राज्य का राज्यपाल नियुक्त नहीं किया गया। यही कारण है कि उन्होंने शराबबंदी को मुद्दा बना लिया, जिससे वे चर्चा में भी आ चुकी हैं।
50 सीटें लोधी बहुल
उमा भारती लोधी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। प्रदेश के 17 जिले लोधी बहुल हैं जिनमें 50 विधानसभा सीटें हैं। यही वजह है कि उमा भारती के खिलाफ बीजेपी नेता सीधे कोई बयान देने से बच रहे हैं। माना जा रहा है कि उमा भारती यदि शराबबंदी के मुद्दे पर 6 महीने और अड़ी रहीं तो बीजेपी को तगड़ा नुकसान हो सकता है। क्योंकि इस अभियान से महिलाएं भी भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं।