चाचा-भतीजे की सीट है इंदौर-3 विधानसभा, कांग्रेस आठ और बीजेपी 4 बार चुनाव जीती, हार-जीत में मुस्लिम वोटर की अहम भूमिका 

author-image
Vivek Sharma
एडिट
New Update
चाचा-भतीजे की सीट है इंदौर-3 विधानसभा, कांग्रेस आठ और बीजेपी 4 बार चुनाव जीती, हार-जीत में मुस्लिम वोटर की अहम भूमिका 

INDORE. इंदौर 3 विधानसभा क्षेत्र इंदौर का व्यवसायिक केंद्र है। सर्राफा बाजार, बर्तन बाजार, क्लॉथ मार्केट, खजूरी बाजार  ये सब इंदौर के उन बाजारों के नाम है जो न केवल इंदौर बल्कि मालवा क्षेत्र के हर जिले में पहचाने जाते हैं। ये इंदौर का मध्य क्षेत्र है। 1957 में इस सीट पर पहला चुनाव हुआ तब ये विधानसभा सीट इंदौर सिटी सेंट्रल के नाम से ही पहचानी जाती थी। कांग्रेस के बाबूलाल पाटोदी इस सीट के पहले विधायक थे। पाटोदी 1962 का चुनाव भी यहीं से जीते। 1965 के बाद सोशलिस्ट पार्टी के के जैन ने चुनाव जीता। 1972 में जब कांग्रेस के चंद्रप्रभाष शेखर ने यहां से चुनाव लड़ा और जीता तब ये सीट इंदौर सिटी सेंट्रल के बजाए इंदौर-3 हो गई थी।  1980 और 1985 इन दो चुनावों में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया और महेश जोशी यहां से विधायक चुने गए  लेकिन 1990 और 1993 के चुनाव के ये सीट फिर बीजेपी के खाते में चली गई गोपीकृष्ण नेमा यहां से विधायक चुने गए। 1998 में पहली बार यहां महेश जोशी के भतीजे अश्विन जोशी ने यहां से चुनाव जीता तब से ये सीट चाचा-भतीजे की सीट कहलानी लगी। क्योंकि अश्विन जोशी 2003 और 2008 का चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे लेकिन 2013 का चुनाव अश्विन हार गए और ऊषा ठाकुर ने यहां से जीत दर्ज की। 2018 में यहां मुकाबला अश्विन जोशी बनाम आकाश विजयवर्गीय हुआ और इसी सीट से 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर आकाश विजयवर्गीय ने राजनीति में डेब्यू किया



 सियासी मिजाज




  • इंदौर-3 विस सीट, इंदौर का मध्य क्षेत्र


  • व्यवसायिक क्षेत्र इसी सीट से जुड़ा

  • कांग्रेस के बाबूलाल पाटोदी पहले विधायक

  • 1972 में इंदौर मध्य से इंदौर-3 सीट बनी

  • कांग्रेस के महेश जोशी दो बार चुनाव जीते

  • 1990-93 में बीजेपी के गोपीकृष्ण नेमा विधायक बने

  • 1998 में अश्विन जोशी ने राजनीतिक डेब्यू किया

  • जोशी लगातार तीन बार विधायक चुने गए

  • 2013 में ऊषा ठाकुर ने यहां से जीत दर्ज की

  • 2018 में आकाश विजयवर्गीय का सियासी डेब्यू हुआ



  • जातिगत समीकरण



    इंदौर 3 में कांग्रेस आठ चुनाव जीती है और बीजेपी 4 चुनाव। 2003 के चुनाव में बीजेपी की आंधी में भी इंदौर 3 से कांग्रेस को जीत मिली थी उसके बाद 2008 में भी  उसकी वजह है यहां के जातिगत समीकरण।  दरअसल इस सीट पर 40 हजार वोटर मुस्लिम समाज के हैं. जो प्रत्याशी की जीत हार में अहम भूमिका निभाते हैं। बाकी समुदाय के मतदाताओं की बात की जाए तो एस-एसटी वोटर्स की संख्या है करीब 30 हजार, ब्राह्मण वोटर्स की संख्या है करीब 26 हजार, मराठी वोटर्स- 16 हजार, जैन- 12 हजार, अग्रवाल 10 हजार इस तरह से ये मिलीजुली सीट है और हर वर्ग अपने हिसाब से प्रत्याशी को वोट देता है।



    यह भी पढ़ेंः कोलारस में सियासी कोलाहल, नजर इस पर- 2023 में सिंधिया समर्थक या फिर बीजेपी में से किसे मिलेगा टिकट?



    सियासी समीकरण



    इंदौर 3 के सियासी समीकरण बेहद पेचीदा है क्योंकि कुछ चुनावों को छोड़ दिया जाए तो यहां जीत और हार का अंतर ज्यादातर चुनावों में 5 हजार से 10 हजार के बीच रहा है।  यानी मतदाता पार्टी के साथ साथ चेहरे को तवज्जो देता है। बीजेपी ने भले ही 2018 में चुनाव जीता है लेकिन जीत का अंतर बेहद कम रहा है। 2013 में ऊषा ठाकुर ने यहां से करीब 15 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था लेकिन आकाश विजयवर्गीय की जीत का अंतर करीब 5 हजार रहा है। अब इस सीट पर आकाश विजयवर्गीय ही दोबारा मैदान में उतरेंगे या नहीं इसे लेकर थोड़ा संशय है क्योंकि आकाश का राजनीतिक भविष्य पिता कैलाश के कदम पर टिका है। कैलाश विजयवर्गीय यदि इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाते है या पार्टी ने उन्हें टिकट देने पर विचार करती है तो आकाश को सीट छोड़ना पड़ेगी। ऐसे हालात में या तो ऊषा ठाकुर दोबारा इस सीट पर आ सकती है या फिर बीजेपी कोई नेता चेहरा उतार सकती है। दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो जोशी परिवार का इस सीट पर कब्जा है पिछली बार महेश जोशी ने भतीजे के बजाए अपने बेटे पिंटू जोशी को टिकट देने की पैरवी की थी.. अब पिंटू जोशी एकबार फिर इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस के पास और कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आता।



     सियासी मूड और मुद्दे



    स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से राजवाड़ा और उसके आसपास के रहवासी और व्यापारी परेशान है और लोगों की नाराजगी का अंदाजा नगर निगम चुनाव के नतीजों से समझा जा सकता है। इंदौर 3 विधानसभा में 10 वार्ड है जिसमें से बीजेपी ने भले ही 8 वार्ड जीते और कांग्रेस ने 2 वार्ड मगर जीत का अंतर विधानसभा चुनाव के अंतर से भी कम रहा। बीजेपी के पुष्यमित्र भार्गव को यहां से करीब 4 हजार वोटों की लीड मिली जबकि विधानसभा चुनाव बीजेपी करीब 5 हजार वोटों से जीती थी.. ऐसे में बीजेपी के लिए चिंता का सबब है ही.. यहां के लोगों के अलावा द सूत्र ने हारे प्रत्याशी और पत्रकारों से बातचीत की तो आकाश विजयवर्गीय से जो सवाल पूछे।



    #MOOD_OF_MP_CG2022 #MoodofMPCG


    MP News मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव MP Assembly Election 2023 Madhya Pradesh Assembly Election Akash Vijayvargiya mp election Mood of MP CG mp chunav Mood_of_MP_CG2022 Indore-3 assembly seat