2023 के अंत में हो रहे मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जनता की सरकार, किस झंडे तले?

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Rajeev Khandelwal
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2023 के अंत में हो रहे मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जनता की सरकार, किस झंडे तले?

BHOPAL. वर्ष 2023 में होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम का प्रथम आकलन किए हुए 15 दिवस व्यतीत हो चुके हैं, ताकि सही परिणाम के निकट पहुंचा जा सके। प्रत्येक 15 दिन बाद आकलन का पुनरावलोकन करना है। अतः बीते इन 15 दिनों में क्या कुछ राजनीतिक रूप से घटित हुआ है या भविष्य में घटने की संभावना बनी हैं, उस पर विचार मंथन करना होगा। साथ ही उन अनछुए मुद्दों पर भी विचार करने की आवश्यकता है, जिन पर पूर्व में लेख में जगह की कमी के कारण विचार नहीं कर पाए। तभी अनुमानित परिणाम का ज्यादा सटीक आकलन हो पाएगा।



लोकलुभावन बजट



सर्वप्रथम 1 मार्च मध्यप्रदेश विधानसभा में वित्तीय वर्ष 23-24 के लिए बजट पेश हुआ। वैसे तो चुनावी वर्ष होने के कारण हर पार्टी और सरकार की तरह बीजेपी की सरकार ने भी चुनावी वैतरणी पार करने के लिए बजट का महत्वपूर्ण लेकिन कष्ट देने वाला भाग को 'अनछुआ' कर दिया। अर्थात कोई 'नया टैक्स' प्रस्तावित नहीं किया गया, बल्कि कुछ वर्तमान टैक्सों में रियायतें दी गई। सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान लगभग आधी से कुछ कम जनसंख्या 'मां' 'बेटी' और 'बहना' के रूप में महिलाओं को कुल बजट एक तिहाई से अधिक बजट प्रावधान रखा गया। इसी प्रकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आबादी की कुल लगभग 37 प्रतिशत आबादी के लिए भी 37 प्रतिशत से अधिक बजट प्रावधान रखा गया जो सकल 85 प्रतिशत से अधिक होकर कुल मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को लुभाने का कार्य किया, जिसका परिणाम चुनाव परिणाम पर आना स्वाभाविक है।



एक और अनछुआ पहलू



एक और अनछुआ पहलू 'सपाक्स पार्टी' की पिछले चुनाव में मौजूदगी की भी है। यद्यपि उनकी वास्तविक उपस्थिति तो बहुत कम (नगण्य) हुई थी, परन्तु परसेप्शन बड़ा होने से 'माई के लाल' नारे ने प्रभाव अवश्य डाला। इस कारण बीजेपी बहुमत से मात्र कुछ सीटें दूर रह गई थी, जो स्थिति वर्तमान परिस्थितियों में बिल्कुल भी नहीं दिखती है। यह एक लाभदायक स्थिति (एडवांटेजियस पोजीशन) बीजेपी के पक्ष में है, जो बीजेपी को एक अतिरिक्त अंक देती है।



आगामी चुनाव में जीत का ब्रम्हास्त्र



युवा तर्क के रूप में पांव-पांव बने शिवराज सिंह चौहान की 'लाड़ली लक्ष्मी योजना' के बाद उन्होंने अपने तरकश से नया तीर निकाला है, 'लाड़ली बहना योजना' जो 8 मार्च से प्रारंभ हो चुकी है। यह तीर आगामी चुनाव में जीत का ब्रह्मास्त्र बन सकती है? 4 मार्च को शिवराज सिंह ने अर्जुन सिंह की प्रतिमा का अनावरण कर और रीवा जिला के मऊगंज तहसील को जिला घोषित कर आज कांग्रेस के एक बड़े नेता के समर्थकों की सहानुभूति लेने का भी प्रयास किया है कितने सफल होगें यह भविष्य ही बताएगा। एक आश्चर्यजनक तथ्य पर भी आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि मीडिया सर्किल में आज किसी से भी बात कीजिए तो वह कांग्रेस को एक 'एज' (बढ़ावा) देते हुए दिखाई देंगे। जबकि इसी मीडिया को कुछ लोगों ने 'गोदी मीडिया' कहकर प्रचारित भी किया है।



बीजेपी को 6 और कांग्रेस को 4 अंक



अंगद के पांव के समान 18 साल जमे रहने का कीर्तिमान कायम कर डालने वाले शिवराज सिंह चौहान का अभी तक का मां और बहन के लिए बेटा और मामा की अद्भुत पहचान बनाए रखने के साथ अब आगामी चुनाव लड़ने के लिए अपने व्यक्तित्व में एक और व्यक्तित्व भाई (लाड़ली बहना योजना) के रूप में मुकुट में एक और हीरा जड़े जाने से लगभग 50 प्रतिशत से कुछ कम जनसंख्या को प्रभावित करने वाली योजनाओं का चुनाव में कितना असर पड़ेगा यह भी देखने की बात होगी? जैसे-जैसे लाड़ली बहना योजना की राशि बहनों के खातों में जाएगी, कितने वोट को प्रभावित करेगी, यह देखना कम दिलचस्प नहीं होगा? इसका चुनाव परिणाम में पड़ने वाले असर को अगले 2-3 महीनों बाद आकलन करने का  प्रयास किया जाएगा। अतः उपरोक्त कार्यों को देखते हुए एक अंक की बढ़त के साथ 6 अंक बीजेपी और 4 अंक कांग्रेस के लिए।


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