Jabalpur. धान खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों के रकबे की पुनर्सत्यापन रिपोर्ट पर खाद्य विभाग ने आपत्ति उठाई है। कलेक्टर को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि तहसीलदारों ने न केवल अन्य फसलों के स्थान पर धान की खेती होना दर्शा दिया बल्कि जिन खसरों में मकान और अन्य भवन बने हुए हैं, वहां भी धान की फसल लगी होना दर्शा दिया है। साफ है कि बिना मौके पर जाए कागजों पर ही सत्यापन कर दिया गया।
फिर गठित होगा जांच दल
बता दें कि तहसीलदारों द्वारा धान पंजीकृत किसानों के रकबे का सत्यापन किया गया था। यह पूरी प्रक्रिया खरीदी के पहले ही पूरी हो गई थी। खरीदी शुरू होने के बाद खाद्य और नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने पत्र लिखकर प्रशासन को जानकारी दी कि रकबे का परीक्षण सेटेलाइट इमेज के आधार पर कर दिया गया। सेटेलाइट इमेज में फसल धान की है या किसी और जींस की यह समझ में नहीं आता। वहीं सेटेलाइट इमेज में साफ दिखाई दे रहे मकानों और अन्य निर्माणों पर भी धान की फसल होना दर्शाया गया है।
अन्य फसलों को भी बता दिया धान
गड़बड़ी की आशंका को ध्यान में हुए रकबों का पुनर्सत्यापन कराने के निर्देश जारी किए जा रहे हैं। जिनमें एक जांच दल का गठन करके फिर से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि 3 हजार से ज्यादा खसरे ऐसे हैं जो कृषि योग्य ही नहीं हैं वहीं 11 हजार से ज्यादा रकबे में कोई और फसल ली गई थी, जिसे धान का रकबा बता दिया गया।
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जो बेच चुके उनकी भी होगी जांच
कहा जा रहा है कि अब विभाग उन किसानों के खसरों का भी मौके पर सत्यापन जांच कराएगा,जिनकी धान समर्थन मूल्य पर बिक चुकी है। वहीं ऐसे किसानों के खसरों का सत्यापन तहसीलदार की बजाय कलेक्टर के लॉगिन से कराया जाएगा। इस दौरान जो किसान पात्र पाए जाऐंगे उनका ही धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।