नीरज चौरसिया, विदिशा. शहर का अस्तित्व बेतवा नदी (Betwa river) से है। इसके बाद भी नगरपालिका की उदासीनता का आलम ये है कि पिछले एक पखवाड़े भर से जीवनदायिनी और कलयुग की गंगा कहीं जाने वाली बेतवा दुर्दशा का शिकार है। पूरी नदी पर 1 से 2 किलोमीटर के दायरे में हरी काई और जलकुंभी इकठ्ठा हो गई है। गंदगी की वजह से नदी में रहने वाले जीवों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। ऑक्सीजन की कमी से नदी के जलीय जीव मर रहे हैं। अब शहर के पर्यावरण प्रेमियों ने नगरपालिका (vidisha nagar palika) को सफाई के लिए अल्टीमेटम दिया है।
बैठक में फैसला: नदी को सफाई के लिए 20 मार्च को बालाजी मंदिर में एक बैठक आयोजित की गई। इस मीटिंग में शहर के पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी शामिल हुए। पर्यावरण प्रेमियों ने नदी की सफाई (river cleaning) के लिए नगरपालिका को 26 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर फिर भी नगरपालिका का रवैया ऐसा ही रहता है तो नालों पर मिट्टी डाल देंगे।
पर्यावरण मित्र नीरज चौरसिया ने बताया कि आज की बैठक मां वैत्रवती को संरक्षित करने के लिए रखी गई थी। नदी की दुर्दशा हो चुकी है। नदी पर काई और जलकुंभी की परत जम गई है। वह अपने आप को सहेजे जाने का इंतजार कर रही है। नगर पालिका की उदासीनता के कारण बेतवा की ये स्थिति है। जल है तो कल है। बेतवा है तो हम है। 26 मार्च तक प्रशासन यदि नदी की सफाई कराकर जलकुंभी और काई नहीं हटाता तो बेतवा नदी में मिलने वाले नालों में मिट्टी और मुरम डालकर उसे बंद करेंगे।