विदिशा के बबचिया हत्याकांड का 12 साल बाद आया फैसला, 33 को उम्रकैद, 12 अब भी फरार

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BP Shrivastava
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विदिशा के बबचिया हत्याकांड का 12 साल बाद आया फैसला, 33 को उम्रकैद, 12 अब भी फरार

VIDISHA. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के बहुचर्चित बबचिया हत्याकांड में 12 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। इतने साल पहले बबचिया गांव में दिन दहाड़े सैकड़ों लोगों के सामने खूनी खेल खेला गया था। जिसमें 6 लोगों की हत्या कर दी गई थी। कोर्ट ने इस केस में 33 लोंगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस केस में 54 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 12 अब भी फरार हैं। 4 पर जुवेनाइल कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। कोर्ट ने 38 लोगों को दोषी करार दिया है। इनमें से 5 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। फैसले के दौरान 33 दोषी कोर्ट में मौजूद थे।  27 मई को विदिशा के गंजबासौदा में प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट में सुनवाई हुई। फैसले के बाद दोषियों को भोपाल के सेंट्रल जेल भेज दिया गया।



फिल्मी कहानी की तरह दिया गया हत्याकांड को अंजाम



बबचिया हत्याकांड को लेकर इस बात की भी खूब चर्चा थी कि दोनों पक्षों ने रोज-रोज की लड़ाई से परेशान होकर एक बार में ही आर या पार का फैसला करने का मन बनाया था। फिल्म की तरह ही दोनों पक्षों ने लड़ने के लिए एक जगह चुनी। वहां साफ-सफाई भी कराई गई। ढोल-बाजे का इंतजाम भी किया गया। इसके बाद तय दिन और समय पर हथियार लेकर एक-दूसरे पर टूट पड़े।



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मुस्लिम बाहुल्य गांव है बबचिया



विदिशा से 70 किलोमीटर दूर बसा है बबचिया गांव। यह हत्याकांड दिल दहलाने वाला तो है ही, परदे के पीछे की सच्चाई उतनी ही चौंकाने वाली है। करीब 800 लोगों की आबादी वाला गांव मुस्लिम बाहुल्य है। यहां पंच से लेकर सरपंच तक हर पद पर मुस्लिम समाज के लोगों का ही दबदबा रहा है। फैसले के बाद गांव में सन्नाटा है। पुलिस वाहन की लगातार गश्त चल रही है।



इन 6 लोगों की गई थी जान



घटनाक्रम में शाहबुद्दीन, रईस खान, अकील, बसरुद्दीन, आसिफ खान और अरमान की मौत हो गई। हालांकि, बाद में दोनों पक्षों के बीच किसी तरह की कोई रंजिश नहीं देखी गई। पूरा गांव शांति से रहता आया है। पेशी पर भी दोनों पक्ष साथ जाते और साथ ही लौटते थे। गांव के आमिर नामक व्यक्ति ने बताया कि ढोल-ढमाके के साथ विवाद की बात सच नहीं है। यहां गांव के बाहर मजार है। उसी पर लोग मन्नत पूरी होने पर आया करते हैं। उस दिन भी अन्य जगह से लोग आए थे। इसी वजह से धारणा बन होगी कि दोनों पक्षों ने ढोल-ढमाकों के साथ एक-दूसरे पर हमला किया था।



54 पर मामला दर्ज, 5 की मौत, 33 दोषी



विदिशा जिले का शमशाबाद थाना क्षेत्र। ग्राम बबचिया। 3 फरवरी 2011 को यहां हुई दो परिवारों में हुई खूनी झड़प में 6 लोगों की मौत हो गई थी। इसी मामले में 30 लोगों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया था। शनिवार 27 मई 2023 को फैसला आया है। फैसला गंजबसौदा में अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा ने 169 पेज में सुनाया है। जिसमें उन्होंने 33 आरोपियों को दोषी माना और सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई और 12500-12500 रुपए का जुर्माना भी लगाया।



4 नाबालिगों के खिलाफ केस जुवेनाइल कोर्ट में



पुलिस ने विवेचना के दौरान 54 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। हालांकि, इनमें से 12 को अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका। 4 नाबालिगों के प्रकरण जुवेनाइल कोर्ट में चल रहे हैं। 38 में से 5 लोग शाहिद खान, इरफान लंगड़ा, काले खां, गुफरान खां, फैय्याज खां की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है। पुख्ता साक्ष्य नहीं होने पर कोर्ट ने शहाबुद्दीन पक्ष के 17 में से 15 लोगों को दोषमुक्त कर दिया। इनमें से सुनवाई के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई थी। शनिवार को जब फैसला सुनाया गया तब विदिशा जिले के 5 थानों से बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।



इन 33 दोषियों को उम्रकैद



इमरान, बन्ने खां, नन्ने खां, शकील खां, रिजवान खां, बाबू खान, आमिर खान, रिहान खान, अजीम शाह, अनीश खान, शाहबुद्दीन, नवाब खां, नसरुद्दीन खां, फूल बाबू खां, मुन्ना उर्फ मुजाहिद खां, तारिक, छोटा पप्पू उर्फ अरमान, अख्तर खां, शफीक खान, अशफाक खां, जसमाल उर्फ टंटू, हारुन खां, हनीफ उर्फ लालू शाह, चांद बाबू, बड़ा पप्पू उर्फ फखरुद्दीन, अकील खां, लल्लू उर्फ कमरुद्दीन, गुफरान खान, आरिफ खान, नजीम, पप्पू खां, शहजाद और बन्ने खां।


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