CHHATARPUR. बुंदेलखंड में ऐसा पहली बार हो रहा है जब चुनाव के पहले वोटरों की एक तरह से बोली लगाई जा रही है। वोटरों को रिझाने के तरह- तरह से जतन किए जा रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल राजनैतिक कसावट में जुटे हैं। धन, धर्म, जाति और समाज का ताना बाना बुना जा रहा है। इन सियासी हालातों में एक दूसरे को मात देने की तैयारी की जा रही है। धर्म के नाम पर कांग्रेस, बीजेपी के नक्शेकदम पर चलने को मजबूर हो रही है।
परीक्षा के दौरान शिक्षकों की लगी फार्म भरने की ड्यूटी
सरकार में रहने का फायदा उठाती बीजेपी ने लाड़ली बहना योजना शरू की है। इसके सफल क्रियान्वन के लिए सरकारी तंत्र से लेकर बीजेपी का तंत्र जी जान से जुटा है। ये अलग बात है कि सरकार की इन योजनाओं में शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपने से यह वर्ग खफा है। शिक्षक समाज सवाल करता है कि ऐसा भी कहीं होता है कि पांचवीं और आठवीं की परीक्षा चल रही हो और शिक्षक से कहा जाए परीक्षा छोड़ो लाड़ली बहना के फॉर्म भराओ।
कांग्रेस में महिलाओं की बोली 1500 रु.
प्रदेश की आधी आबादी को प्रभावित करने वाली इस योजना के जवाब में कांग्रेस नारी सम्मान योजना लेकर आई है। कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को लगा कही लाड़ली बहना योजना से उसका खेल ना बिगड़ जाए, इसलिए उन्होंने बगैर देर किए नारी सम्मान योजना की घोषणा कर दी। महिला वोटर की बोली 1 हजार से बढ़ाकर 1500 कर दी, साथ ही गैस के लिए 500 रु. देने की बोली लगा दी। कांग्रेस ये सब देगी तब जब उसकी सरकार आएगी, इसलिए पार्टी महिला वोटरों के फॉर्म भरवा रही है, इसकी जिम्मेदारी पार्टी कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है। इसका असर कितना होता है यह तो वक्त ही बताएगा।
लोक देवता का भव्यता से मनाया जाएगा जन्मोत्सव
सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि बीजेपी सदैव सनातन धर्म के साथ रहती है, जबकि कांग्रेस एक तरह से सनातन विरोधी है। कांग्रेस अब इस कलंक को धोने के अभियान में जुटी है। इसलिए कांग्रेस बुंदेलखंड के लोक देवता हरदौल के जन्मोत्सव को भव्यता और दिव्यता के साथ 27 जुलाई को ओरछा में मनाने की तैयारी कर रही है। हालंकि, यह आयोजन हरदौल के वंशज और ओरछा राजपरिवार के सदस्य विश्वजीत कर रहे हैं, इस आयोजन में पीसीसी चीफ कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह विशेष तौर पर उपस्थित रहेंगे। बुंदेलखंड के लोक देवता हरदौल को बुंदेलखंड के लोक में अलग स्थान प्राप्त है। इसके पीछे एक लोकोक्ति भी है, जिसे आज भी बुंदेलखंड के लोग उसी श्रद्धा से मानते पूजते हैं। यही कारण है कि बुंदेलखंड के हर गांव में हरदौल का चबूतरा मिल जाता है। बुंदेलखंड में होने वाली हर शादी का पहला निमंत्रण हरदौल को दिया जाता है। हर शादी वाले घर से दूल्हे अथवा दुल्हन की माता जी हरदौल को अपना भाई मानकर उनसे भात (चावल) मांगती है। कांग्रेस इसे ही भुनाने के लिए इस अभियान में जुटी है।
उपचुनाव से पहले बागेश्वरधाम शास्त्री का लिया आर्शीवाद
हिंदू राष्ट्र के अभियान में जुटे बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथाएं बीजेपी के नेता करा रहे हैं। पिछले दिनों सागर के मकरोनिया में उनकी कथाएं हुई अब सुरखी विधान सभा क्षेत्र के जैसीनग में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत उनकी कथा कराएंगे। दरअसल, उप चुनाव में वे धीरेन्द्र शास्त्री के पास रात के समय आशीर्वाद लेने गए थे और चुनाव में प्रचंड जीत मिलने के बाद उनकी आस्था और बढ़ गई। चुनावी वर्ष में धर्म के सहारे अपना राजनैतिक हित साधने वाले इन दिनों बाबा बैरागियों के दर पर दस्तक दे रहे हैं। कांग्रेस भी इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहती है, कांग्रेस के बड़े नेता इस जुगत में जुटे हैं कि किसी तरह धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री उनके लिए भी कथाएं करने लगे। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी अड़चन उनके द्वारा कथाओं में उठाया जा रहा हिंदू राष्ट्र का मुद्दा है।
मुद्दों पर घेरने की तैयारी में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश के सहप्रभारी सीपी मित्तल इन दिनों बुंदेलखंड के हर जिले में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक ले रहे हैं। उन्हें समझा रहे हैं कि बंद कमरों से निकलकर सड़कों पर आए। बुंदेलखंड में पार्टी के अंदर चल रहे अंदरूनी घमासान को लेकर भी वे सशंकित हैं, समझाइश दे रहे हैं कि यह वह दौर है कि जब कांग्रेस में कोई नेता नहीं सभी कार्यकर्ता हैं। वे उन तमाम मुद्दों की तरफ भी कार्यकर्ताओं को जाग्रत कर रहे हैं, जिन पर बीजेपी को घेरना है। महंगाई, बेरोजगारी, घोटाले, भ्रष्टाचार, नारी सम्मान योजना में कांग्रेस द्वारा 1500 रु., गैस सिलेंडर पर 500रु. और 300रु. में 300 यूनिट बिजली देने जैसे मुद्दों के अलावा आप लोग स्थानीय मुद्दे भी जोड़ सकते हैं। पिछले दिनों जब कमलनाथ बीना आए थे और उन्होंने बीना को जिला बनाने की बात कही थी, बीना के लोगों को यह भी याद दिलाया था कि शिवराज सिंह ने 3 बार जिला बनाने की खाली घोषणा की, बनाया नहीं। अब बीजेपी सरकार के मंत्री और खुरई के विधायक भूपेंद्र सिंह भी बीना को जिला बनाने की बात कहने लगे हैं। वे कहते हैं कि बीना और खुरई विधान सभा के लोगों के आपसी सामंजस्य से तय होगा जिला। दरअसल, भूपेंद्र सिंह ने खुरई को जिला बनाने की मुहीम शुरू की थी जिसको लेकर बीना के लोगों में नारजगी है। कांग्रेस द्वारा उठाए गए आम जनता से जुड़े ये मुद्दे जन मानस को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस के ये मुद्दे बीजेपी को बेचैन किए हैं।
धर्म संकट में बीजेपी
बीजेपी के आंतरिक सर्वे में बुंदेलखंड की 26 सीटों को लेकर जो स्थिति सामने आई है उसने बीजेपी को चिंतित कर दिया है। विधायकों ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लोगों की नाराजगी को लेकर पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। नए चेहरों की तलाश के साथ-साथ बीजेपी नेता इस बात को लेकर भी चिंतित बताए गए हैं कि कहीं टिकट ना मिलने से असंतुष्ट बीजेपी नेता बगावत पर ना उतर आएं। दमोह में मल्लैया परिवार को साधने के बाद बीजेपी ने छतरपुर की ललिता यादव को प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष बना दिया। पार्टी के इस आदेश के बाद से यह माना जाने लगा कि अब पूर्व मंत्री ललिता यादव चुनावी दौड़ से बाहर हो गई हैं। पार्टी के इस निर्णय को प्रारम्भिक तौर पर ललिता ने स्वीकार तो कर लिया है, पर वे यह जताने से भी नहीं चूकती कि चुनाव तो लड़ेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस भी बीजेपी के नेताओं से संपर्क बनाने में जुटी है। कांग्रेस ऐसे बीजेपी नेताओं पर ध्यान लगा रही है जिनका अपना जातीय वोट बैंक हो। इसी क्रम में पिछले दिनों पन्ना में बीजेपी की बड़ी नेता और पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले से कांग्रेस के मुकेश नायक ने मुलाकात की। राजनैतिक समीकरणों की माने तो पन्ना विधानसभा क्षेत्र ब्राम्हण और लोधी बाहुल्य है। मुकेश नायक की निगाह काफी समय से पन्ना विधानसभा क्षेत्र पर लगी है। अगर कुसुम मेहदेले कांग्रेस में आती हैं अथवा पर्दे के पीछे से कांग्रेस को समर्थन देती हैं तो दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस को लाभ हो सकता है।
लोगों की नाराजगी कैसे दूर करेगी बीजेपी
यहां बड़ा सवाल यही उठता है कि लोगों की नारजगी कैसे दूर करेगी बीजेपी। उस पर बुंदेलखंड में उमा भारती की सक्रियता और उनका यह कहना की जीवन पर्यन्त राजनीति करती रहूंगी। उमा भारती का बागेश्वर धाम जाना, उसके बाद उनके परम शिष्य प्रीतम लोधी का धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से मिलना। बुंदेलखंड में बनते बिगड़ते सियासी समीकरणों की तरफ इशारा कर रहे हैं।