भोपाल. प्रदेश में अब आयुष कॉलेजों (Ayush collage) में अवैध तरीके से भर्ती करने का घोटाला उजागर हुआ है। द सूत्र ने इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की तो पता चला कि आयुष संचालनालय, मेडिकल यूनिवर्सिटी (Medical university) के अधिकारियों की सांठगांठ से इस घोटाले (Scame) को अंजाम दिया गया है। वर्ष 2016 से 2018 तक आयुष कॉलेजों में हुए एडमिशन संबंधी जब जानकारी जुटाई गई तो 1292 अपात्र छात्रों को एडमिशन (Ayush Collage admission) देने का मामला सामने आया। इसमें 2016 और 2017 में जो निजी आयुष कॉलेज एमपी ऑनलाइन (MP online) की काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने अवैध तरीके से 1120 छात्रों को प्रवेश दे दिया। वर्ष 2018 से नीट (NEET) परीक्षा अनिवार्य होने के बावजूद निजी आयुष कॉलेजों ने गलत तरीके से 172 छात्रों को आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी के निजी कॉलेजों में सीधे प्रवेश दे दिया। द सूत्र के पास इससे संबंधित दस्तावेज मौजूद हैं।
रिपोर्ट के बाद भी कोई एक्शन नहीं
आयुष कॉलेजों में अपात्र छात्रों को प्रवेश देने की शिकायत फरवरी 2020 में हुई थी, जिस पर संचालनालय ने 3 सदस्यीय जांच समिति बनाई थी। ये जांच कमेटी आज तक अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाई। द सूत्र ने इस पूरे मामले में जब पड़ताल की तो पता चला कि सरकार ने आयुष विभाग को अलग से जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में विभाग के उप सचिव पंकज शर्मा ने प्रारंभिक जांच कर अपनी रिपोर्ट 21 जून को प्रमुख सचिव करलिन खंगवार को सौंप दी है, लेकिन ढाई महीने बाद भी इस मामले में प्रमुख सचिव ने अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है।
काउंसिलिंग के बगैर सीधे एडमिशन
सरकार ने 2016 और 2017 में आयुष डॉक्टर की पढ़ाई के लिए पाहुट परीक्षा (PAHUNT Exam) करवाई थी, जिसकी काउंसिलिंग एमपी ऑनलाइन ने की थी। कुछ निजी कॉलेजों ने इस काउंसिलिंग में भाग लिए बगैर आयुष संचालनालय और मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने कॉलेज में सीधे छात्रों को प्रवेश दे दिया। वहीं 2018 से नीट परीक्षा अनिवार्य होने के बावजूद बिना नीट के प्रवेश देने का मामला भी सामने आया है। इसकी एवज में स्टूडेंट्स से मोटी रकम वसूली गई। इनमें से कुछ छात्र पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री ले चुके हैं और कुछ छात्र अभी अध्ययनरत हैं, उन्हें भी इस साल डिग्री मिल जाएगी।
आरोप- एडमिशन के लिए 2 से 5 लाख की रकम
व्यापमं (Vyapam scam) और मेडिकल यूनिवर्सिटी के घोटाले के बाद आयुष संचालनालय भी इसी श्रेणी में आकर खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि यह पूरी धांधली विभाग के तत्कालीन ओएसडी एवं कॉलेज शाखा के प्रभारी डॉक्टर जेके गुप्ता के कार्यकाल में हुई है। सूत्रों का कहना है कि कॉलेजों ने होम्योपैथी (Homeopathy) और यूनानी में प्रवेश के लिए 2 से 3 लाख और आयुर्वेद पैथी में एडमिशन के लिए 3 से 5 लाख रुपए लिए हैं। चौकाने वाली बात यह है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के आयुष कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले छात्रों की कुल संख्या तो हैं, लेकिन किस छात्र ने किस कॉलेज में एडमिशन लिया है। इसका रिकॉर्ड उनके पास नहीं है। यानि आयुष संचालनालय ने मेडिकल कॉलेज को भी आधा अधूरा रिकॉर्ड देकर मामले में गोलमाल किया है।
द सूत्र की पड़ताल में ये हुआ खुलासा
1. वर्ष 2016 में एमपी ऑनलाइन ने 2335 बच्चों की काउंसिलिंग की थी। इनमें से 492 बच्चों ने सरकारी और 1843 ने निजी आयुष कॉलेज में एडमिशन लिया।
2. वर्ष 2016 में मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर (Medical university jabalpur) के रिकॉर्ड के हिसाब से कुल 2563 बच्चों को आयुष के कॉलेजों में प्रवेश मिला। यानि 228 बच्चे बिना काउंसिलिंग के कॉलेज में दाखिला पा गए। चौकाने वाली बात यह है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास कुल प्रवेश लेने वाले बच्चों का डाटा तो हैं लेकिन इसकी जानकारी नहीं है कि इनमें से कितने बच्चे सरकारी कॉलेज में गए और कितने निजी आयुष कॉलेजों में।
3. वर्ष 2017 में एमपी ऑनलाइन ने 2851 बच्चों की काउंसिलिंग की। इनमें से 506 सरकारी और 2345 को निजी आयुष कॉलेज में एडमिशन मिला।
4. वर्ष 2017 में मेडिकल कॉलेज जबलपुर के रिकॉर्ड के हिसाब से कुल 1959 बच्चों को आयुष कॉलेजों में प्रवेश मिला। यानि कुल मिलाकर 892 बच्चे बिना काउंसिलिंग के आयुष कॉलेज में प्रवेश पा गए।
5. वर्ष 2018 में एमपी ऑनलाइन ने 1251 बच्चों की काउंसिलिंग की। इनमें 469 सरकारी और 782 बच्चों को निजी आयुष कॉलेज में प्रवेश मिला।
6. वर्ष 2018 में मेडिकल कॉलेज जबलपुर के रिकॉर्ड के हिसाब से कुल 1423 बच्चों को प्रवेश मिला। यानि कुल 172 बच्चों को बिना काउंसिलिंग के अवैध तरीके से निजी कॉलेजों में प्रवेश दिया गया।