INDORE. मध्यप्रदेश सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में लाख बेहतर सुविधाएं देने के दावे करें, लेकिन हकीकत में लोग परेशान रहते है। दरअसल, इंदौर के पीसी सेठी अस्पताल में एक गर्भवती महिला अपने मृत बच्चे को 13 घंटे तक पेट में लेकर इसलिए घूमती रही, क्योंकि डयूटी के दौरान डॉक्टर ही सीट पर नहीं बैठे थे। सूत्रों की माने तो सरकारी डॉक्टर 'बाद में आना' की मानसिकता के साथ पेश आते रहे। आखिरकार महिला के पति ने कलेक्टर को फोन लगाया। उनके हस्तक्षेप के बाद आपरेशन हो सका।
रातभर शव गोद में लिए बैठा रहा पिता
मामले में जिम्मेदार डॉक्टरों की लापरवाही की जांच पूरी हो गई है। जानकारी के मुताबिक बच्चे का पिता पोस्टमॉर्टम के लिए रातभर उसका शव लेकर गोद में लिए बैठा था, उसकी जांच में किसी भी डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं पाई गई। चौंकाने वाली बात यह कि मामले में अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी नहीं मिली है। और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच भी पूरी कर दी है।
पीड़िता के बयान और बच्चे की PM रिपोर्ट नहीं आई सामने
अस्पताल सुपरिंटेंडेंट डॉ. निखिल ओझा का कहना है कि भले ही किसी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई हो, लेकिन अभी जांच में दो महत्वपूर्ण तथ्य शेष है। एक तो खुद पीड़िता प्रसूता के बयान अभी नहीं हुए हैं और दूसरा बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। इस मामले में हम पुलिस को दो बार लिख चुके हैं। उधर, सीएमएचओ डॉ. बीएस सेतिया का कहना है कि मैं अभी इंदौर में नहीं हूं। पूरे मामले को दिखवाना पड़ेगा। हालांकि 28 अप्रैल को खुद उनके द्वारा जांच पूरी करने का आदेश जारी हुआ है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि मामले में किसी भी डॉक्टर की लापरवाही नहीं पाई गई।
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सीएम हेल्पलाइन में की शिकायत
पीड़िता के पति गंगाराम ने सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत की है। मामले में जांच चल रही है। उनका आरोप है कि जांच के नाम दोषियों को बचाया जा रहा है। घटना के बाद वह परिवार सहित अपने गांव रायसेन में है जबकि पत्नी सदमे से उबरी नहीं है।
ये है मामला
रायसेन निवासी प्रियंका पति गंगाराम शर्मा (29) की है। मार्च में उसे आठवां महीना चल रहा था। उसे पेट दर्द और कमर दर्द की शिकायत थी। पति गंगाराम 22 मार्च को उसे पीसी सेठी अस्पताल में दिखाने लाया। तब डॉक्टरों ने उसे देखा और कहा था कि अभी सब नॉर्मल है। इसके बाद 27 मार्च को उसे फिर पेट और कमर में तेज दर्द शुरू हुआ। दंपति ने फिर इसी अस्पताल में लेडी डॉक्टर को दिखाया तो कहा कि अभी डिलीवरी के सिम्टम्स नहीं हैं, जबकि पति ने कहा कि पेट में दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है, सोनोग्राफी करके चेक कर लीजिए। इस पर डॉक्टर ने एक पर्ची पर सोनोग्राफी कराने के लिए लिखकर भी दिया। पर्ची लेकर वे सोनोग्राफी यूनिट में पहुंचे। वहां बताया कि अभी सोनोग्राफी नहीं होगी, क्योंकि आज का 30 सोनोग्राफी का टारगेट पूरा हो चुका है। इसमें अर्जेन्ट भी नहीं लिखा है।
स्टाफ ने कहा कल आना
गंगाराम शर्मा ने बताया कि सोनोग्राफी का टारगेट पूरा होने के बाद स्टाफ ने उन्हें कल आना कहकर वहां से रवाना कर दिया था। 11 अप्रैल को आकर प्रियंका ने इसी अस्पताल में आकर सोनोग्राफी कराई और रिपोर्ट लेकर पति लेडी ड्यूटी डॉक्टर के पास गया। वहां उन्होंने रिपोर्ट देखते ही कहा कि बच्चे की तो एक दिन पहले ही मौत हो चुकी है। रात करीब 8 बजे पति ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी को फोन लगाया और सारी बातें बताई। उन्होंने कहा कि आप वहीं रुके, मैं डॉक्टर से बात करता हूं। कलेक्टर की नाराजगी के बाद रात 11 बजे पत्नी को ऑपरेशन थिएटर में लिया गया। इसके बाद पत्नी की कोख से मृत बच्चा निकाला।
कलेक्टर ने दिया जांच का आदेश
लापरवाही के इस मामले में कलेक्टर ने गहरी नाराजगी जताने के बाद अस्पताल सुपरिटेंडेंट डॉ. निखिल ओझा ने जांच के लिए डॉ. सीमा विजयवर्गीय व डॉ. कोमल विजयवर्गीय की टीम बनाई थी। मामले में पीड़ित पक्ष ने जनसुनवाई में भी शिकायत की थी। इसकी जांच पूरी हो गई है। पीड़ित का कहना है कि मैं कई दिनों से बच्चे के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के लिए संयोगितागंज थाने के चक्कर लगा रहा हूं। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने में 3 महीने से ज्यादा लग सकते हैं।