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Jabalpur. धान खरीदी के बाद धान के भंडारण की भी प्रशासन के लिए चुनौती है। जिसके लिए प्रशासन अब गोदामों का अधिग्रहण करने जा रहा है। इसके लिए खाद्य विभाग ने एक लेटर जारी किया है। जिसमें गोदामों के अधिग्रहण के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया गया है। इस बीच मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन ने भी जिले के वेयरहाउस संचालकों को भंडारण के लिए अनुबंध करने 3 दिन का अल्टिमेटम दिया है। दरअसल जिले में धान के भंडारण की समस्या अभी भी बरकरार है। 390 में से ज्यादातर वेयरहाउस संचालकों ने अभी तक कॉरपोरेशन को ऑफर नहीं किया है। वेयरहाउस संचालक भंडारण शुल्क आधे से कम करने पर नाराज हैं। इसलिए ज्यादातर ने गोदाम देने से मना कर दिया है। जबलपुर में इस माह की 28 तारीख से धान खरीदी शुरू होनी है। इस बार भी 5 लाख मीट्रिक टन की क्षमता तो बन गई है लेकिन बाकी के लिए कवायद जारी है। दूसरी तरफ गोदाम संचालक इस बात का दावा कर रहे हैं कि किसी वेयर हाउस संचालक ने कॉरपोरेशन के साथ 40 से 45 रुपए मीट्रिक टन प्रतिमाह के भंडारण शुल्क पर अनुबंध नहीं किया है।
दूसरी तरफ कॉरपोरेशन ने गुरूवार को अल्टिमेटम देते हुए वेयर हाउस संचालकों को चेतावनी दी है कि वे अनुबंध नहीं करते तो वेयर हाउस अधिग्रहित कर दिया जाएगा। इस आदेश से वेयर हाउस संचालकों में आक्रोश बढ़ गया है। उनका कहना है कि वेयर हाउस का संचालन इस राशि में करना मुश्किल हो जाएगा। अभी उन्हें 80 रुपए मीट्रिक टन से ज्यादा का भुगतान होता था लेकिन अब वह आधा कर दिया गया है। वेयर हाउस ऐसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील शर्मा का कहना है कि शासन उनके ऊपर गोदाम देने का दबाव बना रहा है। कई वेयर हाउस संचालक ऐसे हैं जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर भवन बनाया है। इस राशि से किश्त चुकाना मुश्किल होगा।
केंद्र सरकार देती है 24 रुपए किराया
शासन से जारी पत्र में कहा गया है कि धान के भंडारण के लिए केंद्र सरकार मात्र 24 रुपए प्रति मीट्रिक टन प्रतिमाह का भुगतान करती है। ऐसे में बकाया राशि राज्य शासन को देनी पड़ती है। इसी प्रकार धान स्कंध में सूखत के कारण गोदाम संचालक धान के भंडारण में कम रुचि लेते हैं। इसलिए शासन ने नई भागीदारी योजना लागू की है। जिसमें गोदाम संचालकों का उत्तरदायित्व केवल उपयुक्त गोदाम उपलब्ध करने तक सीमित है। भंडारित स्कंध की सुरक्षा और संरक्षण के साथ-साथ सूखत से संभावित हानि का उत्तरदायित्व कॉरपोरेशन का होगा। किराए पर गोदाम उपलब्ध कराने के बदले गोदाम संचालक को 40 से 45 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से किराया भुगतान किया जाएगा। योजना में ऑफर नहीं करने पर गोदामों का अधिग्रहण किया जाएगा जिन्हें मात्र 25 रुपए प्रति मीट्रिक टन प्रतिमाह के हिसाब से किराया दिया जाएगा।