यह कैसा इंदौर निगम और कैसी स्मार्ट सिटी? विसर्जन से लेकर सफाई तक के लिए हाईटेक व्यवस्था पर जान बचाने के लिए मजबूत रस्सी नहीं

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BP Shrivastava
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यह कैसा इंदौर निगम और कैसी स्मार्ट सिटी? विसर्जन से लेकर सफाई तक के लिए हाईटेक व्यवस्था पर जान बचाने के लिए मजबूत रस्सी नहीं

संजय गुप्ता, INDORE. सफाई में नंबर वन, सबसे स्मार्ट शहर इंदौर, दस साल में हम बैंगलुरू और हैदराबाद को पीछे छोड़ देंगे। करोड़ों की सफाई मशीन, गणपति विसर्जन के लिए निगम द्वारा की गई हाईटेक व्यवस्था के बाद बावड़ी हादसे में अपनों को खोने वाले अब यह सभी जिम्मेदार और नेताओं से पूछ रहे है कि क्या इन सभी के मायने हैं? 



आखिर यह हाईटेक मशीनें किसके लिए?



कुछ महीने पहले ही इंदौर में करोड़ों की लागत से ग्रीन कांसेप्ट पर स्वीपिंग मशीन आई है, जो सड़कों की सफाई करेगी, इसके पहले इटली और अमेरिका से हाईटेक करोड़ों की लागत से दस मशीन सफाई के लिए खरीदी गई थी। सितंबर 2022 में ही नगर निगम इंदौर ने गणपति विसर्जन के लिए शानदार हाईटेक व्यवस्था की, जिसमें ऑटोमेटिक मशीन चलती है और इस पर गणपति प्रतिमा रखने पर वह आगे तालाब में सम्मान से विसर्जित करती है। जवाहर टेकरी पर बने जलाशय पर इसके साथ ही एक हाईइड्रोलिक प्लेटफार्म लगाया गया, जिस पर मूर्ति रखकर श्रृद्धा से 22 से 40 फीट गहराई में विसर्जित किया जाता था। इसके वीडियो भी जमकर वायरल हुए और निगम ने खूब वाहवाही लूटी। लेकिन क्या यह सारी व्यवस्थाएं, संसाधन लोगों की जान बचाने के लिए नहीं जुटाए जा सकते हैं? अब नगर निगम और स्मार्ट सिटी पर सवाल यही उठ रहे हैं। 



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क्यों उठ रहे हैं यह सवाल?



रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक वायरल वीडियो में साफ दिखा कि रस्सी कमजोर थी, रस्सी बांधकर ऊपर आई एक महिला, बावड़ी के मुहाने तक आ गई लेकिन रस्सी टूट गई और फिर वह 50 फीट नीचे बावड़ी में गिर गई। तीन घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन केवल रस्सियों के सहारे चलता रहा और ले-देकर स्लाइडर सीड़ियां लगाई गई। रेस्क्यू टीम के पास ना सर्च लाइट थी, ना ऑक्सीजन सिलेंडर और ना ही अन्य संसाधन। देर शाम होते-होते जाकर वह लोहे का प्लेटफार्म घटनास्थल पर पहुंचा. लेकिन केवल यह लोगों के शव और बाद में कीचड़, गाद निकालने के ही काम आई।



हर साल 300 करोड से ज्यादा खर्च होते हैं



इंदौर नगर निगम सफाई पर हर साल 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि खर्च करता है। निगम का बजट सात हजार करोड़ से ज्यादा का है। वहीं स्मार्ट सिटी में भी इंदौर में हजार करोड़ से ज्यादा के काम हो गए हैं, लेकिन लोग अभी भी जान बचाने जैसे अहम संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं और जान खो रहे हैं। हालत यह है कि फायर ब्रिगेड के पास ऐसी एक भी हाईटेक मशीन नहीं है जो हाईराइज मल्टी से लोगों को बाहर निकाल सके। हाल ही में होटल में लगी आग के दौरान भी संसाधनों की कमी साफ दिखी, वह तो गनीमत थी कि आग ऊपर माले पर लगी थी, जिससे धुआं नीचे नहीं भराया और लोगों को समय पर सुरक्षित निकाल लिया गया।



36  मौतों के बाद जारी हुआ 144 का सरकारी आदेश



बावड़ी हादसे में 36 मौतों के बाद आखिरकार जिला प्रशासन को धारा 144 में सरकारी आदेश जारी करने का ध्यान आ गया है। हालांकि, बोरवेल को लेकर इस तरह का आदेश दस दिन पहले ही भोपाल जिला प्रशासन जारी कर चुका है। अब इंदौर कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी ने बावड़ी हादसे के बाद कुआं और बावड़ियों को लेकर विस्तृत आदेश जारी किया है और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। 



यह है आदेश




  • नगर निगम इंदौर शहरी सीमा में बावड़ियों, कुओं का सर्वे करेगा और सूची बनाएगा। इसमें पूरी डिटेल होगी कि भूमि स्वामी का नाम, सर्वे नंबर, स्थान की जानकारी आदि। 


  • ऐसी किसी भी संरचना पर अतिक्रमण हो, कमजोर छत आदि बनाकर ढंका गया हो, दीवार आदि बनाई हो, इन्हें खतरनाक की सूची में डालेगा

  • सभी को हटाने के लिए नोटिस जारी होंगे और कार्रवाई होगी।

  • यह काम नगर परिषद क्षेत्र में सीएमओ द्वारा और ग्रामीण क्षेत्र में सीईओ जनपद, सरपंच पंचायत द्वारा कराया जाएगा। 

  • किसी जगह खतरनाक कुओं, बावड़ियों की जानकारी मिलती है तो 07312365534 पर दे सकते हैं।


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