BHOPAL. नए साल का काउंटडाउन तो पूरा हो चुका है। अब चुनावों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 10, 9, 8, 7 गिनते-गिनते महीने गुजरते जाएंगे और चुनाव आ जाएंगे। चुनावी साल में आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि कौनसा चुनावी दिग्गज क्या करने वाला है। कांग्रेस बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने के लिए किस खास प्लानिंग पर काम कर रही हैं।
चुनावी साल में हाईली एक्टिव होगा हर नेता
चुनावी साल में हर नेता हाईली एक्टिव होगा। कभी जनता के बीच, कभी सभा, कभी रैली और जब फुर्सत मिलेगी, तब नई रणनीति पर सोच विचार। आने वाले कुछ दिन मध्यप्रदेश के प्रमुख और दिग्गज नेताओं का यही हाल होगा जिनके कंधों पर जीत की जिम्मेदारी होगी। कुछ ऐसे नेता भी होंगे जो अपने नए कदम या नए बयान से बवंडर लेकर आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा जैसे आला नेताओं का प्रदेश में मूवमेंट बढ़ेगा। कांग्रेस से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और आप के अरविंद केजरीवाल भी एमपी का रुख कर सकते हैं। इन सबके बीच प्रदेश के ही कुछ नेता अल्ट्रा एक्टिव होंगे। इन नेताओं में सबसे पहला शिवराज सिंह चौहान का है।
सीएम शिवराज पर बीजेपी की जीत की जिम्मेदारी
शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुखिया तो है हीं, पार्टी की वापसी कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर हैं। अलग-अलग योजनाओं के ऐलान और सभाओं के जरिए शिवराज पहले से ही एक्टिव हैं। मैदानी एक्टिविटीज बढ़ने के साथ बैठकें, सलाह-मशवरे के दौर भी उनकी तरफ से बहुत ज्यादा होंगे। कुछ के नतीजे सामने होंगे और कुछ क्लोज डोर होंगी।
कमलनाथ के सामने 2018 की जीत दोहराने की जिम्मेदारी
शिवराज के बाद दूसरे नेता जो प्रदेश में सबसे ज्यादा एक्टिव होंगे या अभी से हैं वो हैं कमलनाथ। जिस तरह शिवराज पर पार्टी की वापसी करवाने का प्रेशर है। उसी तरह कमलनाथ के सामने 2018 की जीत दोहराने की चुनौती है। बीजेपी पिछले चुनाव की गलतियों से सीख लेकर पहले से ज्यादा ताकत के साथ मैदान में उतर रही है। यानी कमलनाथ का दुश्मन अब डबल पावरफुल है जिसका मुकाबला करने के लिए कमलनाथ भी मुस्तैद और फुलप्रूफ प्लानिंग में लगे हैं। जीत की आस में वास्तु टिप्स भी फॉलो कर रहे हैं पर ये सब कर पाना उतना आसान नहीं है।
कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का साथ
कमलनाथ के साथ मध्यप्रदेश की नब्ज जानने वाले दिग्विजय सिंह भी मौजूद हैं, जो पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस को मजबूत करेंगे। इस जोड़ी को अब जीत हासिल करके ये साबित करना है कि पिछली जीत का क्रेडिट सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं दिया जा सकता।
जल्द ही सक्रिय हो सकते हैं सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही अभी खामोश नजर आ रहे हों पर चुनाव से पहले उनकी सक्रियता बढ़ जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी। 28 सीटों के उपचुनाव में वो जीत दिलवा चुके हैं। असल परीक्षा अब होनी है। जब उन्हें अपने गढ़ में पार्टी को जीत दिलवाना है। उसके साथ-साथ अपने समर्थकों की नैया भी पार लगवानी है। पार्टी में सिक्का तो उसके बाद ही जमा रह सकेगा।
दिग्गजों के बीच उमा भारती को नजरअंदाज करना मुश्किल
मध्यप्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे नेताओं की सक्रियता भी कम नहीं होगी। इन दिग्गजों के बीच उमा भारती को नजरअंदाज करना गलती हो सकती है। उमा भारती लोधी वोटर्स के बीच जाकर ये कह ही चुकी हैं कि वो उन्हें बीजेपी को वोट देने के लिए बाध्य नहीं करेंगी। इससे पहले भी शराबबंदी के बहाने वो तीखे तेवर दिखा चुकी हैं। उमा का हर एक्शन ये जता रहा है कि चुनावी मैदान में वो कुछ नए खेल जरूर खेलेंगी जिनका खामियाजा बीजेपी को ही भुगतना पड़ सकता है।
प्रीतम लोधी कर सकते हैं जोड़तोड़
इन बड़े नेताओं के बीच प्रीतम लोधी का नाम बहुत छोटा है लेकिन जिस तरह वो एमपी की बदली सियासत के चेहरे बने हैं। उन पर नजर रखना भी लाजिमी ही होगा। लोधी के बहाने लोधी वोटर्स तो एकजुट हुए ही, ओबीसी महासभा और जयस को चुनावी मौसम में जोरदार वापसी के लिए एक अच्छा लॉन्च पैड भी मिल गया। प्रीतम लोधी के बहाने कुछ नए जोड़तोड़ जरूर नजर आ सकते हैं।
मध्यप्रदेश की राजनीति की पिच पर नई टीम
चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा सक्रिय कांग्रेस बीजेपी ही होंगी। ये भी तय है कि सरकार इन्हीं में से किसी एक दल की होगी। एक जीत का स्वाद चखेगा और दूसरा हार का कड़वा घूंट पिएगा। इनकी हार-जीत का फैसला इस बार सिर्फ इनकी रणनीतियों के भरोसे नहीं होने वाला है। इस चुनावी सीजन में कुछ और दल हैं जो दोनों बड़े दलों की प्लानिंग को चौपट कर सकते हैं या उसे बदलने पर भी मजबूर कर सकते हैं। इन दलों में सबसे पहला नाम आम आदमी पार्टी का है जिसकी आहट से बीजेपी नींद तो उड़ी हुई है। बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ गुजरात में आम आदमी पार्टी ने कुछ सीटें खींच ही ली हैं। अब रुख मध्यप्रदेश का है। यहां आप के नाम का डंका नगरीय निकाय चुनाव से ही बज चुका है। अब आप के उम्मीदवार जिस सीट पर होंगे वहां किस दल को नुकसान पहुंचाएंगे, ये आंकलन चुनावी नतीजों के वक्त होगा पर ये तय है आप की झाड़ू चलेगी तो कोई न कोई साफ जरूर होगा।
जयस की एंट्री से हर सीट पर नया चुनावी समीकरण
आम आदमी पार्टी के बाद दूसरा नाम आता है जयस का। जयस के साथ मिलकर कांग्रेस ने पिछला चुनाव लड़ा था। नतीजे सबके सामने थे। इस बार जयस और कांग्रेस हाथ मिला सकेंगे। इसके आसार कम हैं। जयस अकेले मैदान में उतरी तो हर सीट पर नया चुनावी समीकरण जरूर बनेगा।
सपा और बसपा मध्यप्रदेश में एक्टिव
सपा और बसपा भी चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में एक्टिव हो चुकी हैं। समाजवादी पार्टी प्रीतम लोधी को सीढ़ी बनाकर विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने की तैयारी में है। बसपा का हाथी भी अब तक चुनावी मैदान में दिखा नहीं है लेकिन ऐलान हो चुका है कि हर सीट से चुनाव लड़ेंगे। 230 सीटों पर बसपा कोई खास रंग न जमा सके लेकिन कुछ सीटों पर खासतौर से यूपी से सटी सीटों पर सपा बसपा दोनों ही केटेलिस्ट की भूमिका में नजर आ सकती हैं।
नए दलों को देखते हुए क्या होगी बीजेपी-कांग्रेस की नई रणनीति
इस लिहाज से ये तय है कि पुराने तौर-तरीकों के साथ मंजिल तक पहुंचना न बीजेपी के लिए आसान होगा न कांग्रेस के लिए। इस बार मैदान में मौजूद नए दलों को देखते हुए एक नई रणनीति बनानी होगी। तो क्या होगी वो नई रणनीति। जीत के लिए शिवराज कितनी एड़ियां घिसेंगे। सत्ता में वापसी के लिए कमलनाथ कितनी मेहनत करेंगे। कभी प्लानिंग होगी तो कभी जोड़तोड़। इस बार मध्यप्रदेश का इलेक्शन बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए पहले से ज्यादा टफ होगा तो जनता के लिए ज्यादा इंटरेस्टिंग। इसके हर दिलचस्प पहलू और टर्निंग प्वाइंट्स के साथ हम इनडेप्थ जानकारी के साथ करते रहेंगे न्यूज स्ट्राइक ताकि किसी भी चुनावी अपडेट से आप चूकें नहीं और राजनेताओं की हर चाल को गहराई से समझ भी सकें।