नीरज सोनी, CHHATARPUR. भगवान सहस्त्रबाहु पर टिप्पणी कर विवादों में घिरे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शुक्रवार 12 मई को ट्वीट करते हुए खेद जताया। लेकिन इसके बाद भी हैहय समाज के लोग प्रदेश के कई शहरों में प्रदर्शन कर रहे थे। धीरेंद्र शास्त्री ने शुक्रवार सुबह एक वीडियो जारी करते हुए कहा- कुछ दिनों से एक विषय संज्ञान में आया है, एक चर्चा के मध्य में मेरे द्वारा भगवान परशुराम जी एवं महाराज सहस्त्रबाहू अर्जुन के मध्य हुए युद्ध के विषय में जो भी कहा गया है। वह हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर कहा गया है। हमारा उद्देश्य किसी भी समाज अथवा वर्ग की भावनाओं को आहत करने का नही था, न ही कभी होगा, क्योंकि हम तो सदैव सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं। फिर भी यदि हमारे किसी शब्द से किसी की भावना आहत हुई हो तो इसका हमें खेद है। हम सब हिन्दू एक हैं।
शास्त्री के बयान से लोगों को आया था गुस्सा
शास्त्री ने कहा था कि यहां पर बहुत से बुद्धि और तर्क के लोग ब्राह्मण और क्षत्रियों में आपस में टकराने के लिए उपाय करते रहते हैं। कहा जाता है कि 21 बार क्षत्रियों से भूमि विहिन कर दी गई थी। बात मजाक और हंसी की यह है कि अगर एक बार क्षत्रियों को मार दिया गया तो 20 बार क्षत्रिय कहां से आए? 21वीं बार की जरुरत क्यों पड़ी? ये क्षत्रिय अचानक से प्रकट कहां से हो जाते थे? सहस्रबाहु जिस वंश से था, उस वंश का नाम था हैहयवंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने फरसा अपने हाथ में उठाया था। हैहयवंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला, स्त्रियों से बलात्कार करने वाला था। जितने भी क्षत्रिय वंश के राजा थे, ऐसे अत्याचारियों के खिलाफ ही भगवान परशुराम ने फरसा उठाया था। शास्त्रों में कहा है कि साधु का काम ही है कि दुष्टों को मारना और समाज की भलाई करना है। इस वजह से उन्होंने हैहयवंश के राजाओं को मारना प्रारंभ किया। उन्होंने शास्त्र की मर्यादाओं का पालन करते हुए कभी भी न तो स्त्रियों पर फरसा उठाया और न बच्चों पर। ये बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया। उन्होंने भी अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया। इसके बाद भगवान परशुराम ने उन अताताइयों का वध किया। उनकी भी संतानें थीं, उनका भी वध किया। इस तरह 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहिन किया।
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हैहयवंश का इतिहास
हैहयवंशी समाज के लोगों का कहना है कि हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सहस्त्रबाहु जयंती मनाई जाती है। कार्तवीर्य अर्जुन के हैहयाधिपति सहस्रार्जुन, दंग्री विजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता है। सहस्रबाहु अर्जुन ने अपने जीवन में यूं तो बहुत युद्ध लड़े। उनमें दो लोग खास थे- पहला रावण और दूसरे परशुराम। सहस्रबाहु एक चंद्रवंशी राजा थे। उनका जन्म महाराज हैहय की 10वीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के गर्भ से हुआ था। उनका जन्म नाम एकवीर था। महाराजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्तवीर्य अर्जुन कहा जाता है। बताते हैं कि उन्होंने भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न किया था। भगवान दत्तात्रेय ने युद्ध के समय उन्हें हजार हाथों का बल प्राप्त करने का वरदान दिया था। इस वजह से उन्हें सहस्त्रार्जुन कहा जाने लगा।
धीरेंद्र शास्त्री ने ऐसे मांगी माफी
मप्र बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री आए दिन अपने टिप्पणियों के चलते विवादों में घिरे रहते हैं। इसी तरह एक बार फिर धीरेंद्र शास्त्री भगवान परशुराम और सहस्त्रबाहू अर्जुन पर बयानबाजी की थी। इसके चलते उन्हें माफी मांगनी पड़ी। ट्वीट करते हुए उन्होंने इस संबंध में माफी मांगते हुए कहा- वह हमारे पवित्र हिन्दू शास्त्रों में वर्णित आधार पर कहा है किसी भी समाज अथवा वर्ग की भावनाओं को आहत करने का नही था न ही कभी होगा, क्योंकि हम तो सदैव सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं। दरअसल उन्होंने पिछले दिनों आयोजित सभा के दौरान भगवान परशुराम और सहस्त्रबाहू अर्जुन के बीच हुए युद्ध को लेकर टिप्पणी दी थी। इसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।