सरकार की लापरवाही, अन्नदाता की परेशानी; नहीं हो रही गेहूं की ग्रेडिंग

author-image
Rahul Sharma
एडिट
New Update
सरकार की लापरवाही, अन्नदाता की परेशानी; नहीं हो रही गेहूं की ग्रेडिंग

Bhopal. सरकार इस बात से खुश है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस बार गेहूं निर्यात हो रहा है लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं है कि समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों पर किसानों को किस परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए चाक चौबंद व्यवस्थाओं का दावा किया था लेकिन दावे और हकीकत में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। सरकार की लापवरवाही से अन्नदाता परेशान हो रहा है। सरकार ने हर खरीदी केंद्र पर ग्रेडिंग मशीन लगाने का दावा किया था लेकिन मशीन ना लगने से किसानों का गेहूं रिजेक्ट हो रहा है। और विवाद के हालात बन रहे हैं।



अशोक नगर में असंतुष्ट किसान



अशोक नगर में किसान रामकृष्ण रघुवंशी ने कलेक्टर दफ्तर के बाहर ही गेहूं का ढेर लगा दिया। रामकृष्ण समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए खरीदी केंद्र पर गया था जहां सर्वेयर ने गेहूं देखकर रिजेक्ट कर दिया। सर्वेयर ने कहा कि गेहूं में चमक नहीं है। मेहनत से उगाई गई फसल को यूं रिजेक्ट होते देख रामकृष्ण के सारे सपने टूटते नजर आए। क्योंकि फसल बिकेगी तो लागत निकलेगी और वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सकेगा। आव देखा ना ताव, रामकृष्ण ट्रॉली लेकर सीधे कलेक्टर दफ्तर पहुंचा और दफ्तर के सामने ही गेहूं का ढेर लगा दिया। और यहां आने जाने वाले लोगों से पूछने लगा कि बताइए कि उसके गेहूं के दाने में चमक है या नहीं।



सक्रिय हुआ प्रशासन



कलेक्टर दफ्तर के सामने एक किसान के इस गुस्से को देखते हुए प्रशासन सक्रिय हुआ और रामकृष्ण को भरोसा देकर यहां से हटाया गया। रामकृष्ण के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों में केवल मनमानी चल रही है। और शिकायत की कहीं कोई सुनवाई नहीं है। ये तो सिर्फ एक मामला है लेकिन ऐसे विवाद के हालात कई जिलों में बन रहे हैं और कई जगह तो कर्मचारी अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हैं। उदाहरण के तौर पर रतलाम जिले के मथुरी खरीदी केंद्र पर एक किसान महेश पाटीदार का गेहूं कर्मचारी ने सिर्फ नजरिया आंकलन से ही रिजेक्ट कर दिया और बाद में कर्मचारी ने किसान से कहा कि वो गेहूं को सिलेक्ट कर देगा यदि वो 700 रु. देगा। महेश ने इस मामले की शिकायत रतलाम के एसडीएम से की। कहने का मतलब ये है कि खरीदी केंद्रों पर अव्यवस्थाएं है और वो भी तब जब समर्थन मूल्य पर खरीदी बेहद कम हो रही है।



4 अप्रैल से शुरू हुई गेहूं खरीदी



मप्र में 4 अप्रैल से चार हजार केंद्रों पर गेहूं खरीदी का काम शुरू हुआ है। जो किसान खरीदी केंद्रों के आसपास रहते हैं वो ही यहां अपनी उपज बेच रहे हैं। इसबार बाजार मूल्य ज्यादा है इसलिए ज्यादातर किसान बाजार में गेहूं बेच रहे है, ये जो विवाद के हालात बन रहे हैं वो इसलिए क्योंकि नजरिया आंकलन के जरिए गेहूं के सेंपल रिजेक्ट और सिलेक्ट किए जा रहे हैं। नजरिया आंकलन यानी केवल देखकर जबकि इस व्यवस्था को बदलने के लिए खरीदी केंद्रों पर ग्रेडिंग मशीन लगाया जाना थी और ये मशीन लगाई ही नहीं गई है।



इसलिए नहीं लग सकी ग्रेडिंग मशीन



खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के भोपाल जिले के असिस्टेंट सप्लाई आफिसर यानी एएसओ दिनेश अहिरवार ने बताया कि खरीदी केंद्रों पर ग्रेडिंग मशीन लगने का प्रस्ताव था। इसके लिए 20 रूपए प्रति क्विंटल दर भी तय की गई थी। टेंडर भी बुलाए गए थे, पर किसी कंपनी ने रूचि नहीं ली, जिसके कारण कहीं पर भी ग्रेडिंग मशीन नहीं लग सकी है। जानकार मानते है कि कंपनियों ने दिलचस्पी इसलिए नहीं दिखाई क्योंकि रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ गया.. बाजार भाव समर्थन मूल्य से ज्यादा है... और खरीदी केंद्रों पर किसान कम पहुंचेंगे ये कंपनियों को पहले ही समझ आ गया इसलिए कोई आगे नहीं आया।



कर्मचारी को ही नहीं मालूम क्या है ग्रेडिंग मशीन



हालांकि ये भी हैरानी वाली बात है कि सरकार ने इस बारे में खरीदी केंद्रों के कर्मचारियों को बताया ही नहीं कि ग्रेडिंग की व्यवस्था होना है... द सूत्र ने गुरारीघाट खरीदी केंद्र के ऑपरेटर हरिसिंह से पूछा तो उसने कहा कि जल्द आएगी.. दूसरी तरफ सेवनिया खरीदी केंद्र के ऑपरेटर राजेंद्र सिंह को मालूम ही नहीं कि ग्रेडिंग मशीन क्या होती है। अब अशोक नगर में तो किसान की उपज नहीं खरीदी लेकिन सीहोर में तो बगैर ग्रेडिंग या बगैर देखे ही गेहूं बोरो में भरा जा रहा है। यानी कहीं उपज की गुणवत्ता देखी जा रही है तो कहीं गुणवत्ता देखी ही नहीं जा रही। अलग अलग जिलों में अलग अलग नियम और इस वजह से किसान परेशान हो रहा है।


खरीदी केंद्र पर किसान परेशान Farmers upset at procurement center Madhya Pradesh Wheat government procurement of wheat Wheat Grading गेहूं खरीदी किसान परेशान मध्यप्रदेश का किसान अन्नदाता गेहूं की सरकारी खरीदी मध्यप्रदेश का गेहूं