GWALIOR.ग्वालियर में खराब सड़कों को लेकर शुरू हुई सियासत मध्यप्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। जिले से केंद्र सरकार में दो केबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया तोमर है और शिवराज सरकार में भी दो मंत्री हैं। सांसद भी बीजेपी का है बावजूद ग्वालियर शहर की सड़कें सबसे खराब है। इन्हें देखने के बाद गुस्सा में राज्य के ऊर्जामंत्री ने चप्पल छोड़ने का ऐलान कर दिया। लेकिन अब इसमें मेयर भी कूद पड़ी है । 57 साल बाद कांग्रेस से मेयर बनी शोभा सिकरवार का कहना है कि ये सड़कें कब से ख़राब हैं । हम तो तीन माह पहले मेयर बने है लेकिन जनता 2018 से लगातार जवाब दे रही वहीं और आगे और करारा जवाब देगी। इससे लगता है कि खराब सड़कों का मुद्दा बीजेपी के लिए उल्टे गले की फांस बन सकती है। कांग्रेस अब इस मुद्दे पर उल्टे बीजेपी को घेरने की रणनीति बना रही है।
चुनावी साल में सरकार भी सड़कों से परेशान
मध्यप्रदेश की ख़राब सड़कें अभी तक तो सिर्फ जनता को ही परेशान कर रहीं थी लेकिन अब वे नेताओं को भी प्र्दशन करने लगीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल की ख़राब सड़कों पर खुलकर बोल चुके हैं वहीँ उनकी सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने तो खराब सड़को को लेकर पहले ही जूते चप्पल ही त्याग दिए है और संकल्प ले लिया कि जब तक खराब सड़क दुरुस्त नहीं हो जाएगी वह वह जूते चप्पल पहनेंगे क्योंकि जनता भी इन पर चल रही है।
सड़क की सियासत शुरु
बीजेपी इन खराब सड़को को लेकर निगम महापौर को जिम्मेदार बताने पर कांग्रेस महापौर शोभा सिकरवार ने भी तीखा जुबानी पलटवार किया है। उन्होंने 2023 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी भी कर दी है। उनका कहना है कि अभी उन्हें महापौर बने 3 महीने हुए हैं,इतनी जल्दी सड़कें उखड़ नहीं सकती ,मंत्री जी ने जूते चप्पल क्यों छोड़े हैं,यह तो वही जवाब देंगे, लेकिन लगता जरूर है शायद खराब सड़कों पर चलकर मंत्री जी यह देख रहे हैं कि सड़कें कितनी खराब है,जनता ने अपना जवाब दे दिया है,2023 का इंतजार करो इससे अच्छा जवाब जनता इनको देगी।
ऊर्जामंत्री ने मांगी सार्वजानिक माफ़ी
सीएम शिवराज सिंह चौहान की सख्ती के पहले ही ग्वालियर नगर निगम की तीन खराब बदहाल सड़कों का निरीक्षण ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने शुरू किया था,सड़कों की खराब हालत पर लोगों ने मंत्री को खरी खोटी भी सुनाई थी, ऊर्जा मंत्री ने इस बात को लेकर नगर निगम के अधिकारियों को फटकार भी लगाई है,मंत्री जी ने नंगे पैर रहने का फैसला भी किया है,मंत्री ने जनता से सार्वजनिक माफी भी मांगी हैं। इन सड़कों के जरिये बीजेपी ने मेयर को घेरने की कोशिश की तो मेयर भी मुखर होकर सामने आ गयीं और अब कांग्रेसी सड़कों को लेकर मुखर हो रहे हैं। कांग्रेस की मेयर को बने हुए अभी तीन महीने का समय हुआ है जबकि सड़कें दो वर्ष से खुदी पड़ीं है। 57 बाद ग्वालियर में कांग्रेस की मेयर बनने की एक वजह ये सड़कें भी रहीं है। बहरहाल सड़क सियासत ओर मिशन 2023 की तैयारी में खराब सड़कों का मुद्दा फिलहाल खूब चर्चाओं में आ गया है । यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही एक दूसरे पर जम कर सियासी बयानबाजी भी कर रहे है। ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब इन बदहाल जर्जर सड़को से जनता को मुक्ति मिलती हैं।