मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति तो बन गई, लेकिन घोटाले रोकने की नीति कब बनाएगी सरकार?

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति तो बन गई, लेकिन घोटाले रोकने की नीति कब बनाएगी सरकार?

संजय गुप्ता/योगेश राठौर, INDORE. चाहे उमा भारती का दबाव कहें या फिर 8 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव, सरकार ने नई आबकारी नीति बनाई और वाहवाही भी लूटी, लेकिन आबकारी विभाग द्वारा शराब ठेकेदारों पर जो लगातार मेहरबानी कर सरकारी खजाने को लगातार जो चूना लगाया जा रहा है, उसके लिए कोई नीति नहीं बन रही है। एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। एक मामले में तो विभाग 30 महीने से वसूली के लिए पत्र ही लिखे जा रहा है और उधर ठेकेदार 10 दिन पहले कोर्ट से स्टे ले आया। वहीं जबलपुर में बैंक गारंटी के तौर पर रखी एफडी की जगह मिली उसकी फोटोकॉपी, इस फोटोकॉपी से कैसे मिलेगी राशि?





इंदौर के ठेकेदार ने क्या किया?





मध्यप्रदेश और इंदौर के सबसे बड़े ठेकेदारों में से एक है झांसी का राय परिवार। रमेश राय और उनके दोनों बेटे मनीष और ऋषि राय, सभी शराब के ठेके लेने का काम करते हैं। मनीष राय ने झाबुआ में साल 2020-21 के दौरान 13.78 करोड़ का ठेका लिया, लेकिन इसे कुछ महीने बाद ही छोड़ दिया। इसके बाद में नए सिरे से ठेका करने पर विभाग को 4 करोड़ 39 लाख का नुकसान हुआ। ये वसूली जुलाई 2020 में मनीष राय पर निकाली गई, लेकिन मजाल है कि राशि वसूल कर ली गई हो।





अधिकारियों ने क्या किया?





विभाग के सजग अधिकारी जिला आबकारी अधिकारी डॉ. शादाब सिद्द्की ने इस राशि की वसूली के लिए ठेकेदार महेश राय की संपत्ति खोजने के लिए एजेंसियों को पत्र लिखा। ये पत्र लिखा गया डिफाल्टर होने के 2 साल बाद मई-जून 2022 में। इस दौरान कुछ नहीं हुआ। इस पत्र के बाद भी कोई हरकत नहीं हुई, फिर झाबुआ कलेक्टर की तरफ से पत्र गया इंदौर कलेक्टर को कि महेश राय का निवास ए-501 शेखर प्लेनेट इंदौर में है तो संपत्ति की जानकारी लेकर वसूली करने का कष्ट करें। इंदौर कलेक्टर से पत्र इंदौर आबकारी विभाग को गया और वहां से पत्र जनवरी 2023 में फिर विविध एजेंसियों को गया और एजेंसियां अभी तक संपत्तियों की जांच ही कर रही है। वहीं 10 दिन पहले मनीष राय ने कोर्ट से वसूली पर स्टे ले लिया और अधिकारियों को भिजवा दिया।





पूरे राय परिवार के कई ठेके, बन रहा 50 करोड़ से ज्यादा का बंगला





ये वसूली चाहे तो आसानी से हो सकती थी, खुद विभाग को पता है कि वो कहां पर रहता है नोटिस में ही एड्रेस लिखा हुआ है। रमेश राय और ऋषि राय के शराब के दर्जनभर ठेके मौजूद हैं। वहीं राय परिवार का विजयनगर एरिया में 50 करोड़ से ज्यादा की कीमत का भव्य बंगला बन रहा है और विभाग ऐसे परिवार से 4.39 करोड़ की राशि नहीं वसूल पा रहा है।





ठेकेदार के साथ धोखा हुआ तो 5 महीने में कर दी कार्रवाई





वहीं एक बात और रोचक है, खुद रमेश राय के बेटे ऋषि के साथ शराब कारोबार में 6 करोड़ का घोटाला हुआ, ऐसा उनके द्वारा विजयनगर थाने में जून-जुलाई 2022 में शिकायत की गई। अब तत्परता देखिए, पुलिस ने सिर्फ 4 महीने में अधिकांश आरोपियों को पकड़ लिया। वहीं इधर ऋषि राय पर परदेशीपुरा थाने में सितंबर 2022 में एक ठेकेदार बिंदेश चौकसे के साथ 45 लाख की धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया, जिसमें ये धमकी थी कि रुपए वापस मांगे तो एक गोली तेरे भेजे में डाल देंगे, पैसा भूल जा, सिंडीकेट में जैसा गोलीकांड हुआ, वही तेरे साथ होगा, झांसी जाकर हमारा इतिहास पता कर लेना। इस मामले में पुलिस ने लीपापोती कर दी। यानी जब शराब ठेकेदार के साथ कुछ हो तो तत्काल सरकारी अमला सक्रिय होकर मदद को दौड़ पड़ता है जैसे ये दामाद हो, वहीं जब सरकारी राशि की वसूली की बात आती है तो सिफ पत्राचार का खेल चलता है।





जबलपुर में क्या हुआ?





आरटीई के जरिए समाजसेवी हरीश मिश्र ने शराब ठेकों के लिए लगने वाली बैंक गारंटी को लेकर जानकारी निकाली। मिश्र ने बताया कि सहायक आबकारी आयुक्त जबलपुर के नाम ठेकेदार द्वारा बनवाई गई एफडीआर राशि 25.50 करोड़ रुपए की मूल छाया प्रति कार्यालय/ बैंक में उपलब्ध ही नहीं है।





ये है पूरा मामला





हरीश मिश्र बताते हैं कि जबलपुर जिले की मदिरा दुकान को 2 एकल समूह जबलपुर उत्तर एवं जबलर दक्षिण समूह में बांटा गया। मेसर्स मां वैष्णो इंटरप्राइजेज भागीदार आशीष शिवहरे एवं सूरज गुप्ता शराब ठेकेदार थे‌। इनके द्वारा बैंक ऑफ महाराष्ट्र शाखा तिलहरी में 25 करोड़ 50 लाख की एफडी निष्पादित की गई थी। अब आबकारी कार्यालय जबलपुर/बैंक ऑफ महाराष्ट्र, जबलपुर में उपरोक्त एफडीआर नहीं मिल रही। सहायक आबकारी आयुक्त जबलपुर ने शाखा प्रबंधक बैंक ऑफ महाराष्ट्र शाखा तिलहरी, जबलपुर को एफडीआर के भुगतान के लिए चेतावनी भरा पत्र 20 जून 2022 को लिखकर दबाव बनाया है। जबकि बैंक प्रबंधक ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के नियम अनुसार मूल प्रति उपलब्ध होने पर ही भुगतान किया जाएगा। सवाल ये उठता है कि ठेकेदारों ने ठेका लेते समय 25 करोड़ 50 लाख की एफडी कराई थी या नहीं ? यदि एफडी कराई थी तो उसकी मूल प्रति या छाया प्रति कार्यालय/बैंक में उपलब्ध क्यों नहीं है?





इंदौर में सामने आ चुका 150 करोड़ का बैंक गारंटी घोटाला





इंदौर में बैंक गारंटी के नाम पर हुए 150 करोड़ के घोटाले का खुलासा सितंबर 2021 में हुआ था जिसमें ईओडब्ल्यू ने पंजाब एंड सिंध बैंक राजवाड़ा पर छापा भी मारा था, लेकिन इसके बाद मामला ठंडा पड़ गया और ईओडब्ल्यू भी हाथ पर हाथ धरकर बैठ गया। इसमें भी सामने आया था कि बैंक गारंटी फर्जी दस्तावेज के आधार पर ली गई या फिर कम संपत्ति पर अधिक कीमत दिखाकर ज्यादा की ली गई और इनके आधार पर शराब ठेके ले लिए गए। ऐसा बैंक और ठेकेदार और विभाग की मिलीभगत से सालों तक हुआ।





इंदौर में 42 करोड़ का घोटाला और 5.40 करोड़ का फर्जी एफडी घोटाला भी हो चुका





इंदौर में 6 साल पहले तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे के समय 42 करोड़ का घोटाला सामने आया था जिसमें फर्जी चालान काटकर गबन किया गया। इसमें दुबे सहित कई अधिकारी सस्पेंड हुए, लेकिन आज तक घोटाले की पूरी राशि वसूली नहीं हो सकी। कुछ महीने पहले 5 करोड़ 40 लाख का फर्जी एफडी घोटाला भी हुआ, बेगंलुरु के शराब ठेकेदार ने 7 हजार की एफडी 70 लाख की फर्जी बनाकर और 47 हजार की एफडी को 4 करोड़ 70 लाख की बताकर आबकारी विभाग में जमा करा दी, 2 महीने धंधा किया और भाग गया। इसमें भी सहायक आयुक्त राजनारायण सोनी सहित जिला आबकारी अधिकारी को सस्पेंड किया गया, वसूली अभी तक नहीं हो सकी।



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