कमलनाथ के सर्वे ने उड़ाई नींद, शिव-विष्णु करते रहे लाइन का इंतजार; सास हो तो इन साहब जैसी

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Harish Divekar
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कमलनाथ के सर्वे ने उड़ाई नींद, शिव-विष्णु करते रहे लाइन का इंतजार; सास हो तो इन साहब जैसी

BHOPAL. देश में ओमिक्रॉन का पहला XBB.1.5 वैरिएंट गुजरात में मिला। ओमिक्रॉन का ये म्यूटेशन अमेरिका में तेजी से फैल रहा है। ये वैरिएंट दूसरे वैरिएंट की तुलना में बेहद खतरनाक और इंसान के इम्यून सिस्टम को चकमा देने माहिर बताया जा रहा है। उधर, राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग मेरे गुरु हैं, वो मुझे ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये लोग जितना मुझ पर हमला करते हैं, मैं उतना ही बेहतर होता जा रहा हूं। राहुल ने कहा कि मैं इन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं। पाक-चीन सीमा पर राहुल गांधी ने सवाल उठाया तो अमित शाह बोले कि भारत की एक इंच जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकता है। नए साल में प्रदेश में सर्द हवाओं ने मौसम को खुशगवार बना दिया है। खबरें तो और भी हैं लेकिन आप प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक रोचक खबरों को पढ़ने के लिए सीधे नीचे उतर आइए और सर्द मौसम में गुनगुनी गरमाहट महसूस कीजिए।



​शिव-विष्णु करते रहे लाइन का इंतजार



देश के सबसे ताकतवर नेता मोदी की मां के निधन का समाचार मिलते ही प्रदेश के दिग्गज नेताओं ने शोक संदेश देने के लिए अपने बंगले पर मीडिया को बाइट देने के लिए बुला लिया। उधर, बाइट देने से पहले प्रदेश के नेताओं ने दिल्ली हाईकमान से पार्टी की लाइन मांगी, पहले उन्हें इंतजार करने को कहा गया। सीएम शिवराज सिंह से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक पार्टी लाइन आने का इंतजार करते रहे। काफी देर बाद संदेशा आया कि इस विषय पर कोई मीडिया में बाइट नहीं देगा। इसके बाद नेताओं ने ट्वीट कर संदेश दिए।



एक तरफ विरोध, दूसरी तरफ जश्न



संघ का अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद जोर शोर से नए साल का जश्न मनाने का विरोध कर रहा है। वहीं बीजेपी सरकार के कई दिग्गज नेता 2023 के जश्न में सराबोर हैं, एक नेता ने तो नए साल के जश्न में अपने साथियों के ​बीच ये तक कह गए कि डीएनए रातों-रात नहीं बदल सकता। हम लोगों ने अपनी जगह बनाने के लिए सालों तक विरोध किया है। अब हालात ये है कि हम लोग अपना ही विरोध करने लग जाते हैं। ये भी भूल जाते हैं कि अब हम ही सरकार में हैं।



कमलनाथ के सर्वे ने उड़ाई नींद



कमलनाथ के सर्वे ने पार्टी के दिग्गज नेताओं की नींद उड़ा दी है। इसमें वो कद्दावर पूर्व मंत्री भी शामिल हैं जो कांग्रेस में अपना एक वजूद रखते हैं। कमलनाथ ने उन्हें बुलाकर व्यक्तिगत सलाह और हिदायत दोनों दे दी हैं कि समय रहते अपनी स्थिति सुधार लें अथवा टिकट को भूल जाएं। कमलनाथ से मुलाकात के बाद कई नेताओं की हवाइयां उड़ी हुई हैं। दरअसल वे जानते हैं कि कमलनाथ जो बोलते हैं वो करते हैं। यदि सर्वें में नेताजी की नेगेटिव रिपोर्ट आ रही है तो उनका टिकट कटेगा ही। यहां न तो कोई सिफारिश चलेगी और न ही भाई-भतीजावाद।



सीनियर आईएएस की बेनामी संपत्ति



प्रदेश के एक पावरफुल आईएएस की बेनामी संपत्ति की जानकारी एकत्रित की जा रही है। खुफिया तंत्र इस काम में तेजी से लगा है। बताते हैं कि इन आईएएस के एक कारोबारी मित्र पर खुफिया तंत्र की निगाहें लगी हुई हैं। पिछले कुछ सालों में साहब ने अपना सबकुछ इस कारोबारी मित्र के साथ काला-सफेद किया है। साहब पर ये मेहरबानी क्यों हो रही है ये अभी पहेली बना हुआ है। बताया जा रहा है कि कुछ समय बाद साहब फुल पावर में आएंगे, इ​सलिए उनके चाहने वालों ने अभी से तैयारी करना शुरू कर दी है। हम समझ गए आप नाम जानना चाहते हैं लेकिन इसके लिए आपको थोड़ी मेहनत करनी होगी। मंत्रालय के हरिरामों को पकड़िए नाम सामने आ जाएगा।



सास हो तो इन साहब जैसी



सीनियर पोस्ट से रिटायर हुए एक आईपीएस साहब इन दिनों अपनी सासु मां को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल इन साहब की सासु मां बहुत ही मध्यमवर्गीय परिवार से हैं लेकिन अपने दामाद को नौकरी में रहते हुए करोड़ों रुपए उधारी में दे दिए। उधारी भी ऐसी कि जो कभी लौटानी न पड़े। मामला सास-दामाद के बीच था तो ठीक था लेकिन चाहने वालों को जब से इसकी जानकारी मिली है तब से मामला गड़बड़ा गया है। चाहने वालों ने तत्काल जांच एजेंसी में सास-दामाद के प्रेम की डाक लगा दी। साहब रिटायर हो चुके हैं तो जांच एजेंसी भी इंटरेस्ट दिखा रही हैं। पद पर रहते तो उनके खिलाफ जांच तो क्या पूछताछ करने की हिम्मत नहीं थी।



लोकायुक्त में कोल्ड वॉर



इन दिनों प्रदेश की सबसे पावरफुल एजेंसी चर्चा में है। ना-ना आप गलत समझे, ये अपनी छापेमारी या सख्ती के कारण चर्चा में नहीं है। ये तो अपने आंतरिक क्लेश के कारण चर्चा में है। मामला अब सीएमओ तक पहुंच गया है। दरअसल लोकायुक्त संगठन और लोकायुक्त पुलिस में अधिकारों और काम को लेकर कोल्ड वॉर छिड़ गया है। अब तक पूरी तरह से लोकायुक्त संगठन ही हावी रहा है। इसके चलते दो डीजी हटा दिए गए। जूनियर को प्रभार मिल गया लेकिन अब आईपीएस लॉबी में इस दबाव का विरोध होने लगा है। ऊपर तक बात पहुंचाई गई है लेकिन चुनावी साल को देखते हुए ऊपर वाले भी चुप्पी साधकर बैठ गए। वो जानते हैं कि वे बोले और उनके करीबियों की फाइलें खुलना शुरू हुईं।


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