किस कलेक्टर को भारी पड़ा बीवी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देना, किसके फोन से डरे मंत्री; पठान वाले बयान से क्यों बनाई दूरी

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Harish Divekar
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किस कलेक्टर को भारी पड़ा बीवी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देना, किसके फोन से डरे मंत्री; पठान वाले बयान से क्यों बनाई दूरी

BHOPAL. दिसंबर खत्म होने को है लेकिन प्रदेश में अब तक ठंड पूरे शबाब पर नहीं आई। उधर बीएसएफ को इंटरनेशनल बॉर्डर से 50 किलोमीटर तक के इलाके में कार्रवाई के अधिकार मिलने से ममता दीदी का पारा चढ़ गया है। बीएसफ की सख्ती से आम जनता को परेशान होता देख, ममता दीदी ने अमित शाह के सामने बीएसएफ के अफसरों पर नाराजगी जताई। इधर, शाहरुख और दीपिका की फिल्म पठान पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को देश के 7 राज्यों में पठान मूवी के खिलाफ हंगामा हुआ। बिहार के मुजफ्फरपुर में FIR भी दर्ज हो गई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का मानना है कि देश में ऑनर किलिंग की मुख्य वजह प्रेम-प्रसंग और दूसरी जाति में विवाह होना है। खबरें तो और भी हैं आप सीधे नीचे उतर आइए और पढ़िए, प्रदेश की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में क्या चल रहा है..



पंडित जी को भारी पड़ा पठान से उलझना



अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले पंडित जी को इस बार बोल वचन भारी पड़ गए। पंडित जी ने सलाहकारों की सलाह पर पठान फिल्म में दीपिका की भगवा रंग की बिकिनी और बोल्ड सीन पर आपत्ति जताते हुए बड़े ठसके से बोल बैठे कि फिल्म से ये सीन नहीं काटा तो, प्रदेश में फिल्म नहीं चलेगी। पंडित जी का ये बयान नेशनल न्यूज बन गई और दूसरे राज्यों में भी ये मामला उठ गया। मामला गरमाते ही दिल्ली से एक फोन घनघनाया इसके बाद पंडित जी ने पठान मामले में चुप्पी साध ली। इधर, नेशनल मीडिया पठान पर वन-टू-वन करने के लिए पंडित जी के चक्कर काटने लगा। मामला नहीं जमा तो भोपाल के दो बड़बोले नेताओं के यहां जा पहुंचे, पठान फिल्म का नाम सुनते ही नेताओं ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद पंडित जी के सलाहकार सक्रिए हुए उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, सांसद प्रज्ञा ठाकुर और पूर्व मंत्री जयभान पवैया से लेकर कथावाचकों बागेश्वर धाम, पंडोखर और प्रदीप मिश्रा से पठान फिल्म के सीन पर आपत्ति दर्ज करवाकर अकेले पड़े पंडित जी को सहारा दिलवाया।



रिसेप्शन में जाना था, कार्य समिति तो बहाना था



बीजेपी की सबसे ताकतवर माने जाने वाली प्रदेश कार्य समिति की बैठक सवालों के घेरे में है। ये सवाल कोई और नहीं बल्कि खुद बीजेपी नेता दबी-छुपी जुबान में उठा रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि सांसद की बेटी के रिसेप्शन में शामिल होने के लिए ये बैठक अचानक कटनी में रखी गई। रिसेप्शन में देरी न हो जाए इसके लिए बैठक भी जल्दी शाम को खत्म की गई। ये तब हो रहा है जब पार्टी चुनावी साल में खड़ी है, ऐसे में बड़े नेताओं का इस महत्वपूर्ण बैठक को हल्के में लेना पार्टी के अंदर ही चर्चा का विषय बना हुआ है। आपको बता दें कि बीजेपी के संविधान में हर 2 माह में प्रदेश कार्य समिति और हर 6 माह में राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक होना अनिवार्य है। इस बैठक में पार्टी की रीति-नीति से लेकर दशा और दिशा पर मंथन-चिंतन होता है।



किससे नाराज हैं कद्दावर मंत्री



प्रदेश में नंबर दो कहलाने वाले मंत्री की पावर सेंटर से दूरी कई सवाल खड़े कर रही है। आखिर मंत्री जी नाराज किससे हैं। विधानसभा सत्र की तैयारियों को लेकर बुलाई गई बैठक में मंत्री जी नदारद रहे। भोपाल में रहते तो बैठक में शामिल होना पड़ता इसलिए जिले के दौरे पर निकल गए। शायद ये पहली विधानसभा तैयारी की बैठक थी जिसमें मंत्री शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं कटनी में हुई प्रदेश कार्य समिति में भी मंत्री शामिल नहीं हुए। मंत्री के चुप-चुप और दूर-दूर रहने के मायने क्या हैं, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय मानिए कि इस सरकार में इन मंत्री को नजरअंदाज करना सरकार के बड़े-बड़े लोगों के लिए आसान नहीं है।



बीवी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देना पड़ा भारी



धीर-गंभीर स्वभाव वाले कलेक्टर साहब इन दिनों खासे चर्चा में हैं। दरअसल कलेक्टर, बीवी को अपना जलवा दिखाने के फेर में वीवीआईपी वाली फीलिंग देना चाहते थे, इसके लिए साहब मैडम को फिल्म दिखाने ले गए, जहां साहब और मैडम बैठे थे वहां की पूरी रॉ खाली रखकर मैडम को अहसास कराया कि वो जिले के मालिक हैं और उनकी मोहतरमा मालकिन। कलेक्टर लाट साहब वाली फीलिंग का भरपूर आनंद ले पाते कि इसी बीच एक बच्चे ने उनकी पास वाली सीट पर बैठकर उनकी शान में गुस्ताखी कर दी। ये मैडम को नागवार गुजरा, उन्होंने साहब को कुछ ऐसी नजरों से देखा कि साहब तिलमिला उठे उन्होंने तत्काल नाराजगी भरे अंदाज में जवानों को तलब किया, फिर क्या था उस बच्चे की कुटाई हो गई। मामला वायरल हुआ तो एक झटके में लाट साहब वाला भूत उतर गया, अब साहब भोपाल में बैठे साहेबान लोगों को सफाई देते फिर रहे हैं।



मेरे पति तो भोले-भंडारी हैं



मंत्रालय में इन दिनों एक भोले-भाले आईएएस की चर्चा जोरों पर हैं। दरअसल इन महाशय को भोला-भाला होने का टैग किसी और ने नहीं बल्कि इनकी पत्नी ने दिया है। दरअसल एक अवमानना के मामले में जज साहब ने साहब की अच्छी-खासी खिंचाई कर दी। कोर्ट में जज ने साहब को जिस तरह से फटकार लगाई है, उससे उनकी पत्नी काफी आहत हैं, उन्होंने साहब के सीनियर के सामने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि मेरे पति तो भोले-भंडारी हैं, इनकी जेब से कोई पैसे भी निकाल ले तो ये कुछ नहीं बोलेंगे। इस पर सीनियर ने कहा कि जिसकी पत्नी अपने पति को सीधा बोल दे समझ लो वाकई वो भला आदमी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इन सीनियर का तबादला होने के बाद भोले-भंडारी उनकी जगह विभाग की कमान संभाल रहे हैं। अपने सीनियर का फैलाया हुआ रायता समेटने ये साहब कोर्ट में हाजिर हुए थे और फटकार खाकर चले आए।



मैडम को बचाने विपक्ष के दरबार में हाजिरी



करोड़ों के घोटोले में उलझी अपनी पत्नी को बचाने के लिए पति ने पूरा जोर लगा रखा है। जैसे-तैसे सरकार में मामला सेट हो रहा है, इसी बीच खबर आ गई कि विपक्ष विधानसभा में मैडम के करोड़ों के खेल पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। तो बेचारा पति दौड़ा-दौड़ा विपक्ष के बड़े नेता के दरबार में जा पहुंचा। लंबे समय तक नेताजी से बंद कमरे में बात भी हुई। बाहर निकले तो पति महोदय के चेहरे पर संतुष्टि के भाव भी दिखे। बहरहाल ये तो समय बताएगा कि विपक्ष के नेता जी मैडम के पति से संतुष्ट हुए हैं या फिर विधानसभा में करोड़ों के घोटाले पर सरकार को घेरने की रणनीति पर काम होगा। आपकी सुविधा के लिए बता दें कि मैडम के पति न्यायिक सेवा के अधिकारी हैं, ऐसे में उनकी पहुंच और पकड़ का अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं, तभी तो करोड़ों के घोटाले के बाद भी मैडम ठसक के साथ बड़े जिले में अभी भी जमी हुई हैं।



नशा शराब में होता तो नाचती बोतल



शराबी फिल्म का गाना तो आपने सुना ही होगा कि नशा शराब में होता तो नाचती बोतल। ऐसा ही कुछ एमपी के आबकारी महकमे में देखने में आ रहा है। यहां की शराब से ज्यादा नशा यहां की व्यवस्था संभालने वाले अफसरों में है। हालात ये हैं कि आबकारी कमिश्नर कम्पोजिट शराब की दुकानों की सघन जांच का आदेश जारी करते हैं। ये आदेश मैदानी अधिकारियों तक पहुंचे उससे पहले ठेकेदारों को मिलता है। इसके बाद क्या होता होगा आप समझ सकते हैं। जांच में हर शरा​ब की दुकान नियमानुसार चलती पाई गई की रिपोर्ट पहले से ठेकेदार लिखकर रखता है। मैदानी अधिकारी रिपोर्ट उठाकर अपने साइन और सील लगाकर कमिश्नर कार्यालय को भेज देंगें।


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