आवंटित फंड खर्च नहीं कर पाया महिला एवं बाल विकास विभाग, अब 4 दिन में करोड़ों खर्च करने का फरमान

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Rajeev Upadhyay
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आवंटित फंड खर्च नहीं कर पाया महिला एवं बाल विकास विभाग, अब 4 दिन में करोड़ों खर्च करने का फरमान

Bhopal. मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग आवंटित बजट खर्च करने के मामले में काफी पीछे रह गया है। विभाग की इस कार्यप्रणाली को वित्त विभाग ने अत्यंत आपत्तिजनक करार दिया है। जिसके चलते अब विभाग को यह आदेश जारी किया गया है कि 4 दिन में शेष आवंटित फंड को खर्च किया जाए। बता दें कि यह फंड करीब 1 हजार करोड़ से भी ज्यादा का है। 



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  • इस मामले में राज्य सरकार के वित्त मंत्रालय ने आपत्ति जताई है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा आवंटित फंड का भी 75 फीसद खर्च नहीं होने के चलते बाकी का फंड आवंटित न हो पाने का हवाला दिया गया है। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कठघरे में आ गए हैं। जिसके बाद संभागीय संयुक्त संचालक, जिला कार्यक्रम अधिकारियों को 15 मार्च तक राशि खर्च करने निर्देशित किया गया है। यदि 15 मार्च तक की डेडलाइन तक आवंटित राशि खर्च नहीं की गई तो 16 मार्च को अधिकारियों से स्पष्टीकरण लिया जाएगा। 



    बता दें कि लाड़ली लक्ष्मी योजना से लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों तक से जुड़ी योजनाओं का बजट इस गफलत के चलते लेप्स हो सकता है। वहीं अधिकारी महज 4 दिनों में इतनी भारी भरकम राशि कहां खर्च की जाए, इस पसोपेश में पड़ गए हैं। 



    'तकनीकी कारणों से नहीं मिल सकी खर्च की जानकारी'



    पोषण आहार घोटाले के बाद से महिला एवं बाल विकास विभाग सुर्खियों में बना रहता है, इस बार बजट खर्च न कर पाने के कारण विभाग खबरों में है। इस मामले में विभाग के आयुक्त डॉ. राम राव भोंसले का कहना है कि कुछ तकनीकी कारणों से खर्च हुई राशि का विवरण आया नहीं है, जिसके कारण खर्च की जानकारी आ नहीं सकी है। इसके लिए पत्र लिखकर मौजूदा स्थित के बारे में जानकारी मांगी गई है।



    व्यवस्था बदलने के बाद भी यही है हाल



    आपको बता दें कि बजट खर्च न कर पाने की स्थिति पहले भी कई बार कई विभागों में बनी है, जिसके चलते एक व्यवस्था बनाई गई थी कि क्वार्टर बजट बनाना शुरु किया गया था, जिसमें विभाग को हर तीन महीने में अपने खर्च का विवरण देना था जिसके बाद उसे फिर अगले क्वार्टर में खर्च करने के लिए बजट मिलता था। लेकिन इस व्यवस्था का भी पालन महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से नहीं किया गया।


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