BHOPAL. सरकार में अफसरशाही कितनी हावी है इसका नजारा हर दूसरे दिन हो ही जाता है। आईएएस अफसर नौकरी के साथ नौकरी के बाद की प्लानिंग करते रहते हैं। धीरे-धीरे हर संस्था में पद बनाकर रिटायरमेंट के बाद पुनर्वास की व्यवस्था जमाई जा रही है। ताजा उदाहरण सरकारी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जांच करने वाली 50 साल पुरानी संस्था का है। इसका नाम सीटीई यानी चीफ टेक्निकल एग्जामिनर विजिलेंस है। इस संस्था को खत्म करके नए सिरे से कार्य गुणवत्ता परिषद का गठन किया जा रहा है। इसका महानिदेशक अपर मुख्य सचिव से रिटायर हुए अशोक शाह को बनाया गया है।
अशोक शाह का पुनर्वास
इस संस्था में हाल ही में अपर मुख्य सचिव से रिटायर हुए अशोक शाह का पुनर्वास कराया गया है। कैबिनेट में कार्य गुणवत्ता परिषद का जो खाका मंजूर हुआ है, उसमें सीईओ के पद पर 25 साल के अनुभव वाले इंजीनियर को पदस्थ किया जाना था, जिसमें रिटायर्ड प्रमुख अभियंता स्तर के इंजीनियर भी आते। सूत्रों का कहना है कि कार्य गुणवत्ता परिषद में इन पदों को भरने की कवायद होती उससे पहले ही सरकार ने एक बार फिर से नियम बदल दिए हैं। अब सीईओ की जगह महानिदेशक का पद बनाया गया और इस पद पर रिटायर्ड आईएएस को पदस्थ किया गया है।
अशोक शाह बने महानिदेशक
द सूत्र ने पहले ही खबर दिखाई थी कि अशोक शाह को कार्य गुणवत्ता परिषद का महानिदेशक बनाया जा सकता है। अब उन्हें महानिदेशक बना दिया गया है। सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरों का तर्क है कि पहले वाली संस्था सीटीई पूरी तरह से इंजीनियरों के हाथ में थी, लेकिन इस संस्था ने प्रभावी तरीके से काम नहीं किया। इसलिए इंजीनियरों पर नियंत्रण रखने के लिए अनुभवी अफसरों का होना अतिआवश्यक है।
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रिटायरमेंट से पहले विवाद में आए थे शाह
रिटायरमेंट से पहले अशोक शाह ने लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 के शुभारंभ पर एक संबोधन देकर सरकार को विवादों में ला दिया था। शाह ने कहा था कि 2005 में 15 प्रतिशत माताएं बेटियों को दूध पिलाती थीं, अब 42 प्रतिशत माताएं अपनी बेटियों को दूध पिलाती हैं। इस बयान को उमा भारती ने मातृशक्ति की छवि खराब करने वाला बताया है। मुख्यमंत्री भी इस बयान पर नाराज हुए थे।