इंदौर में सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा पर वर्कशॉप: केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई मंडाविया ने कहा- भारत में स्वास्थ्य व्यवसाय नहीं, सेवा

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BP Shrivastava
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इंदौर में सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा पर वर्कशॉप: केंद्रीय मंत्री मनसुख भाई मंडाविया ने कहा- भारत में स्वास्थ्य व्यवसाय नहीं, सेवा

योगेश राठौर, INDORE. श्री गुरुजी सेवा न्यास इंदौर के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय 'सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा' पर राष्ट्रीय कार्यशाला शनिवार (25 फरवरी) को शुरू हुई। जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख भाई मंडाविया ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य, सेवा है, व्यवसाय नहीं है। हमारे यहां स्वास्थ्य को सेवा की तरह देखा जाता है।



'वसुधैव कुटुंबकम्' भावना को चरितार्थ करें



कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया ने कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवा सुसंस्कारित हो। उन्होंने कहा कि नि:स्वार्थता को अपनाकर 'वसुधैव कुटुंबकम्' भावना को चरितार्थ करें, जिससे हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जहां कोई शारीरिक रूप से दुःखी नहीं हो। कार्यक्रम की प्रस्तावना सुहास हिरेमठ रखी और कहा कि इस दो दिनी कार्यशाला में सभी राज्यों से आए 165 डॉक्टर विभिन्न सत्रों में चर्चा करेंगे। 



 कोविड काल में भारत ने 93 से अधिक देशों की मदद की



 तीसरे सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मंडाविया ने कहा कि हमारे यहां स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय नहीं है। हमारे यहां स्वास्थ को सेवा की तरह देखा जाता है। हम सभी सर्वे: सन्तु निरामया: की विरासत के वाहक है। कोविड काल में भारत ने 93 से अधिक देशों की सहायता की, सभी का कल्याण हो, सभी निरोगी रहें। इसका ध्यान रखकर देश निर्माण में सतत लगे रहना चाहिए। 



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स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे 64 हजार करोड़



प्रश्नोत्तर काल में सभी डॉक्टरों के ब्लड बैंक, शिशु मृत्यु दर, मेडिकल रिसर्च आदि सवालों के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम आगामी 5 वर्षों में 64 हजार करोड़ रुपए स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे। मेडिकल रिसर्च के विषय पर कहा कि अभी नियमों में बदलाव किया गया है। पहले मात्र सरकार ही शोध कर पाती थी, अब निजी क्षेत्र के शोध को भी वैधता दी जाएगी।



शिक्षा, आहार, स्वास्थ्य को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता



कार्यक्रम में आशीर्वचन प्रदान करते हुए सद्गुरु मधुसूदन साई ने कहा कि शिक्षा, आहार, स्वास्थ्य को बेचा अथवा खरीदा नहीं जा सकता है। यही हमारी भारत की संस्कृति है, परंतु पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था के कारण हम अपनी इस मूल भावना को भूल गए हैं। जिसे हम फिर से जागृत कर ऐसे भारत का निर्माण करें, जहां सभी सुखी हो। कार्यशाला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी तथा सुहास हिरेमठ उपस्थित रहे।


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