देव श्रीमाली, GWALIOR. चुनावों का वक्त है और बीजेपी के नेता यहां हर जनसभा में अपने विकास कार्य गिनाते घूम रहे हैं। कुछ दिनों पहले सरकार ने गली-गली विकास यात्रा निकालकर बताया कि उन्होंने जनता की सेवा के लिए क्या-क्या काम किए। वे कहते हैं कि यह डबल इंजन की यानी केंद्र और राज्य सरकार के कारण ही संभव हो रहा है लेकिन ग्वालियर की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, सरकार के हर दावे की पोल खोल रही हैं। यहां बीमार लोगों का इलाज कैसा हो रहा है इसका अंदाजा, इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां के जिला अस्पताल में डेढ़ माह से एक्सरे निकालने की फिल्म ही नहीं है और खौफनाक अजूबा ये कि मरीजों को फिल्म की जगह कम्प्यूटर में यूज होने वाले ए-4 कागज पर एक्सरे इमेज निकालकर दी जा रही है। यह हालात ग्वालियर जैसे उस अंचल का है जिसके दो-दो मंत्री पीएम मोदी की कैबिनेट में हैं और शिवराज सिंह की सरकार ने 8 लोगों को कैबिनेट और राज्यमंत्री बनाया हुआ है।
डेढ़ माह से नहीं है फिल्म
ग्वालियर में मुरार में जिला अस्पताल है। जिसमें ना केवल शहर बल्कि पूरे जिले के ग्रामीण इलाकों के भी मरीज इलाज कराने आते हैं। एक्सीडेंट ही नहीं, टीबी से लेकर आजकल हर बीमारी का उपचार शुरू करने से पहले एक्सरे की जरूरत महसूस होती है, लेकिन यहां के जिला अस्पताल मुरार में बीते डेढ़ माह से एक्सरे फिल्म ही नहीं है।
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कागज पर निकालकर दे रहे हैं इमेज
जिला अस्पताल में एक्सरे फिल्म नहीं है, लेकिन एक्सरे धड़ाधड़ हो रहे हैं। आप सुनकर चौंक जाएंगे, लेकिन यह बात है एकदम सही। दरअसल, यहां एक्सरे के बाद रिपोर्ट के साथ जो रेडियोलॉजिकल इमेज दी जा रही है वह फिल्म पर नहीं बल्कि कम्प्यूटर में प्रिंट निकालने वाले ए-4 कागज पर निकालकर दी जा रही है। ये आठवां अजूबा तो है ही, बल्कि भयाभय भी है और मरीजों की जान से खिलबाड़ भी, क्योंकि कागज की इमेज देखकर आखिरकार डॉक्टर क्या रोग पकड़ेंगे और जैसा पकड़ेंगे वैसा ही इलाज देंगे।
पता सबको पर परेशानी बरकरार
ऐसा नहीं है कि यह सब अचानक हो गया हो, बल्कि एक माह से यह सब चल रहा है और सबको पता भी लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं है। लिहाजा सब-कुछ कछुआ गति से चल रहा है। छानबीन करने पर पता चला कि सिविल सर्जन मुरार ने डेढ़ माह पहले ऑर्डर करते हुए बता दिया था कि एक्सरे फिल्म का स्टॉक खत्म है। जल्द आपूर्ति कराए, लेकिन इस चिट्ठी को किसी ने तवज्जो नहीं दी। लिहाजा, वह खत्म हो गया। जब एक्सरे को लेकर हाय-तौबा मची तो लोगों के गुस्से से बचने के लिए जिला अस्पताल प्रबंधन ने खतरनाक रास्ता अख्तियार कर लिया। उन्होंने फिल्म के अभाव में ए-4 कागज पर एक्सरे इमेज निकालकर थमाना शुरू कर दी। डॉक्टर कैमरे पर तो कुछ नहीं कह रहे, लेकिन निजी बातचीत में बताया कि हम मरीजों से बाहर से एक्सरे कराने को तो कह नहीं सकते। इसलिए कागज से ही काम चलाकर उन्हें संतुष्ट कर रहे हैं, क्योंकि सीएमएचओ से लेकर जिला प्रशासन तक इस समस्या से वाकिफ हैं, लेकिन जब फिल्म नहीं आ रही तो काम चलाने के लिए कागज का सहारा लेना पड़ रहा है।
मरीज की जान पड़ सकती है खतरे में
हालांकि, विभागीय डॉक्टर अपना बचाव करते हुए कहते हैं कि इमेज कागज पर हो या फिल्म पर इससे डायग्नोस में कोई फर्क नहीं पड़ता। डॉक्टर देखकर निष्कर्ष निकालकर इलाज कर सकता है। लेकिन नाम ना छापने की शर्त पर रेडियोग्राफर इसे बहुत ही घातक बताते हैं। उनका कहना है कि कागज पर इमेज में फेंफड़े का इंफेक्शन है या चोट का निशान है यह ठीक से समझ नहीं आता और आकलन में गलती होने के बाद गलत मेडिसिन खिलाने से जान के लाले भी पड़ सकते हैं। वरिष्ठ रेडियोग्राफर नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं कि ऐसा तो उन्होंने पहली बार ही देखा या सुना है कि एक्सरे इमेज कागज पर दी जा रही हो। यह अत्यंत घातक है खासकर तब जब आजकल कोरोना का नया वेरिएंट फिर तेजी से सिर उठा रहा है, बल्कि लंग्स को भी निशाना बना रहा है।
बड़ा राजनीतिक रसूख तब ये हाल
ग्वालियर वर्तमान में प्रदेश में सबसे तगड़ा राजनीतिक रसूख वाला क्षेत्र माना जाता है। यह केवल प्रदेश बल्कि देश का संभवत: पहला और इकलौता जिला है। जहां के दो नेता कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का हिस्सा हैं। इसके अलावा ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर और उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह, शिवराज सरकार का हिस्सा हैं। इनके अलावा इसी क्षेत्र से उपचुनाव हारे मुन्नालाल गोयल अभी बीज और फार्म विकास निगम के चेयरमैन हैं, इमरती देवी लघु उद्योग विकास निगम में अध्यक्ष और घनश्याम पिरोनिया बांस बोर्ड के अध्यक्ष हैं और कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखते हैं। इनके अलावा अंचल में पांच और कैबिनेट दर्जा वाले नेता है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं का हाल कितना बदहाल है, इसका इससे अच्छा और चिंताजनक उदाहरण दूसरा नहीं मिल सकता।
क्या बोले सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ.आलोक पुरोहित कैमरे के सामने आने से कन्नी काटते रहे, लेकिन मोबाइल पर मीडिया से बातचीत में पहले उन्होंने कहा कि वे डेढ़ माह पहले ऑर्डर कर चुके हैं, लेकिन फिल्म नहीं आई तो कागज पर इमेज देने लगे, ताकि मरीजों का उपचार ना रुके। फिर उन्होंने कहा कि अस्पताल में जल्द ही एक्सरे की डीआर मशीन आ रही है। उसमें प्लेट लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अभी तो मशीन आई ही नहीं है यह वे खुद मान रहे हैं।
सीएमएचओ बोले यह तो और जगह भी होता है
ग्वालियर के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा का जवाब तो बड़ा हास्यास्पद है। एक तरफ वे कह रहे हैं कि जब से हमारे एक्सरे डिजिटलाइज हुए हैं। तब से प्राइवेट सेंटर पर भी इमेज कागज पर दे देते हैं। मैंने पता किया तो यहां भी ऐसा हुआ है। जबकि खुद सिविल सर्जन का कहना था कि यहां डीआर मशीन आने वाली है। अभी आई नहीं है।
सीएमएचओ कह रहे हैं कि वहां फिल्म पर्याय है। लेकिन एमएलसी के अलावा फिल्म देते नहीं हैं। सूत्रों की बात मानें तो मामला खुलते ही व्यवस्था करके आनन-फानन में कुछ फिल्म सिविल हॉस्पिटल भेजी गईं हैं।