संजय गुप्ता, INDORE. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नए फॉर्मूले (87-13 फीसदी) के तहत जारी किए गए मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर युवा बेरोजगारों ने फिर आंदोलन शुरू कर दिया है। नेशनल यूथ एजुकेटेड यूनियन (एनवायईयू) के बैनर तले कई युवा बेरोजगार गुरुवार (3 नंवबर) दोपहर में आयोग के इंदौर के दफ्तर पहुंचे और ज्ञापन देकर इस रिजल्ट को लेकर सवाल खड़े किए।
आंदोलनकारी अभ्यर्थियों का कहना है
- रिजल्ट को मूल और प्रोवीजनल दो भागों में बांटना अवैधानिक है
यूआर (अनरिजवर्ड) एक ओपन कैटेगरी है जिसमें सभी वर्गों के अभ्यर्थी जगह बना सकते हैं। राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2019 के घोषित रिजल्ट में इस कैटेगरी के लिए पुरुष वर्ग का कटऑफ 146 है लेकिन एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के कई अभ्यर्थी जिनके अंक इससे अधिक हैं, उन्हें सिर्फ उनके वर्ग तक ही सीमित मान लिया गया और यूआर के प्रोवीजनल रिजल्ट में जगह नहीं दी गई।
यदि हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के तहत ओबीसी का रिजल्ट 14 फीसदी तक सीमित किया जाता है तो फिर इस रिजल्ट के कारण एसटी, एससी, ओबीसी के अभ्यर्थियों को यूआर कैटेगरी में शिफ्ट करना होगा, तब फिर कई अभ्यर्थी जो अभी बाहर है उन्हें अंदर लेना होगा और फिर रिजल्ट में विवाद की स्थिति बनेगी।
फिर संकट में राज्य सेवा परीक्षाएं
यही स्थिति 2021 की परीक्षा रिजल्ट को लेकर होगी। साल 2019 और 2021 के रिजल्ट को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, ऐसे में रिजल्ट पर संकट आने की पूरी आशंका है।
ये है मांग
- फिर संशोधित रिजल्ट जारी हो, 100 फीसदी सीट को लेकर। रिजल्ट दो जारी किए जाएं एक सूची मुख्य लिस्ट की 14 फीसदी ओबीसी आरक्षण साथ और दूसरी सूची 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी के साथ प्रोवीजनल लिस्ट।
सरकार हाईकोर्ट में केस को लेकर तेजी लाए।
राज्य इंजीनियरिंग सेवा 2020 और 2021 के रिजल्ट एक सप्ताह में जारी हो। साल 2022 का भर्ती विज्ञापन जारी हो।
राज्य वन सेवा और अन्य परीक्षाओं के रिजल्ट अंक कम से कम 100 किए जाएं।