किसान की बेटी ने नाम किया रोशन: बॉक्सिंग में कड़ी मेहनत कर जीता अर्जुन अवॉर्ड

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किसान की बेटी ने नाम किया रोशन: बॉक्सिंग में कड़ी मेहनत कर जीता  अर्जुन अवॉर्ड

सोनिया लाठर जब पहली बार बॉक्सिंग रिंग में उतरी होंगी तो उन्होने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन उन्हें देश के राष्ट्रपति द्वारा सम्मान प्राप्त होगा। बॉक्सिंग रिंग में उतरने के बाद उन्होंने दिन-दूनी रात चौगनी मेहनत करके अपने विरोधियों को धूल चटाई। उसी का नतीजा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें 'अर्जुन अवॉर्ड' से सम्मानित किया।

माता-पिता ने किया सपोर्ट

सोनिया मूलरूप से जुलाना गांव की रहने वाली हैं और उनका परिवार हिसार सर्कुलर कॉलोनी गंगवा में रहता है। शुरू से ही उनका झुकाव खेल कूद की ओर ज्यादा था। जब वह सातवीं में थी तब से उन्होंने कबड्डी और बॉक्सिंग करना शुरू कर दिया। घर वालों ने कभी उनका विरोध भी नहीं किया और हमेशा साथ खड़े रहे। 18 वर्ष की उम्र तक उन्होंने बॉक्सिंग को चुन लिया और इसकी बारीकियां सीखना शुरु कर दी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत कर अपना और देश का नाम रोशन किया।

गोल्ड की तैयारी

सोनिया अगले ओलंपिक के 58 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतने के लिए प्रैक्टिस कर रही हैं। वह रेलवे में कार्यरत है। उन्होंने 2018 में सीनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (RSPB) का नेतृत्व किया था। इस प्रतियोगिता के फाइनल में हरियाणा की शशि चोपड़ा को 5-0 से हराकर वह चैंपियन बनीं थीं। 54 किलो भार वर्ग में उन्होने 2012 में एशियन महिला मुक्केबाजी में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता था।

रंग लाई मेहनत