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हमारे देश में अगर कोई गलती से भी नेता बन जाता है तो उसकी आने वाली 4 से 5 पीढ़िया आराम से खा पा, वो इतना कमा लेता है। एल मुरुगन ने इस बात को गलत साबित कर दी। मध्यप्रदेश में राज्यसभा का चुनाव 4 अक्टूबर को है। बीजेपी की तरफ से एल मुरुगन ने मंगलवार को पर्चा भरा। कांग्रेस ने अभी तक किसी को नहीं उतारा। मुरुगन को मोदी सरकार ने मत्सय पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय संभाल रहे मुरुगन की कहानी ने लोगों को काफी हैरान किया।
तमिलनाडु में जाना-माना नाम हैं मुरुगन
7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में एक नाम जुड़ा था... एल मुरुगन, जिन्हें लेकर पूरे देश चर्चाएं थीं। तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष रहे मुरुगन सूचना-प्रसारण, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री बनाए गए। 2020 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में वो एक पॉपुलर फिगर थे। उनकी वजह से दो दशकों बाद बीजेपी ने 4 सीटें जीती थी। पेशे से वकील मुरुगन ने 15 साल कोर्ट में प्रैक्टिस की। मुरुगन नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट के वाइस चैयरमेन भी रह चुके हैं।
तमिलनाडु में 2020 चुनाव से पहले बीजेपी प्रेसिडेंट बनाए गए थे
2020 विधानसभा चुनाव से पहले मुरुगन को पार्टी अध्यक्ष बनाया था। महज एक साल में उन्होंने पार्टी की छवि को सुधारा और बीजेपी के लिए रास्ता बनाया। उन्होंने पार्टी की छवि को बेहतर करने के लिए वेत्री वेल यात्रा की शुरुआत की थी।
मुरुगन का कार्यकाल 6 सालों का रहेगा
केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन का राज्यसभा सांसद के तौर पर कार्यकाल 2 साल का रहेगा। दरअसल, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और मध्यप्रदेश के दलित नेता थावरचंद गेहलोत का 4 साल का कार्यकला हो चुका था, गहलोत के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर शेष 2 साल के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 साल का होता है।
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