गजब हैं सुहास यतिराज: NIT से पढ़े, IAS अफसर बने, अब पैरालंपिक में मेडल की तैयारी

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गजब हैं सुहास यतिराज: NIT से पढ़े, IAS अफसर बने, अब पैरालंपिक में मेडल की तैयारी

टोक्यो पैरालंपिक से हौसलों और जज्बों की बेमिसाल कहानियां सामने आ रही हैं। बैडमिंटन में एसएल 4 में सुहास यतिराज ने फाइनल में अपनी जगह बना ली है और देश के लिए एक मेडल पक्का कर लिया है। सुहास यतिराज नोएडा के DM हैं और इस पैरांलपिक में भारत को रिप्रजेन्ट करने वाले देश के पहले IAS बन गए हैं, लेकिन उनकी जिंदगी की उपलब्धियां सिर्फ इतनी ही नहीं है। आइए जानते हैं उनके जीवन के संघर्ष और सफलताओं के बारे में...

खराब पैर ने आगे बढ़ने से नहीं रोका

सुहास का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ था। बचपन में ही उनका पैर खराब हो गया था लेकिन वह खेलना चाहते थे। सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई, तो वहीं सुरत शहर में उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजिनियरिंग पूरी की। IIT में भी सफल रहने के बाद वह सुहास ने बैंगलोर की एक कंपनी में नौकरी करने लगे।

समाज के लिए कुछ करने का जज्बा

सुहास बैंगलूरू में नौकरी तो करने लगे थे लेकिन उनके दिल में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हमेंशा से था। उनका मानना था कि यदि अपने जीवन में समाज के लिए कुछ नहीं किया तो क्या फायदा। इसके बाद उन्होंने UPSC की तैयारी की। इस बीच उनकी जिंदगी की मुश्किलें और बढ़ गईं।

2005 में पिता की मौत ने उन्हें हिला दिया और फिर उन्होंने खुद को संभाला और UPSC की तैयारी की। 2007 में सुहास का सिलेक्शन हुआ और वे UP कैडर के IAS अफसर बने।

बैडमिंटन के लिए समय निकाला

IAS बनने के बाद उनकी सबसे पहले आगरा में पोस्टिंग हुई फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़. हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी (DM) बने। अपनी ड्यूटी खत्म होने के बाद सुहास समय निकालकर बैडमिंडन खेला करते थे। धीरे-धीरे उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। 2016 में सुहास ने इंटरनेशनल मैच खेलने की शुरुआत की।

2016 में रचा इतिहास

2016 में सुहास आजमगढ़ के जिलाधिकारी थे, तब उन्होंने बीजिंग में हुए एशियाई पैरा-बैडमिंटन चैंपियनशिप हिस्सा लिया और यहां भी उन्हें सफलता मिली। वह पेशेवर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय नौकरशाह बने। उन्होंने इस चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर पूरी दुनिया में भारत और अपना नाम किया था। 2018 वाराणसी में आयोजित दूसरी राष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में मेंस सिंग्ल्स कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीतने के बाद वह राष्ट्रीय चैंपियन बन गए थे।

अपनी जिंदगी की कहानी से सुहास सबको प्रेरित भी करते आ रहे हैं। 2020 में उन्होंने TEDx talk पर अपनी स्टोरी शेयर की और यूथ को मोटिवेट भी किया।

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