नंबर 1 तीरंदाज: आम तोड़ते हुए निशानेबाज बनीं, मां कहती हैं- जो ठान लेती है, करके रहती है

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नंबर 1 तीरंदाज: आम तोड़ते हुए निशानेबाज बनीं, मां कहती हैं- जो ठान लेती है, करके रहती है

नई दिल्ली. पेरिस विश्व कप में गोल्डन हैट्रिक लगाने वाली भारत की स्टार धर्नुधर दीपिका कुमारी फिर से दुनिया की नंबर एक तीरंदाज बन गई हैं। रांची में रहने वाली दीपिका (27) ने पहली बार 2012 में नंबर एक रैंकिंग हासिल की थी। डोला बनर्जी के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाली दूसरी भारतीय तीरंदाज बनीं। दीपिका अब टोक्यो ओलंपिक में निशाना साधेगी। वह एकमात्र भारतीय महिला तीरंदाज होंगी, जो टोक्यो ओलंपिक में खेलेंगी। यह उनका तीसरा ओलंपिक होगा।

पेरिस में ये उपलब्धि

27 जून को उन्होंने रिकर्व की तीन स्पर्धाओं में महिलाओं की व्यक्तिगत, टीम और मिश्रित युगल में गोल्ड जीता। दीपिका ने पहले अंकिता भगत और कोमोलिका बारी के साथ मिलकर रिकर्व टीम स्पर्धा में मैक्सिको को 5-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद मिश्रित टीम स्पर्धा के फाइनल में पति अतनु दास के साथ मिलकर सोना जीता। आखिर में दीपिका ने व्यक्गित स्पर्धा के फाइनल में रूस की एलिना ओसिपोवा को 6-0 से हराकर लगातार तीसरा स्वर्ण जीता। दीपिका विश्व कप में अब तक कुल 9 गोल्ड, 12 सिल्वर और 7 ब्रॉन्च मेडल जीत चुकी हैं।

आम पर लगाती थीं निशाना

दीपिका का जन्म 13 जून 1994 में झारखंड राज्य की राजधानी रांची के रातू में ऑटो चालक शिवनारायण महतो के घर हुआ था। उनकी मां गीता रांची मेडिकल कॉलेज में नर्स थीं। गीता बताती हैं कि बचपन में दीपिका एक दिन मेरे साथ कहीं जा रही थी। रास्ते में एक आम का पेड़ दिखा। दीपिका ने कहा कि वो आम तोडे़गी। मैंने मना किया कि आम बहुत ऊंची डाल पर लगा है, वो तोड़ नहीं पाएगी। उसने कहा, तब तो मैं इसे तोड़ कर ही रहूंगी। उसने पत्थर उठाकर निशाना साधा। पत्थर सीधे टहनी से टकराया और आम गिर गया। दीपिका का वो निशाना देख कर मुझे हैरानी हुई। जिंदगी में भी दीपिका जो लक्ष्य बना लेती है, उसे हासिल करके दिखाती है। वर्तमान में दीपिका टाटा स्टील कंपनी के खेल विभाग की प्रबंधक हैं।

कई अवॉर्ड जीते

दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका 2005 में मिला, जब उन्होंने पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी जॉइन की। प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुई, जब वे टाटा एकेडमी गईं। उन्होंने यहां तीरंदाजी के दांव-पेंच सीखे। 2006 में मैक्सिको में वर्ल्ड चैंपियनशिप में कम्पाउंड एकल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता। ऐसा करने वाली वे दूसरी भारतीय थीं। यहां से शुरू हुए सफर ने उन्हें विश्व की नंबर वन तीरंदाज का तमगा दिलाया। 2009 में महज 15 साल की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैम्पियनशिप जीतकर अपनी उपस्थिति जताई। 2010 में एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज जीता। 2010 में कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम के साथ दो स्वर्ण हासिल किए। कॉमनवेल्थ में उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के स्वर्ण जीते, बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी गोल्ड दिलाया। इस्तांबुल में 2011 में और टोक्यो में 2012 में एकल खेलों में सिल्वर जीता। इस तरह एक-एक करके वे जीत पर जीत हासिल करती गईं। 2012 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार और 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

पति भी तीरंदाज

30 जून को दीपिका की शादी की सालगिरह रहती है। इससे पहले दोनों ने एक-दूसरे को गोल्ड मेडल जीत का शानदार तोहफा दिया। दीपिका और अतनु की प्रेम कहानी भी काफी दिलचस्प रही है। तकरार के बाद हुई दोस्ती बाद में शादी के बंधन तक ले गई और पिछले साल कोरोनाकाल में ही दोनों शादी के बंधन में बंध गए।

लगन से पाई ऊंचाई
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