बनारस के नारायणपुर गांव के तीन भाइयों ने नौकरी छोड़कर मोती पालन की शुरूआत की। तीनों भाइयों ने‘उदेस पर्ल फार्म्स’ने शुरू किया। आज इनकी वजह से इलाके के किसान अब धीरे-धीरे पारंपरिक खेती से हटकर मोती पालन की ओर बढ़ रहे हैं। श्वेतांक पाठक ने 2018 में इस कारोबार की शुरूआत की। अब इस फॉर्म के जरिए 180 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इन्होंने अपनी जमीन पर तालाब खुदवाया जिसमें मोती की खेती शुरू की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर इनकी खेती की तारीफ भी की थी।
इस तरह बनाते हैं मोती
सीप के खोल में सावधानी पूर्वक चार से छह मिलीमीटर तक का सुराख किया जाता है। इसमें नाभिकानुमा धातु कण (मेटल टिश्यू) स्थापित किया जाता है। इसे इयोसिन नामक रसायन से सीप के बीचों बीच चिपका दिया जाता है और 18 माह तक जाल पर पानी में रखा जाता है जो सुंदर मोती बन कर तैयार हो जाता है। एक मोती के उत्पादन से लेकर बाजार तक पहुंचने में करीब 40 रुपए का खर्च आता है। मोती स्थानीय बाजार में 300 से लेकर 400 रुपये तक में बेची जाती है।
आय और पहचान
मोती की खेती के साथ ही मधुमक्खी पालन, बकरी पालन और मशरूम जैसी विदेशी सब्जियां उगाना भी शुरू कर दिया है। खेती में सफलता पाने के बाद यह परिवार गांव के अन्य लोगों खेती के तरीके की ट्रेनिंग दे रहे हैं। वे किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने में भी मदद कर रहे थे। इन्होंने 180 से ज्यादा लोगों की इस काम की ट्रेनिंग दी है।