हरीश दिवेकर, भोपाल. कांग्रेस के दिग्गजों के मैदान में होने के बावजूद बीजेपी ने पूरी 29 की 29 सीटें जीत लीं। इस जबरदस्त परफोर्मेंस के बाद सीएम मोहन यादव का पहला दिल्ली दौरा है। ये माना जा रहा है कि इस दिल्ली दौरे के बाद अब वो प्रदेश में टीम मोहन यादव को खड़ा करने और मजबूत करने की कवायद में जुट जाएंगे।
बीजेपी क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही
लोकसभा चुनाव के नतीजे क्या रहे सब जानते हैं। मोहन यादव को प्रदेश के मुखिया का पद दिसंबर में मिला। और ये ताज पहनते ही सामने लोकसभा चुनाव आ गए। वैसे तो मध्यप्रदेश में बीजेपी पहले ही 28 सीटों पर काबिज थी, जिसके चलते ये जंग बहुत आसान मानी जा रही थी। चैलेंज सिर्फ एक ही सीट का था। लेकिन कुछ सीटों पर अपनी पार्टी के बड़े चेहरे उतार कर कांग्रेस ने चुनावों को दिलचस्प बना दिया था। उसके बावजूद बीजेपी यहां क्लीन स्वीप करने में कामयाब रही। जबकि सारे स्टार प्रचारक अपनी अपनी लोकसभा सीटों में व्यस्त रहे।
इस जबरदस्त जीत के बाद जाहिर तौर पर नए नवेले सीएम मोहन यादव का कद आलाकमान की नजरों में बढ़ गया है। इस जीत का सेहरा, प्रदेश बीजेपी में पहले से काबिज वीडी शर्मा के सिर सजा है तो मोहन यादव भी इसके हकदार कुछ कम नहीं हैं।
मोहन यादव के सामने बड़ी चुनौतियां
मध्यप्रदेश में बीजेपी चुनाव से पूरी तरह निपट चुकी है। अगले तीन साल तक बीजेपी के पास भरपूर मौका है अब अपने किए वादे पूरे करने का और खासतौर से सीएम मोहन यादव के पास कि वो अपनी एक मजबूत छवि गढ़ सकें। और मजबूत छवि के लिए एक मजबूत और भरोसेमंद टीम की जरूरत है। 29 की 29 लोकसभा सीट जीतने की चुनौती भले ही उन्होंने पार कर ली हो, लेकिन अब भी एक चुनौती का उन्हें सामना करना है और निपटना भी है।
वो चुनौती है मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से बड़ी लकीर खींचना। उनसे ज्यादा लोकप्रिय और उनसे बड़ा जननेता बनने के लिए मोहन यादव को जमीनी स्तर पर तो मेहनत करनी ही है। साथ ही अपनी छवि भी ऐसी गढ़नी है कि लोग उन्हें इस रूप में एक्सेप्ट करें। इसके साथ ही उन चुनौतियों से भी निपटना है जो पिछली सरकार में खामी बने नजर आए थे।
अपने लंबे कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान ने बहुत सी उपलब्धियां अपने नाम कीं। लेकिन एक दाग वो नहीं मिटा सके। उनके कार्यकाल में हमेशा ये कहा जाता रहा कि अफसरशाही पूरे सिस्टम पर हावी है।
ये शिकायत न सिर्फ मंत्रालय के स्तर पर बल्कि जिलों के स्तर से भी आती रही। अब मोहन यादव की बड़ी चुनौती है कि वो अफसरशाही पर लगाम भी कसें और ऐसी टीम तैयार करें जो उनकी छवि बनाएं और पुराने दाग धो सकें।
जानिए मोहन यादव के टीम के बारे में
मोहन यादव ने सीएमओ यानी कि सीएम ऑफिस की टीम को पूरी तरह कस रखा है। और खास अफसर तैनात किए हैं। ये वो अफसर हैं जो मोहन यादव के दिनभर का कार्यक्रम तैयार करते हैं। उन कार्यक्रमों पर पैनी नजर रखते हैं।
और रिव्यू भी करते हैं। सबसे पहले बात करते हैं सीएम मोहन यादव के ऑफिस में तैनात अफसरों की। इसमें सबसे महत्वपूर्ण हैं उनके अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा। उसके बाद दो प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी हैं संजय शुक्ला और राघवेंद्र सिंह और फिर उनके सेक्रेटरी भरत यादव।
जिनका सीएम हाउस में खासा दबदबा है। ये चार लोग सीएम के मिनट टू मिनट की जानकारी रखते हैं। और, आगे की प्लानिंग तैयार करते हैं।
इसके अलावा उनके दफ्तर में अविनाश लवाणिया और दो डिप्टी सेक्रेटरी अंशुल गुप्ता और अदिति गर्ग और ओएसडी राजेश हिंगोनकर भी तैनात हैं।
इस टीम का विस्तारित स्वरूप हैं संदीप यादव और रोशन कुमार सिंह जैसे अधिकारी, जो जनसंपर्क का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसके अलावा एडीजी इंटेलिजेंस जयदीप प्रसाद भी टीम का अहम हिस्सा हैं।
ये सभी लोग मिलकर सीएम मोहन यादव के लिए आंख और कान के साथ साथ अक्सर दिमाग का भी काम करते हैं। जो सही रणनीति बनाते है, ताकि सही समय पर सही फैसले लिए जा सकें और उनके हिसाब से सीएम के मूवमेंट तय किए जा सकें।
प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की दरकार
सीएम मोहन यादव ये भी बखूबी जानते हैं कि सिर्फ सीएमओ और जनसंपर्क में मजबूत टीम होने से काम नहीं चलेगा। टीम को जिला लेवल तक मजबूत करना होगा। इस सोच को एग्जीक्यूट करने के लिए प्रदेश में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की दरकार है। जो बहुत जल्द शुरू हो जाएगी। माना ये भी जा रहा है कि दिल्ली दौरे के दौरान ही सीएम मोहन यादव नए चेहरों पर मुहर लगवा कर लाएंगे। उनके आने के बाद या विधानसभा का मानसून सत्र पूरा होते ही प्रशासनिक सर्जरी शुरू हो जाएगी।
इस नाम से ही ये समझा जा सकता है कि प्रशासनिक सर्जरी के तहत हर जिले के कलेक्टर और एसपी बदले जाएंगे। कई जिलों के कलेक्टर तो चुनाव से पहले बदले जा चुके हैं। लेकिन कुछ जगह बदलाव करना बाकी है। ज्यादा कुछ नहीं तो दो दर्जन कलेक्टर और करीब एक दर्जन एसपी तो बदलना तय ही माना जा रहा है।
जिला योजना समिति को मिला नया स्वरूप
प्रशासनिक सर्जरी के साथ ही जिला योजना समिति को भी नया स्वरूप देने की कोशिश भी है। सीएम का प्लान ये है कि जिला योजना समितियों में बीजेपी के लोग भी सदस्य बनें। वैसे जिले से जुड़े तमाम बड़े अधिकारी और नेता इस समिति का हिस्सा होते हैं। लेकिन अब जिला योजना समिति में सत्ता और संगठन दोनों के दखल पर जोर दिया जा रहा है। इस फैसले पर अमल हुआ तो जिलों में संगठन का एक पदाधिकारी भी अहम भूमिका में नजर आएगा।
सबसे जरूरी बदलाव की बात करें तो, वो बदलाव है सीएस यानी कि मुख्य सचिव और डीजीपी यानी कि पुलिस महानिदेशक के स्तर पर प्रदेश के इन दो सबसे बड़े प्रशासनिक और पुलिस विभाग के पद के लिए अफसरों की भागदौड़ तेजी से जारी है। दोनों ही पदों के लिए तीन तीन नाम रेस में सबसे आगे हैं।
प्रदेश का प्रशासनिक मुखिया बनने की रेस में अनुराग जैन, राजेश राजौरा औऱ मोहम्मद सुलेमान सबसे आगे है। माना जा रहा है कि राजेश राजौर इस रेस में आसानी से बाजी मार सकते हैं। डीजीपी के लिए अजय शर्मा, अरविंद कुमार और जीपी सिंह रेस में हैं।
दिल्ली दरबार से होगा अहम पदों का फैसला
अहम पदों के लिए असल फैसला दिल्ली दरबार से ही होगा। लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद से ही सीएम मोहन यादव ने विभागों की समीक्षा बैठक शुरू कर दी है। हर विभाग और उस विभाग से जुड़ी योजनाओं का फीडबैक वो खुद पर्सनली ले रहे हैं।
इसके आधार पर मंत्रालय से लेकर मैदान तक के अधिकारी बदले जाएंगे या रहने दिए जाएंगे। अफसरों की मैरिट लिस्ट भी तैयार ही बताई जा रही है। जिस पर कभी भी अमल किया जा सकता है और तबादले हो सकते हैं। फेरबदल की इस प्रक्रिया में चुनाव के दौरान अफसरों का कामकाज और रवैया कैसा रहा। उसके आधार पर भी उनकी पोस्टिंग का फैसला होगा।
जिस तेजी से ये सारी कवायदें की जा रही हैं। उसे देखते हुए माना जा सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश का प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह से बदला हुआ नजर आएगा। और एक नई टीम मोहन भी एक्टिव दिखाई देगी। Harish Divekar Journalist Bhopal | हरीश दिवेकर पत्रकार भोपाल | सीएम मोहन यादव का बड़ा एक्शन | सीएम मोहन यादव की भोपाल वापसी