कभी कहलाते थे ‘सागर के सीएम’, कहां हैं पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह?

आज हम मध्यप्रदेश के जिस राजनेता की बात कर रहे हैं, उनका सूरज किसी और सितारे के तेज का बाइस था। वो सूरज क्या डूबा इस राजनेता के दिन भी बदल गए। अब ये पूछना लाजमी हो गया है कि निजाम नया है तो सागर के सरकार कहां हैं...

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Harish Divekar
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Nesws Strike : कहां हैं नेताजी में... आज बात करते हैं उस नेता की जिसके नाम से कभी प्रदेश के पुलिस अफसर भी थर-थर कांपते थे, लेकिन आज नौबत ये आ चुकी है कि उसे याद दिलाना पड़ता है कि वो भी प्रदेश के गृहमंत्री रह चुके हैं। पॉलीटिक्स और एक्टिंग की दुनिया में एक कहावत बहुत मशहूर है कि उगते सूरज को कभी न कभी डूबना ही पड़ता है। ये बात अलग है कि किसी का सूरज जल्दी अस्त होता है तो किसी का देर से। हम जिस राजनेता की बात कर रहे हैं, उसका सूरज किसी और सितारे के तेज का बाइस था। वो सूरज क्या डूबा इस राजनेता के दिन भी बदल गए। अब ये पूछना लाजमी हो गया है कि निजाम नया है तो सागर के सरकार कहां हैं।

शिवराज के सीएम रहते भूपेंद्र सिंह का था दबदबा

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार तो बीजेपी की ही बनी, लेकिन मुखिया का चेहरा बदल गया। शिवराज सिंह चौहान की जगह अब मोहन यादव सीएम हैं। जिनके इस पद पर बैठते ही काफी चीजों में बदलाव हुआ है, लेकिन हम सिर्फ उनके कैबिनेट की बात करते हैं। उनके कैबिनेट से कुछ ऐसे चेहरे नदारद हैं जो इससे पहले हर बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बने। ऐसे कुछ मंत्रियों के नाम आप उंगलियों पर गिन भी सकते हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं भूपेंद्र सिंह की। शिवराज सिंह चौहान के सीएम रहते तक भूपेंद्र सिंह का जबरदस्त दबदबा था, लेकिन सीएम फेस बदलने के बाद भूपेंद्र सिंह को भी इस बदलाव का खामियाजा भुगतना पड़ा। अव्वल तो इस तरह की उन्हें मंत्री पद ही नहीं मिला। दूसरा इस तरह की सागर जिले में ही उनके कट्टर प्रतिद्विंदी और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत उन पर भारी पड़ गए। जो इस बार भी मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं।

एक समय भूपेंद्र सिंह कहलाते थे सागर के सीएम

तो अब जानते हैं कि जब भूपेंद्र सिंह मंत्री नहीं हैं तो कहां हैं और क्या कर रहे हैं। बता दें कि शिवराज सिंह सरकार में भूपेंद्र सिंह गृह मंत्री रहे हैं और नगरीय प्रशासन जैसा विभाग भी संभाल चुके हैं। पिछली सरकार में वो शिवराज सिंह चौहान के बेहद खास माने जाते थे। बीच में एक दौर ऐसा भी आया था कि उन्हें सागर का सीएम कहा जाने लगा था। हालात ये थे कि सागर जिले की ही दूसरी विधानसभाओं के विधायक उनकी शिकायत करने पर अमादा थे।

आपको बता दें कि बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक गोपाल भार्गव और सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत दोनों ही सागर जिले की अलग-अलग विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों ताकतवर नेता हैं। इसके बावजूद भूपेंद्र सिंह उन पर कुछ इस तरह हावी थे कि उनकी शिकायत लेकर सागर जिले के तत्कालीन प्रभारी समेत गोविंद सिंह राजपूत और गोपाल भार्गव, विधायक प्रदीप लारिया एकसाथ भोपाल तक आए थे। उनका आरोप था कि भूपेंद्र सिंह ऐसे लोगों को सपोर्ट कर रहे हैं जो उनके विरोधी हैं। इस मसले पर सारे नेताओं ने सामूहिक इस्तीफे की भी पेशकश कर दी थी। हालांकि, उसके बाद पार्टी लेवल पर मामला सुलझा लिया गया था।

भ्रष्टाचार के आरोप भूपेंद्र सिंह के लिए नुकसानदायी साबित हुए

धीरे-धीरे भूपेंद्र सिंह का दबदबा होने लगा था। उन्हें शिवराज सरकार में ही सबसे बड़ा झटका तब लगा जब भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते उनके खिलाफ लोकायुक्त की जांच बिठा दी गई थी। कांग्रेस ने पिछले साल भूपेंद्र सिंह पर आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया था। ये आरोप कांग्रेस पिछले कई सालों से लगा रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भूपेंद्र सिंह ने दस साल में 46 करोड़ की संपत्ति खड़ी कर ली है। पिछले साल इन शिकायतों को लेकर कांग्रेस के रुख में जबरदस्त डेवलपमेंट आया। कांग्रेस ने 11 मई 2023 को लोकायुक्त में शिकायत दर्ज करवाई। जून महीने में शिवराज सरकार के रहते ही भूपेंद्र सिंह पर लोकायुक्त की जांच शुरू भी हो गई। हालांकि, खुद भूपेंद्र सिंह ने सारे आरोपों को निराधार बताया था, लेकिन चुनाव से पहले इस तरह के आरोपों में उलझना भूपेंद्र सिंह के लिए काफी नुकसानदायी हो गया। कह सकते हैं कि बस यहीं से उनका डाउनफॉल शुरू हुआ। मोहन सरकार में उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी। 

ये याद दिलाना पड़ रहा है कि वो प्रदेश के गृह मंत्री रहे हैं

अब भूपेंद्र सिंह एक आम विधायक की तरह बनकर रह गए हैं। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि अपनी ही सरकार में भूपेंद्र सिंह को जिले की बैठक में ये याद दिलाना पड़ रहा है कि वो प्रदेश के गृह मंत्री रहे हैं। ये वाकया भी कुछ ही दिन पहले का है जब सागर जिले के प्रभारी मंत्री और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल बैठक लेने के लिए सागर पहुंचे। जिला योजना समिति की इस बैठक में भूपेंद्र सिंह ने ये आरोप लगाए कि कुछ पुलिस अफसर शहर के लोगों के सीडीआर निकलवा रहे हैं। जिसके लिए पुलिस के आला अफसरों से परमिशन भी नहीं ली गई है। उन्होंने जानकारी दी कि वो इस सिलसिले में सीएम और डीजीपी दोनों को पत्र लिख चुके हैं। राजेंद्र शुक्ल ने भी इस गंभीर मुद्दा बताया। इस मुद्दे पर एसपी विकास शाहवाल ने कहा कि मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बताया जाता है कि इस पर भूपेंद्र सिंह और नाराज हुए। उन्होंने यहां तक कहा कि वो खुद गृह मंत्री रह चुके हैं उन्हें भी तत्काल सफाई नहीं चाहिए।

अब ये राजनीति का सितारा फिर जगमगाएगा...?

ये मामले साफ बताते हैं कभी सागर जिले में दबदबा रखने वाले भूपेंद्र सिंह अब बस अपनी विधानसभा सीट में बंधकर ही रह गए हैं। मंत्रि पद मिलने की तो कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन ये उम्मीद भी नहीं है कि उन्हें किसी निगम मंडल या आयोग में कोई स्थान मिलेगा। शिवराज सिंह चौहान से नजदीकी और भ्रष्टाचार के आरोप उनके बड़े दुश्मन बने हुए हैं। अब भूपेंद्र सिंह की राजनीति का सितारा फिर पहले की तरह ही जगमगाएगा ये कहना मुश्किल है।

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