सागर में दलित परिवार के साथ हुई घटना मध्य प्रदेश में लगातार तूल पकड़ रही है। ऐसे मामलों पर बुलडोजर चला देने वाली पार्टी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि अब तक इस घटना पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। पीड़ित की अचानक मौत ने घटना को और गंभीर बना दिया है।
प्रदेश के एक कद्दावर बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री का नाम आने से मामला हाई प्रोफाइल भी हो गया है। इस पर कांग्रेस लगातार बीजेपी पर सवाल उठा रही है। चुनावी मौसम है तो बात राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक पहुंच गई है और अब सीएम भी वहां दौरा कर चुके हैं। फिलहाल लोकसभा चुनाव का एक अंतिम चरण और बाकी है। ऐसे में बीजेपी चाहती है कि मुद्दा कम से कम जोर पकड़े और कांग्रेस दलितों के खिलाफ पार्टी के रवैये को उजागर करने की पूरी कोशिश में है।
बीजेपी की रणनीति पर फिर सकता है पानी
सागर की घटना को कांग्रेस ने राष्ट्रीय लेवल पर उठाने की पूरी कोशिश की है। और, बीजेपी फिलहाल इसे कांग्रेस की सिलेक्टिव पॉलीटिक्स बताकर बचने की कोशिश में है, लेकिन बचना इतना आसान नहीं है। ये मामला बेहद गंभीर है। सिर्फ घटना या मौतों के लिहाज से ही नहीं., बीजेपी ने अब तक दलित वोटर्स को अपना बनाने के लिए जितनी रणनीति पर काम किया है, ये घटना उन सब पर पानी फेर सकती है।
घटना का ताल्लुक सागर जिले से है। उसी सागर जिले से जहां विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बार बार दौरे किए। कोशिश पूरे बुंदेलखंड के दलित वोटर्स को साधने की थी। इसी कोशिश के तहत संत रविदास का भव्य मंदिर बनाने का ऐलान भी हुआ, जिसका निर्माण 100 सौ करोड़ की भारी भरकम राशि से हो रहा है। अब उसी सागर से एक दलित परिवार की ऐसी आपबीती सामने आ रही है जो पूरे देश को दहला सकती है। सबसे पहले पूरे मामले को तफ्सील से समझ लीजिए।
साल 2023 से शुरू होता है मामला
ये मामला शुरू होता है साल 2023 के अगस्त माह से। जब अंजना अहिरवार नाम की एक दलित युवती के साथ छेड़छाड़ होती है। इस घटना के बाद अंजना अहिरवार का भाई आरोपी परिवार से बात करने भी गया। इसके बाद ये भी खबरें आईं कि आरोपी परिवार लगातार अंजना के परिवार पर एफआईआर वापस लेने का दबाव बनाता रहा।
एफआईआर वापस नहीं हुई तो दबंगों ने अंजना के भाई के साथ मारपीट की। मारपीट इस हद तक की कि उसके भाई की मौत हो गई। दबंगों की दबंगई इतने पर ही नहीं रूकी। उसकी मां उसे बचाने गई तो मां को निरवस्त्र कर उनसे भी मारपीट की गई।
इस घटना के बाद भी अंजना अहिरवार ने रोते रोते अपनी आपबीती सुनाई थी और क्षेत्र के कद्दावर बीजेपी नेता पर आरोपी को शह देने का आरोप भी लगाया था।
भूपेंद्र सिंह का नाम आया सामने
अंजना के कुछ पुराने वीडियोज वायरल हैं, जिसमें वो खुलेआम शिवराज कैबीनेट में मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह का नाम ले रही है। हालांकि, पीड़ित परिवार से सीएम के साथ मिलने पहुंचे भूपेंद्र सिंह ने इस घटना में नया पहलू जोड़ दिया है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जिस अंजना के परिवार के सदस्य की मौत हुई है वह सभी अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। उन सभी पर भूपेंद्र सिंह ने इमरान खान नाम के अपराधी के साथ मिले होने का आरोप लगाया है। उन्होंने ये भी बताया कि भाई की मौत से लेकर अब तक अंजना के परिवार को सरकार 21 लाख रुपए की मदद दे चुकी है।
इस घटना के बाद भी सियासत ने जोर पकड़ा था। खुद दिग्विजय सिंह ने घटना स्थल पर जाकर पीड़ित से बात की थी। उन्होंने ये ढांढस बंधाया था कि एक भाई चला गया तो क्या हुआ वो खुद पीड़िता के भाई हैं। इसके बाद भी विवाद चलता रहा। ठोस कार्रवाई के अभाव में दबंगों के हौसले बुलंद होते गए। पहले भाई पर एफआईआर वापस लेने का दबाव बना रहे दबंगों ने चाचा पर वही दबाव बनाना शुरू कर दिया। बाद में खबर आई कि उनकी भी पीट पीट कर हत्या कर दी गई।
मामले ने सीरियस मोड़ तब लिया जब बड़ी ही नाटकीय तरीके से अंजना अहिरवार की भी मौत हो गई। हुआ ये कि चाचा राजेंद्र अहिरवार की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम के बाद खुद अंजना अहिरवार अपने चाचा का शव लेकर एंबुलेंस से घर लौट रही थी। बीच रास्ते में वो एंबुलेंस से गिरी और उसकी मौत हो गई।
इसके बाद से मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। अंजना अहिरवार की मौत होते ही कांग्रेस नेता और पीसीसी चीफ जीतू पटवारी पीड़ित परिवार से मिलने सागर पहुंचे। उन्होंने खुद को पीड़ित परिवार का दर्द बांटा ही, अपने नेता राहुल गांधी से भी फोन पर परिवार की बात करवाई। फोन पर बात करने के बाद राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। इतना ही नहीं तीन तीन मौतों के बाद कांग्रेस इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी करने लगी है।
जीतू पटवारी ने सीएम मोहन यादव पर निशाना साधा
इस मौके पर जीतू पटवारी ने सीएम मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वो गृहमंत्रालय नहीं संभाल पा रहे तो ये विभाग छोड़ दीजिए। इस मसले पर कमलनाथ ने भी 28 मई को ट्वीट किया इसमें उन्होंने पूरी घटना के बारे में विस्तार से लिखा है। दिग्विजय सिंह ने भी मामले पर ट्वीट किया और प्रियंका गांधी ने भी इस घटना ट्वीट करते हुए लिखा कि मध्य प्रदेश में एक दलित बहन के साथ घटी ये घटना दिल दहला देने वाली है। भाजपा के लोग संविधान के पीछे इसलिए पड़े हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि देश की महिलाएं, दलित, आदिवासी, पिछड़े सम्मान के साथ जीवन जिएं, उनकी कहीं कोई सुनवाई हो। इसके साथ ही प्रियंका गांधी ने हाथरस और उन्नाव की घटनाओं का भी जिक्र किया है।
सीएम ने की मामला संभालने की कोशिश
मामले में तूल पकड़ने के बाद खुद सीएम मोहन यादव ने घटनास्थल का रुख किया। मामला तो हाथ से बाहर निकल चुका है, लेकिन इसे संभालने की उन्होंने पूरी कोशिश की। उन्होंने घटना पर दुख जताया और कांग्रेस को इस संवेदनशील मुद्द पर राजनीति न करने की सलाह भी दी। इसके अलावा उन्होने राजेंद्र अहिरवार के परिवार को 8 लाख 25 हजार रुपए की सहायता राशि देने का ऐलान भी किया और घटना की निष्पक्ष जांच का आश्वासन भी दिया।
विक्टिम की मौत के बाद जांच किस दिशा में और कैसे आगे बढ़ेगी फिलहाल ये तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना तय माना जा सकता है कि आखिरी चरण से पहले हुई ये घटना दलित वोटर्स को जरूर नाराज कर सकती है। हालांकिं, मध्यप्रदेश में चुनाव हो चुके हैं, लेकिन बची हुई सीटों पर कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया तो बीजेपी को थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है।
दलित वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ
साल 2019 में बीजेपी को जो प्रचंड बहुमत मिला था, उसमें दलित वोटर्स की भी बड़ी भूमिका थी। लोकनीति और सीएसडीएस के पोस्ट पोल के लिहाज से देखें तो 2019 में बीजेपी को देशभर में 34 फीसदी दलित वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 20 फीसदी दलितों ने ही वोट किया था। दलित समुदाय ने 2014 में बीजेपी को 24 फीसदी और कांग्रेस को 19 फीसदी वोट किए थे। इसी तरह 2009 में बीजेपी को 09 फीसदी और कांग्रेस को 27 फीसदी तो 2004 में बीजेपी को 17 फीसदी और कांग्रेस को 27 फीसदी दलित वोट मिले थे।
पिछले चुनाव में ही दलित समुदाय के लिए आरक्षित 84 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 46 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस महज पांच सीटें ही हासिल कर सकी थी. बीजेपी के सहयोगी दलों को 8 सीटों पर जीत मिली थी तो कांग्रेस के सहयोगी दल 6 सीटें मिली थीं. बसपा 2 रिजर्व सीट ही जीत सकी थी जबकि अन्य दलों को 16 सीट पर जीत मिली थी. वहीं, 2014 में दलित सुरक्षित 84 सीटों में से बीजेपी 40 सीटें जीती थी तो कांग्रेस को सिर्फ सात सीटें मिली थी जबकि अन्य को अन्य दलों को 37 सीटों पर जीत मिली थी।
इन आंकड़ों के अनुसार देखें तो ये माना जा सकता है कि धीरे धीरे बीजेपी की कोशिशें रंग ला रही हैं और दलित वोटर कांग्रेस से बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो रहा है। ऐसे में सागर जैसी घटनाओं का सामने आना और, उसमें बीजेपी के बड़े नेता का नाम उछाला जाना पार्टी पर भारी पड़ सकता है। हो सकता है कि सातवें चरण में इस पर कुछ ज्यादा बवाल न हो, लेकिन आने वाले चुनावों में ये प्रदेश की बीजेपी सरकार पर भारी पड़ सकता है। इसलिए अब मोहन यादव सरकार के लिए जरूरी है कि वो ऐसे दबंग बाहुबलियों पर लगाम कसनी शुरू कर दे, ताकि आगे की चुनावी राह मुश्किल न हो। साथ ही हर तबके को चैन से जीने का हक मिले। न्यूज स्ट्राइक Journalist Harish Diwekar the sootr news strike CM Mohan Yadav हरीश दिवेकर सागर दलित हत्याकांड सागर मध्य प्रदेश