News Strike : मध्यप्रदेश में महिला अपराध से जुड़ी एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। ये रिपोर्ट इसलिए गंभीर है क्योंकि महिला आयोग ने ही इस अपराध का खुलासा किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की एक रिपोर्ट ने प्रदेश में लगातार हो रही ह्यूमन ट्रैफिकिंग की समस्या की तरफ इशारा किया है और सरकार से कुछ खास सिफारिशें भी की हैं। आमतौर पर आपसे पॉलीटिकल चर्चा ही करते हैं, लेकिन एक बार फिर महिलाओं से जुड़ा अहम मुद्दा लेकर हाजिर हैं इसकी वजह ये है कि मामला गंभीर है। पुलिस तंत्र की नाकामी सरकार पर सवाल उठा रही है। नौबत ये आ गई है कि अब राष्ट्रीय महिला आयोग को अलग से टास्क फोर्स बनाने की सिफारिश करनी पड़ रही है।
मध्यप्रदेश में हुए क्राइम नेशनल लेवल पर सुर्खियों में
गरीबी किसी भी इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है। ये लाइन आपको फिल्मी या फिलोस्फिकल लग सकती है, लेकिन असल जिंदगी में ये जिस पर बीतती है उसका एक्सपीरियंस बहुत ही कड़वा होता है। इस गरीबी के चलते प्रदेश के कई हिस्सों में अब ह्यूमन ट्रैफिकिंग बढ़ रही है। कम उम्र की लड़कियों और युवतियों की खरीद फरोख्त तेजी से जारी है, लेकिन इस मामले में पुलिस तंत्र की सक्रियता कम ही दिख रही है। पुख्ता सिस्टम के न होने की वजह से इस मामले पर सीधे राष्ट्रीय महिला आयोग को ही दखल देना पड़ा है। इस बारे में आयोग की रिपोर्ट क्या कहती है, उस पर भी चर्चा करेंगे। पहले आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में बीते कुछ दिनों में ऐसे क्राइम हुए जो नेशनल लेवल पर भी सुर्खियों में रहे। इसके चलते कांग्रेस भी प्रदेश सरकार पर हमलावर हुई। क्यों एमपी अचानक ऐसे क्राइम को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर निशाने पर आ चुका है। इस पर हमने पिछले ही एपिसोड में विस्तार से चर्चा की है इसकी लिंक डिस्क्रिप्शन बॉक्स में है। ऐसे क्राइम्स के बीच राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट का आना चिंता का विषय है। यही वजह है कि हम एक बार फिर क्राइम अंगेस्ट वूमेन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए मजबूर हुए हैं।
धड़ीचा प्रथा में महिलाओं को किराए पर देने की परंपरा
आपको बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने मुख्य सचिव वीरा राणा को इस संबंध में एक पत्र भेजा है, इसमें ये आशंका जताई है कि मध्यप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में लड़कियों और युवतियों की खरीद फरोख्त तेजी से जारी है। इस मुद्दे पर तमिल पीपुल्स डेवलपमेंट काउंसिल ने आयोग का ध्यान खींचा। इस काउंसिल ने राष्ट्रीय महिला आयोग में याचिका दायर की थी कि एमपी के शिवपुरी जिले में लड़कियों और महिलाओं को किराए की पत्नी के रूप में बेचा जा रहा है और ये काम बकायदा एग्रीमेंट करने के बाद किया जा रहा है। इस याचिका के बाद आयोग ने इसे बहुत गंभीर और संवेदनशील मसला माना। आयोग ने इसकी सबसे बड़ी वजह गरीबी को माना। वैसे आपको बता दें कि कुछ जिलों में धड़ीचा प्रथा भी चलती है। इस प्रथा के तहत परिवारों में अपनी महिलाओं को किराए पर दी जाने की परंपरा होती है। बकायदा मंडी लगाकार कुंवारी लड़कियों से लेकर दूसरो की पत्नियों की बोली लगती है और उन्हें किराए पर दिया जाता है। दस रुपए से लेकर सौ रुपए के स्टांप पेपर पर किराए से देने का एग्रीमेंट भी होता है और किराए से लेन देन करने वाले दोनों पक्ष अपनी शर्तें भी लिखते हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग भी एक्शन में आया
ये बातें बहुत पुरानी है, लेकिन आयोग के दखल के बाद मध्यप्रदेश का महिला एवं बाल विकास विभाग एक्टिव हुआ और एक्शन में आया। महिला बाल विकास विभाग ने बहुत तेजी में प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को पत्र लिखा है और कहा कि वो जिला स्तर पर टास्क फोर्स बनाएं। जो ऐसी गतिविधियों पर नजर रखे और उन्हें रोकने कि लिए एक्टिव रहे। इसके अलावा दूसरे राज्यों से सटे जिलों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ अवेयरनेस प्रोग्राम भी कंडक्ट करें। इन इलाकों में स्पेशल मॉनिटरिंग सेल भी गठित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। टास्क फोर्स और मॉनिटरिंग सेल दोनों में अलग-अलग विभाग के लोग मौजूद होंगे। पुलिस विभाग, महिला और बाल विकास, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा, आदिम जाति कल्याण, श्रम, पर्यटन, कौशल विकास, स्वास्थ्य विभाग के अलावा एनजीओज को भी इससे जोड़ना है।
संवेदनशील एरियों की एनजीओज से प्रापर मॉनिटरिंग करे
महिला आयोग ने ऐसे सभी जिलों की मॉनिटरिंग के साथ ही ये भी कहा है कि सभी संवेदनशी एरियाज की मैपिंग की जानी चाहिए। जो जगह चिन्हित की जाएंगी उनकी प्रॉपर मॉनिटरिंग होनी चाहिए। इस मैपिंग में ही लोकल एनजीओज की भूमिका अहम मानी गई है जो एरिया से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं। इन एरियाज में पुलिस के जरूरी नंबर, इंमरजेंसी नंबर महिला हेल्प डेस्क के नंबर अच्छे से स्प्रेड करने के निर्देश भी दिए गए हैं। कोशिश की जाएगी कि स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि भी इस काम में साथ दे सकें। ऐसे तबकों के लिए और गरीबों के लिए सरकार जितनी योजनाएं संचालित कर रही है। उसकी जानकारी भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के निर्देश हैं। ताकि गरीबी से तंग आकर महिलाओं की खरीद फरोख्त की जगह लोग उन योजनाओं का फायदा उठाएं। इस काम के लिए महिला मंडल, स्व सहायता समूहों, शौर्य दलों को जोड़ने का भी प्रस्ताव है। राष्ट्रीय महिला आयोग के पत्र के बाद पूरा सिस्टम तेजी से एक्टिव हुआ है और ये निर्देश जारी कर दिए हैं। सवाल ये है कि इससे पहले तक क्यों इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया। क्या प्रदेश में बैठे अफसर इस प्रथा से या सीमावर्ती जिलों में चल रही इस ह्यूमन ट्रैफिकिंग से अंजान थे। जो संशय पहले था उस पर एक बार फिर चर्चा करते हैं। ये फेलियर पुलिस तंत्र का स्थानीय तंत्र का है और सवालों के घेरे में आ रही है प्रदेश सरकार।
ऐसे अपराधों पर प्रशासन को नकेल कसना जरूरी
ये पत्र भी ऐसे समय में चर्चाओं में आया है जब मध्यप्रदेश कुछ जघन्य अपराधों को लेकर सुर्खियों में है। ऐसे मामले सरकार की मुश्किलें बढ़ाने में कारगर साबित होंगे। ये भी स्पष्ट है कि नई सरकार बनने के बाद से चुनावों से ही फारिग नहीं हो सकी है। पहले लोकसभा चुनाव और अब उपचुनाव की चुनौती सिर पर है, लेकिन इन सबके बीच बाकी मुद्दों की अनदेखी नहीं की जा सकती। खासतौर से प्रशासन और पुलिस तंत्र की नकेल कसना जरूरी है। नहीं तो इस तरह के मामले बढ़ते जाएंगे और विपक्ष के हमले तेज और तीखे होते चले जाएंगे।
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