News Strike : तीन बड़ी घटनाएं और मध्यप्रदेश का नाम दिल्ली तक में गूंजने लगा है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुद एमपी के ताजा हालातों को लेकर सोशल मीडिया हैंडल्स पर एक्टिव हो रहे हैं और एक-एक कर सवाल भी उठा रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं उस पुलिसिया तंत्र पर जिसकी वजह से प्रदेश की बीजेपी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ रही है। ताजा मामले पर मध्यप्रदेश के बहाने राहुल गांधी ने तो सारे बीजेपी शासित राज्यों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। सीधी सी बात समझी जा सकती है कि बीजेपी अपने स्तर पर कांग्रेस को कोई मौका नहीं देना चाहती, लेकिन मौके खुद चलकर कांग्रेस के पास आ रहे हैं। वो भी ऐसे जिनकी धमक दिल्ली तक सुनाई दे रही है।
महिला अपराध को एक नजरिए से देखा जाना चाहिए
पूरे देश में आरजी कर मेडिकल कॉलेजी की घटना सुर्खियों में है। एक महिला डॉक्टर के साथ पहले सामूहिक दुष्कर्म और फिर उसकी जान ले लेने की दिल दहला देने वाली घटना के बाद पश्चिम बंगाल में सियासी बवाल मचा हुआ है। अब ऐसी घटनाओं पर सियासी हवाएं गर्माने का दौर मध्यप्रदेश में भी शुरू हो चुका है। इस मुद्दे पर आगे चर्चा करें। उससे पहले ये साफ कर दें कि इस तरह की घटना और महिला अपराध किसी भी प्रदेश में हों। उस पर सियासत करने की 'द सूत्र' या 'न्यूज स्ट्राइक' हिमायत नहीं करता है। महिला अपराध को एक ही नजरिए से देखा जाना चाहिए, संवेदना, संजीदगी और फुर्ती के साथ डील किया जाना चाहिए। यही हमारी सोच है, लेकिन प्रदेश में घट रहा है वो बताना भी हमारी जिम्मेदारी है और फिर उस किस तरह सियासत हो रही है। ये घटनाएं किसकी लापरवाही का अंजाम है और सीएम मोहन यादव कहां चूक रहे हैं, घटना से जुड़े ऐसे सारे प्वाइंट्स पर भी चर्चा करना भी जरूरी है। इसलिए एक-एक कर मैं आपको वो तीन घटनाएं बताता हूं जिन्होंने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है।
पहली घटना उज्जैन की...
पहली घटना कुछ दिन पहले हुई उज्जैन में।इस शर्मसार करने वाली घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। कचरा बीनने वाली और भीख मांग कर पेट भरने वाली एक महिला को एक शख्स ने पहले खूब शराब पिलाई और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। उससे भी ज्यादा दोषी उसे मानिए जो ये घटना अपनी आंखों के सामने देखकर उसे रोकने की जगह छुपकर उसका वीडियो बनाता रहा। सीएम मोहन यादव के गृह जिले में दिनदहाड़े ऐसी घटना होती है और पुलिस को पता चलता है एक वायरल वीडियो से। उसके बाद दोषी की धरपकड़ की कोशिश शुरू होती है। कांग्रेस ने इस मामले पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रियंका गांधी ने इस मामले पर ट्वीट किया। उन्होंने घटना को भयावह बताया और लिखा कि ये घटना देखकर पूरा देश सन्न है कि समाज किस ओर जा रहा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने लिखा कि “धर्मनगरी उज्जैन एक बार फिर कलंकित हुई है!...यह सोचकर ही स्तब्ध हुआ जा सकता है कि मध्यप्रदेश में अब दिनदहाड़े, खुली सड़क पर बलात्कार शुरू हो गए हैं… यदि मुख्यमंत्री के गृह नगर के यह हाल हैं, तो बाकी प्रदेश के हालात आसानी से समझे जा सकते हैं। दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ लगातार हो रहे अत्याचार को भी महसूस किया जा सकता है।”
दूसरी घटना देवास हाइवे की...
अब बात करते हैं दूसरी घटना की। मंगलवार को दोपहर में एसआई दीपांकर गौतम देवास हाईवे पर जा रहे थे। पीछे से एक तेज रफ्तार कार आती है पहले उन्हें जोरदार टक्कर मारती है और फिर उन्हें तीस मीटर तक घसीटते हुए ले जाती है। हादसे से आई गंभीर चोटों की वजह से एसआई की मौत हो गई है। इस कार को महिला आरक्षक पल्लवी सोलंकी चला रही थीं। घटने के बाद उसने सरेंडर भी कर दिया। क्या ये घटना ये सवाल नहीं उठाती कि जहां पुलिस वाले ही अपराध के शिकार हैं वहां आम आदमी का क्या होगा।
तीसरी घटना है इंदौर की...
इंदौर में इसी मंगलवार को देर रात करीब ढाई बजे आर्मी के दो ट्रेनी अफसरों के साथ लूट होती है और महिला मित्र के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म भी होता है। ये तीनों घटनाएं ये इशारा कर रही हैं पुलिस व्यवस्था किस दौर से गुजर रही है। इल्जाम लग रहे हैं बीजेपी सरकार पर। उसकी एक वजह ये भी है कि मप्र के मुखिया सीएम मोहन यादव ही प्रदेश के गृह मंत्री भी हैं। लिहाजा उन पर दोहरी जिम्मेदारी भी है।
देश की आधी आबादी की रक्षा की जिम्मेदारी से कब तक आंख चुराएंगे : राहुल
इंदौर की घटना के बाद सियासत में इस कदर उबाल आया कि कांग्रेस के साथ-साथ मायावती की पार्टी ने भी सवाल उठा दिए। सबसे पहले जानिए राहुल गांधी ने क्या कहा। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि मध्य प्रदेश में सेना के दो जवानों के साथ हिंसा और उनकी महिला साथी के साथ दुष्कर्म पूरे समाज को शर्मसार करने के लिए काफी है। भाजपा शासित राज्यों की कानून व्यवस्था लगभग अस्तित्वहीन है और महिलाओं के खिलाफ दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराधों पर भाजपा सरकार का नकारात्मक रवैया अत्यंत चिंताजनक। अपराधियों की ये निर्भीकता प्रशासन की पूर्ण नाकामी का परिणाम है और इस कारण देश में पनपता असुरक्षित वातावरण भारत की बेटियों की स्वतंत्रता, उनकी आकांक्षाओं पर बंदिश है। समाज और सरकार दोनों शर्मिंदा हों और गंभीरता से विचार करें- देश की आधी आबादी की रक्षा की जिम्मेदारी से कब तक आंख चुराएंगे।'
सड़क से लेकर दफ्तर तक, महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्विटर पर इस घटना को अतिशर्मनाक बताया और ऐसी घटनाओं को अति दुखद और चिंतनीय बताया। इस घटना की आंच केंद्र सरकार तक भी पहुंची। प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि देश में हर दिन 86 महिलाएं बलात्कार और बर्बरता का शिकार हो रही हैं। घर से लेकर बाहर तक, सड़क से लेकर दफ्तर तक, महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। देश की आधी आबादी न सिर्फ असुरक्षित है, बल्कि ऐसी बर्बरताओं की वजह से हर दिन करोड़ों महिलाओं का हौसला टूटता है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री जी बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं, लेकिन देश भर की महिलाएं अब भी अपनी सुरक्षा के लिए एक गंभीर प्रयास का इंतजार कर रही हैं। यह इंतजार आखिर कब खत्म होगा?''
कांग्रेस को सरकार को घेरने का मिल रहा मौका
आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना पर जिस तरह सियासत हुई। उसके बाद महिला अपराधों पर कांग्रेस की धार लगातार तेज हो रही है, लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा तब हुआ है जब पिछले सालों की तुलना में महिला अपराधों में कमी आई है। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों की बात करें तो सामूहिक दुष्कर्म के मामले 2022-23 में 92 थो जो घटकर 87 हो गए हैं। पॉक्सो के तहत दर्ज होने वाले नाबालिगों के विरुद्ध अपराध 2121 से घटकर 1959 हो गए हैं। छेड़छाड़ के मामले 3113 से घटकर 2767 हो गए हैं। प्रदेश में होने वाले अपराधों को लेकर सीएम मोहन यादव भी संजीदा रुख रखते हैं। सीएम बनने के करीब पंद्रह दिन बाद ही उन्होंने पुलिस हेडक्वार्टर में बैठक की थी और क्राइम कंट्रोल करने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे। पुलिस एडीजी को अलग-अलग संभाग का प्रभार भी सौंप दिया गया था, लेकिन अपराध और वो भी जघन्य अपराध बढ़ रहे हैं। इनकी वजह से प्रदेश कांग्रेस को तो सरकार को घेरने का मौका मिल ही रहा है। नेशनल लेवल पर बीजेपी शासित राज्यों पर उंगलियां उठ रही हैं।
हालात देखकर लगता है कि पुलिस का खौफ खत्म हो चुका
प्रदेश के पुलिस चीफ यानी कि डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना बमुश्किल दो माह में रिटायर हो जाएंगे। अपने मुखिया का रिटायरमेंट नजदीक देख क्या पुलिस महकमे का रवैया लचर हो गया है या पुलिस तंत्र को पूरी तरह कसने की और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। अपराध तो होते हैं और होते भी रहेंगे। उन्हें रोक पाना तकरीबन नामुमकिन है, लेकिन जो हालात अब दिखाई दे रहे हैं उन्हें देखकर लगता है कि पुलिस का खौफ भी खत्म हो चुका है। अगर दिनदहाड़े दुष्कर्म हो सकता है और आर्मी के ट्रेनी जवानों के साथ लूट की कोशिश हो सकती है तो कानून व्यवस्था का आलम और खौफ की स्थिति समझी जा सकती है, लेकिन ये एक बात तय है कि गलती भले ही पुलिस विभाग की हो। इससे छवि प्रदेश की मोहन सरकार की ही खराब हो रही है। लाउडस्पीकर और खुले में मांस जैसे मुद्दों पर सख्त रवैया रखने वाले सीएम मोहन यादव को चाहिए कि वो कानून व्यवस्था को टाइट करने के लिए वो जो भी जरूरी फैसला हो, वो फैसला लें। ताकि प्रदेश के हालात अपराधों के मामले में बेहतर हों और संवेदनशील घटनाओं पर राजनीति होने से बच सके।
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