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कहां हैं नेताजी में... आज बात करते हैं एक ऐसी नेता की, जिसके नाम ने ही पूरे चुनाव की दिशा बदल दी थी। हर मुद्दे को दरकिनार कर उस सीट का चुनाव सिर्फ धर्म पर आधारित हो गया था। ये नेता तब पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और जीत हासिल की तो वो भी इतनी बड़ी कि बड़े बड़े रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। हराया भी तो कांग्रेस के एक बड़े दिग्गज नेता को। लोकसभा चुनाव में जीत तो बहुत बड़ी मिली, लेकिन फिर जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। कभी अपने बयान तो कभी अपनी बीमारी के चलते लोगों के निशाने पर रहीं। खुद पीएम मोदी को ये कहना पड़ गया कि वो उन्हें कभी माफ नहीं कर पाएंगे। नतीजा ये हुआ कि उस नेता को दोबारा लोकसभा का टिकट नहीं मिल सका।
मालेगांव ब्लास्ट के बाद एक नया टर्म सुनाई दिया
उस नेता पर बात करने से पहले हम आपको 29 सितंबर 2008 की बात याद दिलाना चाहेंगे। ये दिन बाकी देश के लिए तो सामान्य था, लेकिन मालेगांव धमाकों से दहल रहा था। मालेगांव में अचानक हुए ब्लास्ट की वजह से 10 लोगों की मौत हुई और 82 लोग घायल हुए। इस घटना के बाद एक नया टर्म सुनाई दिया। वो था हिंदू आतंकवाद। यहीं से एक नाम सुर्खियों में आया। ये नाम था प्रज्ञा ठाकुर का। जो इस घटना की आरोपियों में शामिल थीं। प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप था कि जिस टू व्हीलर को ब्लास्ट के लिए इस्तेमाल किया गया, वो उन्हीं के नाम पर दर्ज थी। इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर गिरफ्तार हुईं।
प्रज्ञा ठाकुर की एक हिंदुवादी नेता की छवि रही
जेल में रहते हुए प्रज्ञा ठाकुर की सेहत में काफी गिरावट दर्ज हुई। जिसके लिए वो तत्कालीन कांग्रेस शासन को जिम्मेदार ठहराती हैं। प्रज्ञा ठाकुर का ये इल्जाम हमेशा से रहा कि जेल में रहने के दौरान उन्हें खूब यातनाएं दी गईं। इसकी वजह से उनकी सेहत खराब हुई। ब्रेन में स्वेलिंग, आंखों की रोशनी कम होना, सुनने और बोलने में दिक्कत होना। स्टेरॉयड और न्यूरो से संबंधित दवाओं को लेकने की वजह से उनके शरीर में सूजन आने जैसी कई तकलीफों के लिए वो उस दौर को जिम्मेदारी ठहराती आई हैं। अभी छह नवंबर को ही वो इस आशय का एक पोस्ट कर चुकी हैं। यही वो हेल्थ इशूज थे जिनके बिना पर प्रज्ञा ठाकुर की जमानत अर्जी मंजूर हुई थी। और उन्हें 2017 में जेल से रिहाई मिली। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने भी उनके खिलाफ लगे कुछ गंभीर चार्जेस को हटा दिया था। जेल से रिहाई के बाद प्रज्ञा ठाकुर की जिंदगी का बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव। जिसने प्रज्ञा ठाकुर को एक साध्वी और हिंदुवादी नेता की छवि से आगे बढ़ाकर एक सांसद की भूमिका निभाने का मौका मिला। उस साल साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जीत भी देखने लायक ही थी।
प्रज्ञा के मैदान में आते ही तेजी से बदले समीकरण
बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। इस सीट से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को टिकट दिया था। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह हो सकता है उस वक्त अपनी जीत को लेकर खासे आश्वस्त हों, लेकिन प्रज्ञा ठाकुर के मैदान में आते ही समीकरण तेजी से बदले। भोपाल में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। जिसके बाद प्रज्ञा ठाकुर ने 3 लाख 64 हजार 8 सौ बाइस वोटों के अंतर से जीत हासिल की। हालांकि, इसी चुनाव के आखिरी चरण से पहले प्रज्ञा ठाकुर ने नाथुराम गोडसे के फेवर में बयान दिया और उन्हें शहीद बता दिया। इस बयान के बाद बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं को बैकफुट पर आना पड़ा और बयान की निंदा करनी पड़ी। खुद पीएम मोदी ने भी इसी बयान के बाद ये कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर को कभी माफ नहीं कर सकेंगे।
प्रज्ञा को टिकट न मिलने का कारण विवादित बयान रहे
खैर जीत कर प्रज्ञा ठाकुर संसद में पहुंची और पांच साल तक सांसद भी रहीं। इस बीच वो कभी अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहीं। तो कभी उन पर ये आरोप भी लगे कि वो बीमारी का दिखावा कर रही हैं। हालांकि, इसमें कोई डाउट नहीं है कि वो कैंसर की मरीज हैं और उनकी सर्जरी भी हो चुकी हैं। प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी जीत के बाद भी इस साल के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला। इसका जिम्मेदार उनके तीखे और कई बार दिए विवादित बयानों को माना गया। इस बारे में बीजेपी नेता उमा भारती ने एक बार कहा था कि प्रज्ञा ठाकुर ने जो कुछ भी किया है पार्टी हमेशा उनकी आभारी रहेगी। हालांकि, उन्हें टिकट न मिलने पर उन्होंने कुछ बयान नहीं दिया। खुद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कभी कोई विवादित बयान नहीं दिया। जो भी कहा वो सच ही कहा। उन्होंने कहा टिकट देने या न देने का फैसला संगठन का है। उन्हें हर फैसला स्वीकार है।
प्रज्ञा ठाकुर का मेरठ में चल रहा है इलाज
इस लोकसभा चुनाव के बाद से प्रज्ञा ठाकुर सियासी पटल से पूरी तरह गायब हैं। भोपाल का रुख भी वो अब कम ही करती हैं, लेकिन हिंदुत्व के मुद्दे पर उनके बयान कभी-कभी सुनाई दे ही जाते हैं। कुछ दिन पहले जब दुकानों के बाहर नाम लिखने का मुद्दा जोरों पर था। तब प्रज्ञा ठाकुर ने बयान दिया था कि हर हिंदू अपनी दुकान के बाहर नाम लिखे। जो नाम नहीं लिखेगा वो खुद ही पहचान में आ जाएगा। कुछ दिन पहले प्रज्ञा ठाकुर मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती बताई जा रही थीं। दरअसल उनके खिलाफ मालेगांव विस्फोट मामले में ही वारंट जारी हुआ था। जिसके जवाब में पहले तो प्रज्ञा ठाकुर ने एक ट्वीट कर लिखा कि जिंदा रहीं तो जरूर जाएंगी, लेकिन फिर इसी दिसंबर माह की शुरूआत में खबर आई कि उनकी सेहत नासाज है जिसका इलाज मेरठ में जारी है। इस वजह से उनका वारंट भी टाल दिया गया है। अब जब वो दोबारा सेहतयाब होंगी। तब तय होगा कि प्रज्ञा ठाकुर किस नए रोल या खबर में दिखाई देती हैं।
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