14 साल पुराना मामला जिसने बढ़ाई लालू यादव के परिवार की मुश्किलें, जानिए क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम, और किन तथ्यों पर टिका है मामला

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The Sootr
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14 साल पुराना मामला जिसने बढ़ाई लालू यादव के परिवार की मुश्किलें, जानिए क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम, और किन तथ्यों पर टिका है मामला

NEW DELHI. इन दिनों लालू परिवार की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही है। सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसी लगातार लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के ठिकानों पर छापे मार रही है, साथ ही पूछताछ के लिए समन भी जारी कर रही है। लालू यादव जांच एजेंसियों पर बेटी-बहू और घर के बच्चों को बेवजह परेशान करने के आरोप लगा रहे हैं तो लालू के बेटे इसे बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन पर बीजेपी की बदले की राजनीति बता रहे हैं। इन सब बयानों और घटनाक्रम के बीच हम आपको बता रहे हैं वो स्कैम जो इन सभी तात्कालिक घटनाओं का आधार है। जी हां हम आपको जमीन के बदले नौकरी घोटाला यानी लैंड फॉर जॉब स्कैम के बारे में बताने जा रहे हैं, आइए आपको डिटेल में समझाते हैं कि आखिर हुआ क्या था।



15 मार्च को होना है कोर्ट में पेशी



लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मोर्चा खोल रखा है। ईडी ने दिल्ली, बिहार और उत्तरप्रदेश के कई ठिकानों पर छापे मारे थे। ये छापे लालू यादव और उनके करीबियों के ठिकानों पर मारे गए थे। दिल्ली में तेजस्वी यादव के घर पर भी छापा पड़ा था, जहां उनकी गर्भवती पत्नी को इस कार्रवाई के चलते भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। पटना में भी आरजेडी के पूर्व विधायक अबु दोजाना के घर पर ईडी की टीम पहुंची थी। ईडी की कारवई से पहले सीबीआई ने लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ की थी, ईडी ने इस मामले में सीबीआई की शिकायत पर प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में लालू परिवार को 15 मार्च को दिल्ली की अदालत में पेश भी होना है। पिछले महीने ही दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव,उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती को समन जारी किया था।




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  • आखिर क्या है ये लैंड फॉर जॉब स्कैम?



    इस घोटाले की शुरुआत 14 साल पहले हुई थी। उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और लालू यादव रेल मंत्री थे। सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सबस्टिट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब जमीन का सौदा हो गया तो इन्हें रेगुलर कर दिया गया। सीबीआई ने जांच में ये भी पाया कि रेलवे में सबस्टिट्यूट की भर्ती का कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस भी जारी नहीं किया गया था। लेकिन जिन परिवारों ने लालू परिवार को अपनी जमीन दी, उनके सदस्यों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्ति दे दी गई थी। सीबीआई का कहना है कि लालू यादव के परिवार ने कई उम्मीदवारों के परिवारों से जमीन ली और फिर उन्हें इन जमीनों के बदले में रेलवे में नौकरी दी गई। लालू यादव के परिवार ने इन सातों उम्मीदवारों के परिवारों से 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन ली थी। इन जमीनों का सौदा नकद में हुआ था। सीबीआई के मुताबिक, ये जमीनें बेहद कम दाम में बेची गई थीं। कुल मिलाकर लालू यादव के परिवार ने कथित तौर पर 7 उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरी दी थी।



    जमीन की वो डील जिसमें फंस गया लालू परिवार?




    • पहली डील-  साल 2008 को पटना के रहने वाले किशुन देव राव ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम पर की थी, ये जमीन 3.75 लाख रुपये में बेची गई। उसी साल राव के परिवार के तीन सदस्यों राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मुंबई में ग्रुप डी में भर्ती किया गया।


  • दूसरी डील- साल 2007 में पटना की रहने वालीं किरण देवी ने अपनी 80,905 वर्ग फीटी की जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर कर दी, ये सौदा 3.70 लाख रुपये में हुआ। बाद में किरण के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था।

  • तीसरी डील- मार्च 2008 में ब्रज नंदन राय ने 3,375 वर्ग फीटी की जमीन गोपालगंज के रहने वाले ह्रदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपये में बेच दी। ह्रदयानंद चौधरी को 2005 में हाजीपुर में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था। बाद में ह्रदयानंद चौधरी ने ये जमीन तोहफे में लालू यादव की बेटी हेमा के नाम पर कर दी। सीबीआई ने जांच में पाया कि ह्रदयानंद चौधरी, लालू यादव का रिश्तेदार नहीं था और जिस समय ये जमीन दी गई, उस समय उसकी कीमत 62 लाख रुपये थी।



  • इसी तरह के कई सौदें और भी हैं जिन पर सीबीआई ने जांच में ये पाया कि लालू यादव और उनके परिवार को जो जमीनें मिली या तो उन्हें कम कीमत पर खरीदा गया या फिर उन्हें तोहफे में मिलना बताया। जबकि इसके बदले जमीन देने वाले के परिवार के करीबी सदस्यों को रेलवे में नौकरियां मिली। इसी आधार पर सीबीईआई ने लालू परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरु की। 



    सर्किल रेट से कम था जमीनों का दाम



    सीबीआई ने जांच के दौरान यह पाया कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और केंद्रीय रेलवे के सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में अपने या अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया था। ये जमीनें सर्किल रेट से कम और बाजार दर से काफी कम कीमत पर अधिग्रहित की गई थी।



    किस समय दिया गया इस कथित घोटाले को अंजाम



    साल 2004 से लेकर 2009 में केंद्र में यूपीए सरकार थी, उस सरकार में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थी। जमीन के बदले नौकरी का ये सारा खेल उसी दौरान हुआ। सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा यादव और हेमा यादव समेत कुछ उम्मीदवारों को आरोपी बनाया है। सीबीआई का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे, तब उन्होंने ग्रुप डी में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती के बदले जमीनें लीं। ये जमीनें लालू यादव ने अपने परिजनों के नाम कराईं। ईडी के मुताबिक, कुछ उम्मीदवारों के आवेदन को अप्रूव करने में जल्दबाजी दिखाई गई। पश्चिम मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे ने उम्मीदवारों के आवेदनों को बिना पूरे पते के भी अप्रूव कर दिया और नियुक्ति दे दी।



    कैसे आगे बढ़ा मामला



    18 मई 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया था, जुलाई में सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार किया था, जो लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए उनके ओएसडी थे। 10 अक्टूबर 2022 को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 27 फरवरी 2023 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू फैमिली समेत 14 आरोपियों को समन जारी किया है। सभी आरोपियों को 15 मार्च को अदालत में पेश होने को कहा गया है।

    कोर्ट इस मामले में सभी आरोपियों से सवाल जवाब करेगी जिसके बाद आरोप तय किए जाएंगे।

     


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